Excise Policy Case: दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी व रिमांड आदेश को चुनौती देने वाली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में आज बुधवार को सुनवाई हो रही है। (Excise Policy Case) पिछली सुनवाई पर न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि यह पहली बार नोटिस जारी करने के लिए आया है। पहला बिंदु गिरफ्तारी की आवश्यकता है। (Excise Policy Case) जून में सीबीआई द्वारा मुझे गिरफ्तार करने का कोई सवाल ही नहीं था क्योंकि सीबीआई की एफआईआर अगस्त 2022 की है। गिरफ्तारी और इसके बाद रिमांड आदेश को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने चुनौती दी है।
Excise Policy Case: पढ़ें सिंघवी की दलीलें-
सीबीआई मामले में गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर केजरीवाल की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सीबीआई के पास गिरफ्तार करने के लिए कोई सुबूत नहीं था। सीबीआई ने सिर्फ इस रूप में गिरफ्तारी की थी कि अगर केजरीवाल बाहर आते हैं तो यह एक अतिरिक्त गिरफ्तारी है। केजरीवाल के पक्ष में तीन रिलीज ऑर्डर हैं।
सिंघवी ने कहा कि जून में रिहाई और पुनः आत्मसमर्पण का कार्य ही ट्रिपल टेस्ट की पूर्ण संतुष्टि को दर्शाता है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते उन्हें अनिश्चित काल के लिए अंतरिम जमानत पर रिहा करना उचित समझा है।
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सिंघवी ने तर्क दिया कि केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नियमित जमानत मिल चुकी है, जिस पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। जिस पर अदालत पर निर्णय होगा। (Excise Policy Case) वहीं, केजरीवाल को शीर्ष अदालत से अंतरिम जमानत मिल चुकी है। ऐसे में सीबीआई की गिरफ्तारी इसी का परिणाम हैं।
सिंघवी ने कहा कि कुछ तारीखों को देखना जरूरी है। 17 अगस्त 2022 में हुई प्राथमिकी में केजरीवाल का नाम नहीं है। इसके बाद 14 मार्च 2023 को केजरीवाल को समन भेजा गया और मैं समन पर पेश हुआ। सीबीआई ने बीते 240 दिनों में मुझसे पूछताछ की जरूरत नहीं समझी।
सिंघवी ने कहा कि सामान्य ज्ञान के अनुसार इस परिस्थिति में केजरीवाल को गिरफ्तार करने की जरूरत नहीं थी। वह भी तब जब निचली अदालत ने 20 जून को केजरीवाल को नियमित जमानत दे दी। सीबीआई पूरे मामले में 26 जून को सक्रिय हुई। अचानक से केजरीवाल सीबीआई के लिए अहम हो गए और वह उनकी कस्टडी की मांग करती है।
सिंघवी ने कहा कि 12 जुलाई को केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से ईडी मामले में अंतरिम जमानत मिल गई। (Excise Policy Case) ऐसे में सीबीआई की गिरफ्तारी के कारण केजरीवाल वहीं पर हैं, जहां थे, क्योंकि जांच एजेंसियां किसी भी हथकंडे से केजरीवाल को सलाखों के पीछे रखना चाहती है।
सिंघवी ने तर्क दिया कि ऐसे में मेरा प्वाइंट यह है कि दो साल तक चुप बैठने वाली सीबीआई केजरीवाल को अदालत से राहत मिलने के बाद क्यों सक्रिय हुई।
सिंघवी ने कहा कि मेरा दूसरा प्वाइंट यह है कि आप स्वतंत्रता के सबसे व्यापक मौलिक अधिकार और कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए केजरीवाल के साथ ऐसा व्यवहार नहीं कर सकते।
सिंघवी ने कहा कि सीबीआई अनुच्छेद 21 के तहत प्रक्रिया का पूर्ण उल्लंघन कर रही है। (Excise Policy Case) केजरीवाल पहले से ही ईडी की हिरासत में हैं। न्यायिक हिरासत में होने पर लगभग दो साल बाद सीबीआई सीआरपीसी की धारा 41ए के संदर्भ में रिमांड पर केजरीवाल से पूछताछ करने के लिए आवेदन करती है।सिंघवी ने कहा कि आखिरकार केजरीवाल आतंकवादी न होकर एक मुख्यमंत्री हैं।
केजरीवाल को आवेदन की प्रति कभी नहीं मिलती और कोई नोटिस नहीं दिया गया है, केजरीवाल की बात नहीं सुनी गई।कोर्ट: क्या सीबीआई में औपचारिक गिरफ्तारी नहीं होती? (Excise Policy Case) सिंघवी ने जवाब दिया कि ट्रायल कोर्ट ने केजरीवाल को चार दिन पहले ही पीएमएलए के तहत नियमित जमानत दी है। हमें गर्व है कि हम वह देश नहीं हैं जहां तीन दिन पहले इमरान खान रिहा हुए, सबने अखबार में पढ़ा और उन्हें एक और मामले में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। हमारे देश में ऐसा नहीं हो सकता।