international Relation: आज के समय में भारत काफी बदल चुका है. पहले जैसा कहीं कुछ नहीं रहा. बदलते हुए भारत में सैन्य से लेकर हर क्षेत्र में एक अलग प्रकार का बदलाव हो चुका है. चाहें वो देश के अंदर की बात हो या विदेश नीति की, दोनों जगहों पर अभूतपूर्व बदलाव देखे जा सकते हैं. हाल फिलहाल देखें तो भारत की विदेश नीति भी काफी बदली है. पहले कभी विदेश से कोई टिप्पणी होती थी, तो उस पर सिर्फ प्रतिक्रिया आती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है. (international Relation) बदले हुए भारत में देश की घरेलू नीति और विदेश नीति का कमाल है कि अब उन देशों को फटकार लगाई जाती है और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप ना करने की नसीहत भी दी जाती है. आज के बदलते दौर में भारत हरेक प्रतिकूल टिप्पणी की प्रतिक्रिया और जवाब काफी तेजी से दे रहा है.
international Relation: आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं स्वीकार्य
भारत के आंतरिक मामलों में दूसरे देशों का बिल्कुल ही हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं होगा. जिस तरह से पिछले कुछ सालों में विदेश नीति में बदलाव आया है सीधे तौर पर उसका फायदा दिख रहा है. चाहे वो अंतरराष्ट्रीय व्यापार हो या अन्य देशों के साथ रणनीतिक-कूटनीतिक संबंधों का मामला हो. अभी हाल में ही नागरिकता संशोधन कानून, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी तथा कांग्रेस के बैंक खातों में फ्रीज लगाने के मामले में अमेरिका ने टिप्पणी की थी. (international Relation) इसके जवाब में भारत के दिल्ली में स्थित अमेरिकी मिशन के कार्यवाहक उप-प्रमुख को बुलाकर फटकार लगाई, और कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए. एक बार फटकार से बाज नहीं आने के बाद भारत ने दूसरी बार अमेरिका को फटकार लगाई है और कहां है कि भारत की चुनावी और न्यायिक प्रक्रिया में किसी बाहरी देश का टीका-टिप्पणी करना पूरी तरह से गलत है. भारत को अपने लोकतंत्र और संविधान पर पूरी तरह से भरोसा है. भारत को अपनी संस्थाओं पर पूरा भरोसा है और इस पर दूसरे का ज्ञान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
जर्मनी को भी लगाई फटकार
भारत ने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने और दखल देने के मामले में ना सिर्फ अमेरिका बल्कि जर्मनी को भी फटकार लगाई है. अमेरिका, जो पिछले दो सालों से यूक्रेन और रूस के बीच के युद्ध नहीं रोक पाया, गाजा पट्टी की लड़ाई का समाधान करने में कोई रास्ता नहीं निकाल पाया, वो आज भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है. (international Relation) इस मामले में अमेरिका की बयानबाजी के बाद भारत पहले ही उसे अनुचित और अस्वीकार्य ठहरा चुका है. जर्मनी के विदेश मंत्रालय को खैर फटकार के बाद सुध आयी और उसके एक प्रवक्ता ने केजरीवाल की गिरफ्तारी पर टिप्पणी करने से मना कर दिया. (international Relation) अमेरिकी टिप्पणी में कहा गया कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है. और हम उम्मीद करते हैं कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांत से संबंधित सभी मानकों का पालन किया जाएगा. उसके बाद भारत ने अमेरिकी मिशन के कार्यवाहक उप-प्रमुख को बुलाकर फटकार लगाई और कहा कि भारत इसे न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप के रूप में इसे देखता है. भारत कानून का पालन करने वाला एक मजबूत लोकतंत्र वाला देश है, जैसा कि देश में और लोकतांत्रिक दुनिया में अन्य जगहों पर कानूनी मामलों में होता है. भारत का कानून तत्काल मामले में अपना काम अपने हिसाब से करेगा. इस संबंध में की गई पक्षपातपूर्ण धारणाएं अत्यंत अनुचित है और ऐसा नहीं होना चाहिए.
आंतरिक मामलों में भारत खुदमुख्तार
भारत के आंतरिक मामलों में कई देश टिप्पणी करते हैं, लेकिन भूल जाते हैं कि भारत अब जैसे को तैसा देता है, उसी भाषा में जवाब देता है, जिसमें सवाल किया जाए. (international Relation) फरवरी महीने में संयुक्त राष्ट्र्र की मानवाधिकार परिषद के 55वें सत्र में पाकिस्तान ने कश्मीर को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे. उस समय तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन किया था. उसके बाद भारत की प्रतिनिधि अनुपमा सिंह ने तुर्की के टिप्पणी करने पर प्रतिरोध जताया था. 2024 के जनवरी माह में चीन और अन्य देशों के समर्थन के बाद मालदीव ने भी भारत और प्रधानमंत्री के खिलाफ टिप्पणी की थी. तब भी भारत ने कड़े तौर पर फटकार लगाई. हालांकि अभी भारत के कड़ा रुख अपनाने के कारण मालदीव की अर्थव्यवस्था करीब 30 फीसद तक कम हो गई है. अभी हाल में ही भारत से मालदीव के राष्ट्रपति ने मदद की गुहार लगाई थी. पाकिस्तान को भी विश्व में हर जगह पर भारत के मामले में बोलने पर मुंह की खानी पड़ी है. भारत और नेपाल के बीच में व्यापार होने और विकास का काम होने के कारण चीन ने भारत और नेपाल को लेकर सितंबर 2023 में टिप्पणी की थी तब नेपाल के विदेश मंत्रालय ने चीन को फटकार लगाई थी. (international Relation) उस समय भारत ने भी कड़ा प्रतिरोध जताया था. चीन भी कश्मीर को लेकर टिप्पणी कर चुका है और हर बार भारत ने उसका विरोध किया है.
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भारत की नीति बराबरी की
भारत की विदेश नीति अपने राष्ट्रीय हितों का पालन करते हुए सभी राष्ट्रों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखने के सिद्धांत पर काम करती है. भारत हमेशा दुनिया में शांति और स्थिरता का समर्थक रहा है. (international Relation)भारत की विदेश नीति लोकतंत्र के मूल्यों, मानवाधिकारों के सम्मान और बहुपक्षवाद पर काम करता है. देखा जाए तो भारत किसी दूसरे देश के आंतरिक मामलों में कभी टिप्पणी नहीं करता. (international Relation) वो सिर्फ अपने देश के विकास और दूसरे देशों में रह रहे लोगों के बारे में बात करता है, लेकिन कुछ देश भारत की आंतरिक मामलों मे घुसकर चौधराहट दिखाते हैं, जिसका भारत हमेशा से विरोध करते रहा है.