India America: भारत और अमेरिका के बीच जुबानी जंग ने नया मोड़ ले लिया है। भारत ने अमेरिका के झूठे दावे की पोल खोलते हुए युद्धविराम में टैरिफ बातचीत पर असहमति जताई है। बता दें कि अमेरिकी सरकार ने टैरिफ पर सुनवाई के दौरान एक स्थानीय कोर्ट में कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराने के लिए उन्होंने टैरिफ का सहारा लिया था। अमेरिका के इस दावे का भारत ने खंडन कर दिया है। आइये जानते हैं कि भारत ने क्या बताया।

India America: भारत का दो टूक जवाब
इस मामले में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस मुद्दे पर भारत विरोध करता है। (India America) उन्होंने आगे कहा, “भारत और पाकिस्तान के बीच 7 मई को शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर से लेकर 10 मई को सीजफायर पर सहमति बनने तक भारत और अमेरिका के बची बातचीत हुई। लेकिन इस दौरान टैरिफ का कोई मुद्दा नहीं उठा है।”
“भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का फैसला दोनों देशों के DGMO के बीच डायरेक्ट कॉन्टैक्ट के जरिए से लिया गया था। इसमें किसी भी तरह का बाहरी दबाव नहीं था।”
अमेरिका ने क्या किया था दावा?
अमेरिका के स्थानीय कोर्ट में वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक ने बयान दिया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि भारत और पाकिस्तान दो परमाणु शक्तियों ने 13 दिनों की सैन्य कार्रवाइयों के बीच सीजफायर हुआ। (India America) यह राष्ट्रपति के हस्तक्षेप की वजह से संभव हो पाया। ट्रंप ने दोनों देशों को व्यापार का ऑफर दिया, जिससे पूर्ण युद्ध की स्थिति से बचाया गया।
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पाकिस्तान को भी दिया अल्टीमेटम
रणधीर जायसवाल ने अमेरिका के इन्हीं दावे को खुलेआम खारिज कर दिया है। इसी के साथ उन्होंने पाकिस्तान को भी अल्टीमेटम दिया। जायसवाल ने कहा, “सिंधु जल संधि की बात करें तो यह तब तक स्थगित रहेगी, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन त्याग नहीं देता है। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं होगा, आतंकवाद और व्यापार एक साथ नहीं होगा और पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता।”
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान को लेकर हमारा रुख साफ है। उन्हें भारत को आतंकवादियों को सौंपना होगा, जिनकी लिस्ट हम पहले ही उन्हें सौंप चुके हैं। जम्मू कश्मीर पर बातचीत अब तभी होगी जब PoK खाली होगा।