Vladimir Putin in China: पांचवी बार राष्ट्रपति बनने के बाद रूस के प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन गुरुवार सुबह 2 दिवसीय दौरे पर चीन पहुंचे. पुतिन की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब यूक्रेन समेत पश्चिम में संघर्ष की स्थिति है. ये कहीं न कहीं मॉस्को और बीजिंग के बीच गहरे होते संबंधों का बड़ा संकेत है. इस मुलाकात के दौरान दोनों नेता कई बड़े मुद्दों पर चर्चा करेंगे. (Vladimir Putin in China) सीएनएन के अनुसार, शी और पुतिन की बैठकों में व्यापार, सुरक्षा और ऊर्जा संबंधों पर चर्चा के साथ रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ गाजा मामले पर भी चर्चा होनी है.
दोनों देश पश्चिम के साथ मतभेदों के कारण करीब आ रहे हैं. पुतिन के बीजिंग में उतरने से कुछ घंटे पहले ही यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि वह आगामी सभी विदेशी दौरों को रद्द कर देंगे. यात्रा से पहले पुतिन ने चीन के सरकारी मीडिया शिन्हुआ के साथ एक साक्षात्कार में देशों के बीच ‘अभूतपूर्व स्तर की रणनीतिक साझेदारी’ की सराहना की। पुतिन ने यूक्रेन के समाधान के लिए चीन के दृष्टिकोण की भी प्रशंसा की. (Vladimir Putin in China) बता दें कि बीजिंग ने कभी भी रूस के आक्रमण की निंदा नहीं की है. चीन ने कहा है कि दोनों पक्षों की स्थिति को ध्यान में रखा जाना चाहिए. रूस-यूक्रेन संघर्ष की शुरुआत के बाद से दोनों नेताओं ने अपने देशों के राजनयिक, व्यापार और सुरक्षा संबंधों को मजबूत करना जारी रखा है.
Vladimir Putin in China: प्रतिबंध के बाद बढ़ गए थे संबंध
यूक्रेन से युद्ध के बाद अमेरिका ने रूस पर कई प्रतिबंध लगा दिए थे, इसके बाद मॉस्को और बीजिंग के बीच व्यापार बढ़ गया है. क्रेमलिन ने मंगलवार को कहा कि दोनों नेताओं के कई द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर करने की उम्मीद है. दोनों देश अपने राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मानाएंगे.
कई मुद्दों पर रहेगा फोकस
इस यात्रा को काफी विशेष माना जा रहा है, क्योंकि पांचवी बार राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन की यह पहली विदेश यात्रा है. और दोनों देशों के राजनयिक संबंधों को 75 साल पूरा हो रहे हैं. रूस चाहेगा कि चीन के साथ रणनीतिक साझेदारी को और कैसे मजबूत किया जाए, क्योंकि पश्चिम में अलगाव की स्थिति है. (Vladimir Putin in China) अक्टूबर में पुतिन की बीजिंग यात्रा ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के शिखर सम्मेलन के लिए थी, इस प्रॉजेक्ट का उद्देश्य एशिया को अफ्रीका और यूरोप के साथ जमीन और समुद्र से जोड़ना है. इसे व्यापक रूप से शी जिनपिंग की पसंदीदा परियोजना के रूप में देखा जाता है. बता दें कि यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस पर अमेरिका ने कई प्रतिबंध लगाए थे, हालांकि, रूस को कई देशों को समर्थन भी मिला था. दबी जुबान चीन ने भी रूस का पक्ष रखा था. इसलिए इस यात्रा का काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
- Advertisement -
भारत को कितना है खतरा?
चीन हमेशा भारत की जमीन पर अपना दावा करता है, लेकिन इस मामले में रूस ने हमेशा भारत का ही पक्ष रखा है. (Vladimir Putin in China) रूस को भारत का काफी मजबूत दोस्त कहा जाता है, ऐसे में अगर चीन भारत के खिलाफ कोई कदम उठाने की कोशिश करता है तो रूस वहां भारत का पक्ष जरूर रखेगा.