Hindenburg Row: अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पर एक बार फिर देश में बवाल मचा हुआ है। अमेरिकी शॉर्ट सेलर ने नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर उन ऑफशोर फंड्स में निवेश करने का आरोप लगाया है, जिनका इस्तेमाल कथित तौर पर अदाणी समूह के शेयरों में तेजी लाने के लिए किया गया था। हालांकि, बुच दंपती ने आरोपों को नकारते हुए कहा है कि सभी निवेश की जानकारी का खुलासा नियमों के अनुसार किया गया है।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद विपक्ष ने सेबी प्रमुख के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी है। वहीं, सेबी प्रमुख और अदाणी समूह ने इस मामले में अपना पक्ष रख दिया है। (Hindenburg Row) इसके अलावा, भाजपा ने भी हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं। (Hindenburg Row) पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस, विपक्षी गठबंधन के लोग और उन्हें प्रमोट करने वाले टूल किट के लोग भारत को आर्थिक रूप से अस्थिर करने के षड्यंत्र में जुटे हैं।
हिंडनबर्ग रिसर्च एक वित्तीय शोध करने वाली कंपनी है, जो इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव मार्केट के आंकड़ों का विश्लेषण करती है। इसकी स्थापना साल 2017 में नाथन एंडरसन ने की थी। हिंडनबर्ग रिसर्च हेज फंड का कारोबार भी करती है। इसे कॉरपोरेट जगत की गतिविधियों के बारे में खुलासा करने के लिए जाना जाता है। इस कंपनी का नाम हिंडनबर्ग आपदा पर आधारित है जो 1937 में हुई थी, जब एक जर्मन यात्री हवाई पोत में आग लग गई थी, जिसमें 35 लोग मारे गए थे।
कंपनी के दावे के अनुसार, फर्म यह पता लगती है कि क्या शेयर मार्केट में कहीं गलत तरीके से पैसों की हेरा-फेरी तो नहीं हो रही है? क्या कोई कंपनी अकाउंट मिसमैनेजमेंट तो खुद को बड़ा नहीं दिखा रही है? क्या कंपनी अपने फायदे के लिए शेयर मार्केट में गलत तरह से दूसरी कंपनियों के शेयर को बेट लगाकर नुकसान तो नहीं पहुंचा रही?
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10 अगस्त को हिंडनबर्ग ने सेबी प्रमुख सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच और अदाणी ग्रुप के संबंध में 46 पन्नों की एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सेबी की चेयरपर्सन बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा और मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था। (Hindenburg Row) फर्म ने कहा कि ये वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अदाणी ने पैसों की हेराफेरी करने और समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था। विनोद अदाणी, अदाणी समूह के चेयरपर्सन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं।
रिपोर्ट का दावा है कि बुच दंपती ने मॉरीशस की उसी ऑफशोर कंपनी में निवेश किया है, जिसके जरिए भारत में अदाणी ग्रुप की कंपनियों में निवेश करवाकर अदाणी ने लाभ उठाया था। (Hindenburg Row) संस्था ने कहा कि इसे व्यापार का गलत तरीका माना जाता है।
अमेरिकी कंपनी ने आगे कहा कि सेबी को अदाणी मामले से संबंधित फंडों की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया था, जिसमें बुच द्वारा भी निवेश किया गया था। यही पूरी जानकारी हमारी रिपोर्ट में उजागर की गई है। यह स्पष्ट है कि सेबी प्रमुख और अदाणी ग्रुप के हित एक-दूसरे से जुड़े हुए थे। यह हितों का एक बड़ा टकराव है।
बुच दंपती ने हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को बेबुनियाद बताया है। बुच दंपती ने 11 अगस्त को जारी एक बयान में कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च के इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है। (Hindenburg Row) उन्होंने कहा कि हमारा जीवन और वित्तीय स्थिति एक खुली किताब है। अगर अथॉरिटी किसी डॉक्यूमेंट की मांग करती है तो हम उसे पूरा करेंगे। (Hindenburg Row) उन्होंने आगे कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिसके खिलाफ सेबी ने एक्शन लिया और कारण बताओ नोटिस भेजा, वो इसके जवाब में गलत आरोप लगा रहा है।
बुच दंपति ने कहा कि ये निवेश 2015 में किए गए थे, जो 2017 में सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति और मार्च 2022 में चेयरपर्सन के रूप में उनकी पदोन्नति से काफी पहले का समय है। ये निवेश ‘सिंगापुर में रहने के दौरान निजी तौर पर आम नागरिक की हैसियत से’ किए गए थे। सेबी में उनकी नियुक्ति के बाद ये कोष ‘निष्क्रिय’ हो गए।
इसके अलावा बाजार नियामक सेबी ने भी आरोपों पर जवाब दिया है। (Hindenburg Row) सेबी ने कहा है कि उसने अदाणी समूह के खिलाफ लगे सभी आरोपों की जांच की है। वहीं चेयरपर्सन ने संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों से खुद को अलग कर लिया था।
Hindenburg Row: अदाणी समूह ने रिपोर्ट पर क्या प्रतिक्रिया दी है?
अदाणी समूह ने भी इस रिपोर्ट पर 11 अगस्त को बयान जारी किया। उसका कहना है कि हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए नए आरोप दुर्भावनापूर्ण, शरारती और बहकाने के मकसद से लगाए गए हैं। अदाणी समूह ने कहा, ‘आगे कहा, ‘हम अदाणी समूह के खिलाफ लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं। यह आरोप गलत दावों की पुनरावृत्ति है, जिनकी पूरी तरह से जांच की गई और निराधार साबित हुए। इस साल जनवरी में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पहले ही इन आरोपों को खारिज कर दिया गया है।’
पहले किन रिपोर्ट्स को लेकर चर्चा में रहा हिंडनबर्ग?
बुच दंपती और अदाणी समूह कोई पहला नहीं है जिसपर अमेरिकी फर्म ने रिपोर्ट जारी की है। (Hindenburg Row) इससे पहले इसने अमेरिका, कनाडा और चीन की कई ज्यादा कंपनियों को लेकर अलग अलग रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसके बाद काफी घमसान मचा। ज्यादातर कंपनियां अमेरिका की ही थीं, जिनपर अलग-अलग आरोप लगे।
हिंडनबर्ग की सबसे चर्चित रिपोर्ट अमेरिका की ऑटो सेक्टर की बड़ी कंपनी निकोला को लेकर रही। इस रिपोर्ट के बाद निकोला के शेयर 80 फीसदी तक टूट गए थे। निकोला को लेकर जारी रिपोर्ट में व्हिसलब्लोअर और पूर्व कर्मचारियों की मदद से कथित फर्जीवाड़े को उजागर किया गया था। निकोला के संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष ट्रेवर मिल्टन ने तुरंत कंपनी से इस्तीफा दे दिया। रिपोर्ट के बाद कंपनी जांच के दायरे में आई गई।
हिंडनबर्ग की खुद की विश्वसनीयता को लेकर भी सवाल खड़े होते रहे हैं। फोर्ब्स मैगजीन के मुताबिक, अमेरिकी न्याय विभाग ने दर्जनों बड़े शॉर्ट सेलिंग निवेश और शोध फर्मों की जांच शुरू की थी। (Hindenburg Row) इनमें मेल्विन कैपिटल और संस्थापक गेबे प्लॉटकिन, रिसर्चर नैट एंडरसन और हिंडनबर्ग रिसर्च सोफोस कैपिटल मैनेजमेंट और जिम कारुथर्स भी शामिल हैं। (Hindenburg Row) विभाग ने 2021 के अंत में लगभग 30 शॉर्ट-सेलिंग फर्मों के साथ-साथ उनसे जुड़े तीन दर्जन व्यक्तियों के बारे में जानकारी जुटाई थी। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, संघीय अभियोजक ने इस बात की जांच शुरू की थी कि क्या शॉर्ट-सेलर्स ने समय से पहले नुकसान पहुंचाने वाली शोध रिपोर्ट साझा करके और अवैध व्यापार रणनीति में शामिल होकर शेयर की कीमतों को कम करने की साजिश रची थी।