Bangladesh Protest: बांग्लादेश में हिंसा का दौर अभी भी जारी है। शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर डटे हुए हैं। हालात इतने बदतर हो गए है कि देश में अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया जा रहा है। यहां के लोगों की रातों की नींद हराम हो गई है। अपराधियों द्वारा डकैती और लूटपाट के भय के कारण कई निवासी रातभर सड़कों पर निगरानी करते नजर आए। (Bangladesh Protest) बता दें, देश में नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार गुरुवार को शपथ लेने वाली है।
Bangladesh Protest: पांच अगस्त को हसीना ने पीएम पद से दिया था इस्तीफा
भीषण आगजनी और हिंसा के बीच हालात बेहद खराब हो गए हैं। पांच अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पद से इस्तीफा दे दिया और भारत चली गईं। (Bangladesh Protest) अब अंतरिम सरकार बांग्लादेश का कार्यभार संभाल रही है। हसीना के देश छोड़कर जाने के बाद भी यहां के हालात बेकाबू हैं। देश में लगातार सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं क्योंकि सुरक्षाकर्मियों पर घातक हमलों की खबरों के बीच अपनी सुरक्षा को लेकर आशंका जताते हुए पुलिस ने काम पर रोक लगा दी है।
राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने संसद को भंग कर दिया था और यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की नियुक्ति की थी। छात्रों के विरोध प्रदर्शनों के बीत आज शाम को अंतरिम सरकार के सदस्य शपथ लेने को तैयार हैं।
लोगों की उड़ गई है नींद
विरोध प्रदर्शनों से पैदा हुई अराजकता और डर लगातार बना हुआ है। अपराधियों के गिरोह पिछले दो दिनों से कानून प्रवर्तन अधिकारियों की अनुपस्थिति में घरों को लूट रहे हैं। (Bangladesh Protest) लूटपाट की आशंका के बीच बुधवार को कई निवासियों की नींद हराम हो गई। ढाका के एक छोर से दूसरे छोर तक, विशेष रूप से उत्तर से मोहम्मदपुर तक, लोग अपनी सुरक्षा को लेकर परेशान थे।
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मस्जिदों से लोगों को किया जा रहा अलर्ट
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर और मोहम्मदपुर सहित कई क्षेत्रों के निवासियों ने पहरा देने के लिए पड़ोस के निगरानी समूहों का गठन किया है। (Bangladesh Protest) मोहम्मदपुर के बोसिला निवासी नजवी इस्लाम ने कहा कि लुटेरों ने मंगलवार रात इलाके में धावा बोल दिया था। मस्जिदों से घोषणाएं की जा रही थीं कि सभी अलर्ट रहें।
लाठी-डंडों के साथ जमा हुए लोग
बुधवार की रात को स्थानीय लोग लाठी-डंडे और बल्लों के साथ सड़कों पर पहरा देने के लिए समूहों में एकत्र हुए। स्थानीय मदरसे के सैकड़ों छात्र भी इलाके की रखवाली करने आए थे। (Bangladesh Protest) पूरी रात पहरा देने के बाद वे सुबह घर लौट आए। छात्रों ने खुद को छोटे-छोटे समूहों में बांट लिया और सरकारी इमारतों तथा सार्वजनिक संपत्तियों की रखवाली की।
क्या बोले स्थानीय लोग?
मोहम्मदपुर के चनमिया हाउसिंग के निवासी जकीरुल इस्लाम ने कहा कि बुधवार रात आवासीय क्षेत्र के गेट पर गार्ड तैनात किए गए थे, लेकिन निवासी अभी भी डर के कारण सो नहीं पा रहे। वहीं, मीरपुर-14 के निवासी अबीर हुसैन, जहां कई सरकारी अधिकारी रहते हैं, का कहना है कि जब यह खबर फैली कि लुटेरे उनके आवास परिसर में घुस आए हैं तो हर कोई घबरा गया। वहीं, नबोदय हाउसिंग इलाके के एक निवासी ने बताया, ‘कल रात स्थानीय हथियार लेकर आए लोगों का एक समूह आया और पड़ोसी के घर पर हमला कर दिया। उन्होंने जबरन दरवाजा खोला और नकदी व आभूषण लूट लिए।’
कई फेसबुक उपयोगकर्ताओं ने मीरपुर छावनी से सटे ईसीबी छतर इलाके में एक इमारत पर हमला करने वाले लुटेरों के वीडियो पोस्ट किए। (Bangladesh Protest) वीडियो में सेना के संरक्षक सायरन की आवाज सुनी जा सकती थी। लोगों ने रात भर हमलों और लूटपाट के बारे में फेसबुक पर पोस्ट किया। कई लोगों ने सवाल उठाया कि इतने सारे लुटेरे कहां से आ गए।
एटीएम में नकदी खत्म
राजधानी के धानमंडी इलाके के निवासी नासिर हुसैन ने बताया, ‘कुल मिलाकर, मैंने लगभग 10 एटीएम मशीनों से पैसा निकालने की कोशिश की, लेकिन एक भी पैसा नहीं निकाल पाया। या तो मशीन में पैसे खत्म हो गए थे या फिर बूथों पर दूसरे बैंकों द्वारा जारी किए गए एटीएम कार्ड के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था।’
पबली बैंक के प्रबंध निदेशक मोहम्मद अली ने कहा कि हालांकि बैंकिंग क्षेत्र में नकदी का कोई संकट नहीं है, लेकिन वे बूथों और शाखाओं तक पैसे पहुंचाने में असमर्थ हैं, क्योंकि पैसे पहुंचाने वाली सुरक्षा कंपनियों ने सेवाएं रोक दी हैं। (Bangladesh Protest) उन्होंने कहा, ‘हमारी नकदी ले जाने वाली सुरक्षा एजेंसियों ने हमें बताया कि वे मौजूदा स्थिति में सेवाएं नहीं देंगी। इसलिए, बैंक पैसे की आपूर्ति करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, खासकर दूरदराज की शाखाओं और बूथों तक।’
इस बीच, देश के राजनीतिक दलों ने अंतरिम मंत्रिमंडल की संरचना पर चर्चा की।
क्यों भड़की हिंसा?
1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी दिलाने की लड़ाई में शामिल क्रांतिकारियों के परिवारों को सरकारी नौकरियों में दिए जा रहे आरक्षण को खत्म करने की मांग के साथ पिछले महीने शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर पहले ही अंतरिम रोक लगा दी थी।
ऐसे में सवाल उठता है कि प्रदर्शनकारी आखिर फिर से इतने हिंसक होकर सड़कों पर क्यों उतर आए। (Bangladesh Protest) असल में हिंसा की यह नई लहर तब शुरू हुई जब प्रदर्शनकारियों ने असहयोग का आह्वान किया, जिसमें लोगों से कर या बिजली बिल का भुगतान न करने और रविवार को काम पर न आने का आग्रह किया गया। सोमवार को जब कार्यालय, बैंक और कारखाने खुले, तो प्रदर्शनकारियों ने लोगों को काम पर जाने से रोकना शुरू कर दिया, इस बीच सेना ने प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए गोलियां चलानी शुरू कर दी।