US China G2 Policy: अमेरिका और चीन के रिश्तें इन दिनों बेहतर हुए है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच दोस्ती बढ़ गयी है। इस बीच अमेरिका ने विदेश नीति और विश्व व्यवस्था में बड़े बदलाव के संकेत दिये हैं। (US China G2 Policy) राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को कार्यात्मक रूप से समान माना है। इससे एक नए द्विध्रुवीय ढांचे (जी-2 ड्यूपोली) की शुरुआत हो रही है।
अमेरिका का यह रवैया बीजिंग को वॉशिंगटन से खतरा मानने के पुराने दृष्टिकोण को खारिज करता है। साथ ही अमेरिका के इस रूख से यूरोपीय संघ, भारत, रूस और जापान जैसी शक्तियों को झटका लग सकता है। चीन और अमेरिका की दोस्ती पर भारत, रूस और जापान जैसे देशों को सोचने की जरूरत पड़ेगी। (US China G2 Policy) अमेरिकी प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात से पहले ‘जी-2 जल्द ही बैठक करेगा’ का ऐलान किया था।
उन्होंने जोर दिया था कि यह केवल रणनीतिक चाल नहीं है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी लिखा था कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ जी2 मुलाकात दोनों ही देशों के लिए सकारात्मक रही। दोनों देशों को यह मुलाकात चिरस्थायी शांति और सफलता की राह पर ले जाएगी।
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US China G2 Policy: शांति और बेहतर संबंध दोनों देशों के लिए सही रास्ता
अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने कहा कि वह राष्ट्रपति ट्रंप की बातों से सहमत हैं कि अमेरिका और चीन के संबंध पहले अच्छे नहीं रहे। ट्रंप से जिनपिंग की मुलाकात के अलावा रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने मलेशिया में चीन के राष्ट्रीय रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून के साथ बैठक की है। (US China G2 Policy) उन्होंने कहा कि हम दोनों भी इस बात पर सहमत हैं कि शांति और बेहतर संबंध दोनों देशों के लिए सही है। उन्होंने चीन के साथ सैन्य चैनल स्थापित करने की भी जानकारी दी है।
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क्या है जी-2
जी-2 शब्द का उपयोग पहली बार बुश काल में चीन के संबंध में अर्थशास्त्री फ्रेड बर्गस्टन ने किया था। इतिहासकार नियाल फर्ग्यूसन ने इसे ’चिमेरिका’ कहा। इसमें जलवायु परिवर्तन, व्यापार असंतुलन और वित्तीय स्थिरता जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए अमेरिका-चीन सहयोग की बात कही गयी है। हालांकि बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान यह नीति कमजोर पड़ गयी थी। जब चीन को आक्रामक शक्ति के रूप में देखा गया।
