India Pakistan Crisis: भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत सरकार ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद अब एक और बड़ा निर्णय लिया है, जो पाकिस्तान के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है। (India Pakistan Crisis) केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में दशकों पुरानी नहरों के पुनर्निर्माण और विस्तार की योजना को हरी झंडी दे दी है, जिससे सीमावर्ती इलाकों में जल आपूर्ति और सिंचाई को मजबूती मिलेगी।

इस योजना के तहत कठुआ, न्यू प्रताप और रणबीर जैसी प्रमुख नहरों का कायाकल्प किया जाएगा। रणबीर नहर की स्थापना 1905 में की गई थी और यह जम्मू क्षेत्र की प्रमुख सिंचाई व्यवस्था मानी जाती है। वहीं, न्यू प्रताप नहर, जिसकी निर्माण तिथि 1906 है, करीब 8000 हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई करती रही है। यह निर्णय पहलगाम में पिछले महीने हुए आतंकी हमले के बाद लिया गया है, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। (India Pakistan Crisis) हमले के जवाब में भारत ने सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ 65 वर्ष पुरानी सिंधु जल संधि को भी अस्थायी रूप से रोक दिया है। अब जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग की दिशा में केंद्र सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं। जम्मू-कश्मीर प्रशासन और केंद्र की तकनीकी टीमें मिलकर रणबीर, न्यू प्रताप, रंजन, तावी लिफ्ट, परगवाल, कठुआ और रावी नहरों से गाद हटाने और उनकी क्षमता बढ़ाने का काम चरणबद्ध तरीके से शुरू करेंगी। इससे सिंचाई योग्य भूमि का दायरा बढ़ाने में मदद मिलेगी।

India Pakistan Crisis: नहरों से सुधरेगी सिंचाई व्यवस्था
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि इन नहरों की मूल डिज़ाइन पिछली सदी के अनुसार की गई थी। लेकिन अब कृषि ज़रूरतें काफी बढ़ गई हैं। (India Pakistan Crisis) यह परियोजना उन जरूरतों को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। भारत की कृषि भूमि का लगभग 60% हिस्सा वर्षा पर निर्भर है, खासकर जम्मू क्षेत्र में जहां मानसून देर से आता है और जल्दी खत्म हो जाता है। नहरों के पुनरुद्धार से इन क्षेत्रों में सिंचाई की उपलब्धता बेहतर होने की उम्मीद है।
इसके अलावा भारत ने किशनगंगा, राटले, मियार नाला, लोअर कलनई और पकल दुल जैसी पनबिजली परियोजनाओं पर काम तेज करने का भी निर्णय लिया है। (India Pakistan Crisis)साथ ही, वुलर झील पर तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट को भी प्राथमिकता दी जा रही है, जिस पर पहले मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी जोर दे चुके हैं। इस पूरे विकास क्रम को भारत की रणनीतिक जल नीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है, जिसका असर सिंधु जल पर पाकिस्तान की निर्भरता पर भी पड़ सकता है।