India Pakistan War: पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है। सीमा पर हलचलें तेज़ हैं, और राजनीतिक गलियारों में युद्ध की आशंकाएं खुलकर सामने आ रही हैं। भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। दोनों देशों के पास ऐसे बम हैं जो पलभर में शहर के शहर मिटा सकते हैं। ऐसे हालात में अगर परमाणु हमला होता है, तो क्या होगा? क्या सचमुच यह दुनिया तबाही के कगार पर पहुँच सकती है? और क्या ये ‘विनाश का अस्त्र’ भी कभी खराब होता है? आइए, इन सभी सवालों का जवाब जानते हैं।

India Pakistan War: क्या परमाणु बम भी हो सकता है ‘Expire’?
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बहुत कम लोग जानते हैं कि परमाणु बम की भी एक “शेल्फ लाइफ” होती है। परमाणु बम में प्रयुक्त प्लूटोनियम या यूरेनियम जैसे रेडियोधर्मी तत्व समय के साथ अपनी प्रभावशीलता खोते हैं। आमतौर पर एक परमाणु हथियार की उम्र 20 से 30 साल मानी जाती है, लेकिन समय-समय पर इसका रखरखाव और री-एन्हांसमेंट (पुनः सक्रिय करना) ज़रूरी होता है। अगर इन्हें समय पर मेंटेन न किया जाए, तो या तो यह बम फटने के काबिल नहीं रहते या फिर अनियंत्रित ढंग से प्रतिक्रिया दे सकते हैं। हालांकि, बड़े देश जैसे अमेरिका, रूस, या भारत समय-समय पर इन हथियारों की मेंटेनेंस और मॉडर्नाइजेशन करते रहते हैं।

कितना भयंकर होता है एक परमाणु विस्फोट?
एक सामान्य परमाणु बम जो दूसरे विश्व युद्ध में हिरोशिमा पर गिराया गया था, उसकी ताकत थी लगभग 15 किलोटन TNT के बराबर। आज के मॉडर्न परमाणु हथियार उससे सैकड़ों गुना ज़्यादा शक्तिशाली हैं — कुछ तो 1 मेगाटन से भी अधिक ताकतवर। एक मेगाटन का विस्फोट 1 मिलियन टन TNT के बराबर होता है, जो किसी बड़े शहर को चंद सेकंड में खाक कर सकता है। परमाणु बम के फटने से सिर्फ विस्फोट नहीं होता — वहषणक गर्मी, रेडिएशन और शॉक वेव्स इतनी घातक होती हैं कि कई किलोमीटर की दूरी तक हर चीज जलकर राख हो जाती है। सोचिए, अगर ऐसा बम दिल्ली, लाहौर या इस्लामाबाद जैसे शहर पर गिराया जाए तो क्या होगा? पूरा शहर पलभर में जलकर राख हो जाएगा।
क्या असर होता है आने वाली पीढ़ियों पर?
परमाणु हमले का सबसे खतरनाक पहलू होता है रेडियोधर्मी विकिरण (Radiation)। विस्फोट के तुरंत बाद और उसके वर्षों तक वातावरण में फैले विकिरण के कारण मनुष्यों में कैंसर, जन्म दोष, मानसिक विकृति, और अनुवांशिक समस्याएं पैदा हो सकती हैं। हिरोशिमा और नागासाकी में जन्म लेने वाली दूसरी और तीसरी पीढ़ी तक पर इसके असर देखे गए हैं।
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रेडियोधर्मी कण मिट्टी, पानी और हवा में लंबे समय तक रहते हैं — कभी-कभी सैकड़ों वर्षों तक। इसका मतलब है कि सिर्फ एक बार हुए हमले का असर कई दशकों तक आने वाली नस्लों को भुगतना पड़ता है। जापान में आज भी कुछ इलाकों में बच्चों के जन्म के समय गंभीर विकार देखे जाते हैं — 80 साल बाद भी। सोचिए, अगर भारत और पाकिस्तान के बीच ऐसा कोई हमला होता है तो करोड़ों लोगों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।

क्या होगा अगर भारत और पाकिस्तान में हो जाए परमाणु युद्ध?
विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर भारत और पाकिस्तान के बीच सीमित स्तर पर भी परमाणु युद्ध होता है, तो इसमें लाखों जानें तुरंत जा सकती हैं। अनुमान है कि 100 से अधिक शहरों पर हमले होने की स्थिति में करीब 2 करोड़ लोग सीधे मारे जा सकते हैं। लेकिन इससे भी खतरनाक होगा “परमाणु सर्दी” (Nuclear Winter)। इतने बड़े विस्फोटों से उठने वाला धुआं सूर्य की रोशनी को रोक देगा, जिससे पृथ्वी का तापमान गिर जाएगा और कृषि व्यवस्था चरमरा जाएगी। फसलें नहीं उगेंगी, पानी की कमी होगी, और वैश्विक भूखमरी का खतरा उत्पन्न हो जाएगा। परमाणु युद्ध का मतलब सिर्फ एक बार बम गिराना नहीं है।
इसका मतलब है जवाबी हमले। अगर एक देश ने हमला किया, तो दूसरा भी खाली नहीं बैठेगा। इस “Mutually Assured Destruction” यानी परस्पर सुनिश्चित विनाश की नीति ने ही अब तक दुनिया को परमाणु युद्ध से बचाए रखा है। भारत की ‘नो फर्स्ट यूज’ (पहले हमला नहीं करेंगे) नीति अब भी बरकरार है, लेकिन अगर हमला होता है, तो जवाबी कार्रवाई की पूरी ताकत रखता है भारत। वहीं पाकिस्तान की नीति स्पष्ट नहीं है, और यहीसबसे बड़ी चिंता का विषय है।

क्या बचाव संभव है?
सच कहें तो परमाणु हमले के खिलाफ कोई पुख्ता बचाव नहीं होता। अंडरग्राउंड बंकर, विशेष सूट या शेल्टर कुछ हद तक मदद कर सकते हैं, लेकिन व्यापक स्तर पर आम जनता को बचाना लगभग नामुमकिन है। यही कारण है कि परमाणु हथियारों को सिर्फ ‘डिटरेंस’ यानी डराने के लिए रखा जाता है, ताकि कोई देश दुस्साहस न करे।
क्या दुनिया तैयार है इस तबाही के लिए?
संयुक्त राष्ट्र, IAEA और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठन वर्षों से दुनिया को परमाणु हथियारों से मुक्त करने की अपील कर रहे हैं, लेकिन जमीनी सच्चाई ये है कि परमाणु बम अब भी दुनिया के कई देशों के पास हैं। भारत और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के बीच रिश्तों में तनाव जब-जब बढ़ता है, तब-तब परमाणु हमले का डर गहराता है। लेकिन आज जरूरत है शांति और समझदारी की ताकि न केवल आज की पीढ़ी, बल्कि आने वाली नस्लें भी इस विनाशकारी तकनीक से सुरक्षित रह सकें।
परमाणु बम कोई काल्पनिक डर नहीं है, बल्कि एक भयानक हकीकत है। इसकी उम्र भले सीमित हो, लेकिन इसका असर पीढ़ियों तक रहता है। पहलगाम जैसे आतंकी हमले भले गुस्से और बदले की भावना को भड़काते हों, लेकिन जवाबी कार्रवाई में विवेक और कूटनीति ही सबसे बड़ा हथियार होना चाहिए — वरना तबाही सिर्फ दुश्मन की नहीं, अपनी भी होगी।