Sudan: 15 अप्रैल 2024 को सूडान में चल रहे हिंसक संघर्ष को एक साल पूरा हो गया. देश में सालभर से हो रहा हिंसा का यह दौर इतना खतरनाक हो चुका है कि लोगों के सामने अब भूखमरी, बेरोजगारी जैसा बड़ा संकट गहराने लगा है.
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, सूडान संघर्ष में अब तक 14,600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इतना ही नहीं इस जंग ने लगभग 10.7 लाख से ज्यादा लोगों को बेघर कर दिया है. (Sudan) इस युद्ध से पूरे देश का राजनीतिक, मेडिकल और आर्थिक ढांचा ढह गया है.
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि 46 लाख की आबादी वाले सूडान में 25 लाख लोगों को तुरंत किसी न किसी रूप में मदद की आवश्यकता है. फरवरी में इस देश में कॉलरा (Sudan) के मरीजों की संख्या 10,700 तक पहुंच गई थी. जिस कारण देश के लगभग 80 प्रतिशत अस्पताल बंद हो गए थे.
Sudan: लाखों बच्चें भूखमरी का शिकार
UN की रि पोर्केट मुताबिक युद्ध के कारण सूडान में वर्तमान में लगभग 18 मिलियन लोग भुखमरी से गुजर रहे हैं, जिनमें 5 मिलियन लोग इमरजेंसी लेवल पर हैं. रिपोर्ट के मुताबिक 5 साल से कम उम्र के 3.5 मिलियन बच्चे यानी हर सातवां बच्चा गंभीर रूप से कुपोषण का शिकार हो चुका है और यहां का मृत्यु दर भी बेहद भयानक है.
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प्रभावित हो रही शिक्षा
हाल ही में यूनिसेफ की आई एक रिपोर्ट के अनुसार सूडान में चल रहे गृहयुद्ध का असर यहां के बच्चों के भविष्य पर भी पड़ रहा है. बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे जिस कारण उनकी पढ़ाई रुक गई है.
इस रिपोर्ट के अनुसार यहां के लगभग 19 मिलियन स्कूली उम्र के बच्चों में से 90 फीसदी से ज्यादा बच्चों के पास औपचारिक रूप से शिक्षा की पहुंच नहीं है. (Sudan) जाहिर है कि इससे इस देश के भविष्य में सबसे बड़ा संकट पैदा हो सकता है.
UNICEF के डिप्टी एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर टेड चाइबन ने इसी रिपोर्ट में कहा कि सूडान में कुपोषण से ग्रसित आधे से ज्यादा बच्चे युद्ध वाले क्षेत्र से हैं, जहां पर आम सुविधाएं मुहैया करवा पाना बेहद मुश्किल है. उनके मुताबिक भुखमरी और कुपोषण यहां के बच्चों को बीमारी और मौत की तरफ धकेल रही है.
1 साल से चल रही जंग
देश की ऐसी हालत के बाद भी जनरल अब्देल फत्तह अल बुरहान के नेतृत्व वाली सेना और मोहम्मद हमदान दगालो के समर्थन वाली अर्धसैनिक बल- रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के बीच जंग चल जारी है.
ऐसे में इस रिपोर्ट में विस्तार से समझते हैं कि आखिर इस संघर्ष की शुरुआत अब और कसै हुई…
कैसे शुरू हुआ संघर्ष
15 अप्रैल 2023 को सूडानी सशस्त्र बल प्रमुख (SAF) अब्देल फतह अल-बुरहान और उनके पूर्व डिप्टी मोहम्मद हमदान डागलो, अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RFS) के कमांडर के बीच सत्ता को लेकर जंग छिड़ गई थी. जिस का हरजाना पूरा देश चुकाना पड़ रहा है.
सूडान में SAF और RFS के बीच सत्ता और ताकत की लड़ाई नई नहीं है. सूडान को साल 1956 में आजादी मिली थी. उसके बाद से अबतक 35 बार इस देश में तख्तापलट या तख्तापलट की कोशिश हो चुकी है. (Sudan) ये किसी भी अन्य अफ्रिकी देश से अधिक है.
जब साल 2019 में लंबे समय तक तानाशाह उमर अल-बशीर के खिलाफ विद्रोह हुआ और उनको सत्ता से बेहखदल कर एक सैन्य-नागरिक संक्रमणकालीन सरकार बनाई गई, तो सूडानी नागरिकों में एक उम्मीद जगी थी. उन्हें उम्मीद थी कि उनका देश लोकतांत्रिक शासन में परिवर्तित हो जाएगा.
लेकिन सूडान के नागरिकों की उम्मीदें अक्टूबर 2021 में धराशायी हो गईं जब अब्देल फतह अल-बुरहान ने संक्रमणकालीन सरकार में अपने नागरिक समकक्षों के खिलाफ तख्तापलट कर दिया. इसके बाद से ही सेना और अर्धसैनिक बल आमने-सामने हैं
फिल्हाल देश को सॉवरेन काउंसिल के ज़रिए सेना और आरएसएफ चला रहे हैं. हालांकि सरकार की असली कमान सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान के हाथों में है.
वे एक तरह से देश के राष्ट्रपति हैं. वहीं सॉवरेन काउंसिल के डिप्टी और आरएसएफ़ प्रमुख मोहम्मद हमदान दगालो देश के दूसरे नंबर के नेता हैं. इन्हीं दोनों के बीच सारी लड़ाई है. मुख्य विवाद सेना और अर्धसैनिक बल ‘आरएसएफ’ के विलय को लेकर है.
विवाद के बीच सबसे बड़ा सवाल है कि करीब एक लाख की तादाद वाली रैपिड सपोर्ट फ़ोर्स का अगर सेना में विलय हो जाता है तो सभी का नेतृत्व कौन करेगा. क्या सारी शक्ति जनरल अब्देल फत्तह अल बुरहान के हाथों में होगी या मोहम्मद हमदान दगालो के हाथों में.
इन देशों में भी चल रही है जंग
वर्तमान में विश्व में जंग के चार मोर्चे खुल गए हैं. इसमें रूस और यूक्रेन का नाम सबसे पहले आता है. यहां सालों से जंग चल रही है, तो वहीं इजरायल भी हमास से लड़ रहा है तो दूसरी तरफ अब ईरान सामने है. इसके अलावा यमन में सऊदी अरब की ईरान से अलग लड़ाई है.