Tariffs War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ बुधवार आधी रात के बाद पूरी तरह से लागू हो गए। ट्रंप ने 2 अप्रैल को जवाबी टैरिफ का एलान किया था। उन्होंने घोषणा की थी कि अमेरिका अब अपने लगभग सभी व्यापारिक साझेदारों पर न्यूनतम 10 फीसदी टैरिफ लगाएगा। वह उन देशों पर अधिक शुल्क लगाएगा, जो उससे बहुत ज्यादा टैरिफ वसूलते हैं। 10 फीसदी बेसलाइन शनिवार को पहले ही लागू हो गई थी। (Tariffs War) इसके बाद दर्जनों देशों पर ट्रंप की उच्च आयात कर दरें आधी रात को लागू हो गईं। इसके तहत भारत पर अब 26 फीसदी टैरिफ प्रभावी हो गया है।
ट्रंप में सबसे ज्यादा टैरिफ 50 फीसदी तक लगाने का एलान किया है। सबसे ज्यादा टैरिफ उन छोटी अर्थव्यवस्थाओं पर लगाया गया है, जो अमेरिका के साथ बहुत कम व्यापार करती हैं, जैसे- अफ्रीकी देश लेसोथो। (Tariffs War) इसके अलावा मेडागास्कर से आयात पर 47%, वियतनाम पर 46%, ताइवान पर 32%, दक्षिण कोरिया पर 25%, जापान पर 24% और यूरोपीय संघ पर 20% टैरिफ लगाया गया है।
इस बीच पिछले सप्ताह ट्रंप ने चीन पर 34% टैरिफ की घोषणा की थी। यह इस साल की शुरुआत में लगाए गए 20% शुल्क के अतिरिक्त था। ट्रंप ने तब से बीजिंग की ओर से हाल ही में किए गए जवाबी पलटवार के बाद चीनी वस्तुओं पर 50% शुल्क जोड़ने की धमकी दी थी। इससे चीन पर कुल मिलाकर 104 फीसदी टैरिफ अमेरिका की ओर से लगाया जाएगा।
Tariffs War: इससे जुड़े हर सवाल का जवाब यहां जानिए
टैरिफ होता क्या है?
यह वस्तुओं के आयात पर लगाए जाने वाला सीमा शुल्क या आयात शुल्क है, जिसे आयातक की तरफ से सरकार को देना होता है। आम तौर पर कंपनियां इनका बोझ उपयोगकर्ताओं पर डालती हैं। (Tariffs War) दूसरे शब्दों में इसका असर आम लोगों की जेब पर ही पड़ता है।
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जवाबी टैरिफ क्या है?
यह शुल्क व्यापारिक साझेदारों की तरफ से लगाए जा रहे शुल्क में वृद्धि या उच्च शुल्क के जवाब में लगाया जाता है। यानी एक तरह से जैसे को तैसा वाला जवाबी कदम होता है।
भारत पर कितना शुल्क?
इस्पात, एल्युमीनियम और वाहनों तथा कलपुर्जों पर पहले से ही 25% शुल्क लागू है। (Tariffs War) शेष उत्पादों पर 5 से 8 अप्रैल के बीच 10% का मूल (बेसलाइन) शुल्क लगेगा और 9 अप्रैल से बढ़कर 26% हो गया।
अमेरिका की मंशा क्या है?
इससे अमेरिका में घरेलू विनिर्माण बढ़ेगा। अमेरिका का कुछ देशों खासकर चीन के साथ भारी व्यापार असंतुलन है। 2023-24 में भारत के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा 35.31 अरब अमेरिकी डॉलर था।
किन क्षेत्रों को छूट?
एक विश्लेषण के मुताबिक, दवा, सेमीकंडक्टर, तांबे के अलावा तेल, गैस, कोयला, एलएनजी जैसे ऊर्जा उत्पाद इसके दायरे से बाहर रखे गए हैं।
भारत के लिए यह कितनी बड़ी चुनौती?
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की स्थिति अपने प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में बेहतर है। भारत को वैश्विक आपूर्ति शृंखला में अपनी भूमिका बढ़ाने का अवसर मिल सकता है। (Tariffs War) लेकिन इसके लिए उसे व्यापार को आसान बनाना होगा, लॉजिस्टिक्स और बुनियादी ढांचे में निवेश करना होगा।
अमेरिका से व्यापार समझौता कितना फायदेमंद होगा?
पीएम नरेंद्र मोदी ने फरवरी में अमेरिका यात्रा के दौरान 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार 500 अरब डॉलर तक बढ़ाने की घोषणा की थी। (Tariffs War) ऐसे समझौताें में व्यापारिक साझेदार या तो सीमा शुल्क काफी कम कर देते हैं या अधिकतर वस्तुओं पर उन्हें समाप्त कर देते हैं। सेवाओं और निवेश को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को भी आसान बनाया जाता है।
अन्य देशों पर कितना शुल्क?
चीन पर 104%, वियतनाम पर 46%, बांग्लादेश पर 37% और थाइलैंड पर 36% शुल्क लगाया।
ये शुल्क स्पष्ट तौर पर विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन करते हैं। यह एमएफएन (तरजीही राष्ट्र) दायित्वों तथा बाध्य दर प्रतिबद्धताओं के भी खिलाफ हैं। सदस्य देशों को इनके खिलाफ डब्ल्यूटीओ के विवाद निपटान तंत्र का दरवाजा खटखटाने का पूरा अधिकार है।
अमेरिका-भारत सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार
वित्त वर्ष 2021-22 से 2023-24 तक अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। अमेरिका की भारत के कुल माल निर्यात में हिस्सेदारी करीब 18%, आयात में 6.22% और द्विपक्षीय व्यापार में 10.73% है।
अमेरिका के साथ 2023-24 में भारत का व्यापार अधिशेष (आयात व निर्यात में अंतर) 35.32 अरब अमेरिकी डॉलर था।
यह 2022-23 में 27.7 अरब, 2021-22 में 32.85 अरब, 2020-21 में 22.73 अरब और 2019-20 में 17.26 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।