Donald Trump tariff policy case: अमेरिका में आज बहुत महत्वपूर्ण और बड़ा दिन है। आज US के सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति Donald Trump से जुड़े एक मामले की सुनवाई की जाएगी। ये केस ट्रंप द्वारा तमाम देशों पर लागू किये ‘टैरिफ’ को लेकर है, जिसपर पूरे विश्वभर के कई देशों में ये विषय काफी गंभीर बना हुआ है। केस के दौरान इस पर बहस होनी है जो कि इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनोमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) के अंतर्गत दी गई ताकतों का गलत तरीके से प्रयोग किया गया है या नहीं? (Donald Trump tariff policy case) ऐसे में ट्रंप आज अब यह फैसला हो जाएगा कि ट्रंप की किस्मत अच्छी है या नहीं! क्योंकि यदि मामला खिलाफ गया तो अमेरिकी सरकार को टैरिफ के नाम पर लगाई कई अरबों की फीस हर देश को एक-एक करके वापस लौटाना पड़ेगा।
Donald Trump tariff policy case: कितने अरब डॉलर लौटाएंगे Trump?
अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में एक केस पर आज 05 नवंबर 2025 यानि बुधवार को सुनवाई की जाएगी। ट्रंप इस अग्नि परीक्षा को लेकर बहुत ही कॉन्फिडेंस में नज़र आ रहे हैं। उन्होंने सुनवाई से ठीक एक दिन पहले इसको देश के इतिहास का सबसे बड़ा केस बताया है। (Donald Trump tariff policy case) मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यदि यह फैसला ट्रंप के खिलाफ हुआ है तो उन्हें आयातकों के तकरीबन 100 अरब डॉलर लौटाना पड़ेगा।
India-China से कितने वसूले?
PWC के एक अनुमान के मुताबिक, अक्टूबर महीने के अंत तक अमेरिका ने लगभग 108 अरब डॉलर टैरिफ वसूले, जिसमें चीन का सबसे अधिक हिस्सा, जो करीब 34 अरब डॉलर का है। (Donald Trump tariff policy case) इसके अलावा PWC के मुताबिक भारत के मामले में ये आंकड़ा लगभग 48.7 करोड़ डॉलर है।
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Trump के खिलाफ केस लड़ेंगे ये भारतीय मूल के वकील
इस केस में ट्रंप के खिलाफ भारतीय मूल के बेहद जाने माने वकील नील कत्याल दलील पेश करेंगे। मुख्य वकील के तौर पर ये तर्क पेश करेंगे कि टैक्स और टैरिफ लगाने का अधिकार राष्ट्रपति को छोड़कर कांग्रेस के पास होना चाहिए। ट्रंप ने कह दिया है कि यदि ये केस हार जाते हैं तो अमेरिका की स्थित थर्ड वर्ल्ड देशों की तरह से हो जाएगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायालय में सामान्य मामलों में सुनवाई के लिए लगभग 60 मिनट का वक़्त दिया जाता है लेकिन ट्रंप से जुड़े इस केस की सुनवाई करीब 80 मिनट तक चलेगी। बता दें कि सत्ता की जिम्मेदारी संभालने के बाद से राष्ट्रपति ट्रंप ने विश्व के कई देशों से बात मनवाने के लिए टैरिफ को ही ‘डिप्लोमेसी ‘के तौर पर प्रयोग करना आरम्भ कर दिया है। उन्होंने भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए जानबूझकर टैरिफ लगाया था। अब ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी को कई जगहों पर ‘बुलींग नीति’ कहा जाने लगा था।
