Chaitra Navratri Mata ki Sawari: हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में चार नवरात्रि आती हैं, जिनमें से चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। यह नवरात्रि साल की पहली नवरात्रि है और इसे वसंत नवरात्रि भी कहा जाता है।
इस साल 2024 में चैत्र नवरात्रि 8 अप्रैल, सोमवार से शुरू होकर 16 अप्रैल, रविवार तक चलेगी।
Chaitra Navratri Mata ki Sawari: चैत्र नवरात्रि इस बार मातारानी की सवारी क्या है
इस बार माता घोड़े पर सवार होकर आएगीं। अगर नवरात्रि की शुरुआत मंगलवार से हो तो कहा जाता है कि मां की सवारी घोड़ा होती है। (Chaitra Navratri Mata ki Sawari) इसे शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इससे राष्ट्र में प्राकृतिक आपदा आदि की संभावना बढ़ जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्र के समय में पूरे विधि-विधान के साथ देवी के नौ रूपों की पूजा करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। इस बार चैत्र नवरात्रि अप्रैल में शुरू होंगे। दरअसल इस बार प्रतिपदा तिथि 8 मार्च को रात से लग रही है, इसलिए उदया तिथि के कारण नवरात्रि 9 अप्रैल से शरू होंगे और 17 अप्रैल को राम नवमी मनाई जाएगी।
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना के लिए मुहूर्त
इस बार नवरात्रि पर कलश स्थापना के लिए सिर्फ 50 मिनट का समय मिल रहा है। कलश स्थापना 9 अप्रैल को सुबह 06:12बजे से 10:23 बजे सुबह तक कर सकते हैं। (Chaitra Navratri Mata ki Sawari) यह सामान्य मुहूर्त है, जिसमें 4 घंटे 11 मिनट कलश स्थापना के लिए मिल रहे हैं। (Chaitra Navratri Mata ki Sawari) घटस्थापना अभिजित मुहूर्त दोपहर 12:03 बजे से 12:53 दोपहर बजे तक है, इसमें कुल 50 मिनट ही घट स्थापना के लिए मिल रहे हैं। दोनों ही मुहूर्त अच्छे हैं। कलश स्थापना की आवश्यक सामग्री-कलश स्थापना के लिए अनाज, मिट्टी का बर्तन, पवित्र मिट्टी, कलश, गंगाजल, आम या अशोक के पत्ते, सुपारी, जटा वाला नारियल, लाल सूत्र, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, अक्षत, लाल कपड़ा और फूल आदि
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देवी भागवत के अनुसार-
शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा।
शनि भौमदिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला।।
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा।
सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा॥
रविवार या सोमवार को देवी भैंसे की सवारी से जाती हैं तो देश में रोग और शोक बढ़ता है। शनिवार या मंगलवार को देवी मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं, जिससे दुख और कष्ट की वृद्धि होती है।(Chaitra Navratri Mata ki Sawari) बुधवार या शुक्रवार को देवी हाथी पर जाती हैं। इससे बारिश ज्यादा होती है। गुरुवार को मां दुर्गा मनुष्य की सवारी से जाती हैं। इससे जो सुख और शांति की वृद्धि होती है। मां दुर्गा जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं, उसके अनुसार सालभर होने वाली घटनाओं का भी आंकलन किया जाता है।
गजे च जलदा देवी क्षत्र भंग स्तुरंगमे।
नोकायां सर्वसिद्धि स्या ढोलायां मरणंधुवम्।।
देवी जब हाथी पर सवार होकर आती है तो पानी ज्यादा बरसता है। घोड़े पर आती हैं तो पड़ोसी देशों से युद्ध की आशंका बढ़ जाती है। देवी नौका पर आती हैं तो सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और डोली पर आती हैं तो महामारी का भय बना रहता हैं।