Bangladesh Crisis: अमेरिका के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) के सदस्य जॉनी मूर ने बांगलादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते खतरों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है. उन्होंने इसे केवल प्रभावित समुदायों के लिए नहीं बल्कि देश के अस्तित्व के लिए भी एक गंभीर संकट बताया है.
जॉनी मूर ने बाइडन प्रशासन की आलोचना करते हुए कहा कि वह बांगलादेश की स्थिति को गंभीरता से नहीं ले रहा है. ANI से बात करते हुए उन्होंने इस पर हैरानी जताई, “मुझे आश्चर्य है कि वर्तमान प्रशासन बांगलादेश पर ज्यादा ध्यान क्यों नहीं दे रहा है. (Bangladesh Crisis) विदेश नीति की महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं की अनदेखी से दुनियाभर में 50 से ज्यादा संघर्ष उत्पन्न हुए हैं जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे अधिक हैं.”
Bangladesh Crisis: धार्मिक स्वतंत्रता पर ट्रंप का जोर
मूर ने आगे कहा कि बांगलादेश में धार्मिक स्वतंत्रता के मामलों पर राष्ट्रपति-चुनाव डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के आने से स्थिति में बदलाव देखने को मिल सकता है. (Bangladesh Crisis) उन्होंने भविष्यवाणी की कि अमेरिका और भारत के बीच संबंध मजबूत होंगे और धार्मिक स्वतंत्रता को प्राथमिकता दी जाएगी. उन्होंने कहा “डोनाल्ड ट्रंप वाशिंगटन डीसी में वापसी कर रहे हैं और उनके साथ एक मजबूत टीम है जो अमेरिका के मूल्यों के पक्ष में काम करेगी”.
बांगलादेश में धार्मिक हिंसा पर चिंता
बांगलादेश में हिंदुओं और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है जिसे लेकर मूर ने गहरी चिंता व्यक्त की. उन्होंने हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की और इसे खतरनाक बताया. (Bangladesh Crisis) उन्होंने आगे कहा “अगर वे एक पुजारी को गिरफ्तार कर सकते हैं तो वे किसी को भी निशाना बना सकते हैं”.
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भारत ने जताई गंभीर चिंता
भारत ने भी इस हिंसा पर गहरी चिंता जताई है. विदेश मंत्रालय ने बांगलादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की कड़ी निंदा की है और चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को अनुचित बताया. मंत्रालय ने बांगलादेश से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके शांतिपूर्वक इकट्ठा होने के अधिकार की रक्षा करने की अपील की है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से कार्रवाई की अपील
मूर ने पश्चिमी देशों की आलोचना की है जो बांगलादेश में धार्मिक उत्पीड़न पर चुप हैं. उन्होंने कहा “जब हिंदुओं का उत्पीड़न होता है तो बहुत कम आवाजें उठती हैं. इसे बदलने की जरूरत है. ये मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए खड़े होने का समय है.” उन्होंने कहा मूर ने जोर देकर कहा कि ये ऐतिहासिक पल है और पूरी दुनिया को बांगलादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए सक्रिय रूप से कदम उठाने होंगे. “दुनिया को इस संकट को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए”.