Trump on Kashmir: शनिवार दोपहर प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के सैन्य प्रमुखों के साथ आपात बैठक की, जिसके बाद संकेत मिला कि भारत अब आतंकवादी हमलों को सीधे युद्ध की कार्रवाई के रूप में देखेगा। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर बयान जारी कर भारत और पाकिस्तान के नेताओं को तनाव कम करने के लिए बधाई दी। भारत और पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ़ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) के बीच सीधी बातचीत हुई। इसमें ज़मीन, हवा और समुद्री क्षेत्रों में सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी।

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच चुका था, लेकिन अमेरिका की सक्रिय कूटनीति ने टकराव को टालने में अहम भूमिका निभाई है। (Trump on Kashmir) अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने दोनों देशों के शीर्ष नेताओं से सीधे संपर्क साधा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाक सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर से अलग-अलग बातचीत की। इसके बाद दोनों देशों को आपस में बातचीत के बाद कार्रवाई रोकने की सहमति बनी। (Trump on Kashmir) ट्रंप ने अपने बयान में कश्मीर विवाद के शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद जताई, लेकिन भारत ने किसी भी स्तर पर अमेरिकी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया। हालांकि पाकिस्तान ने सार्वजनिक रूप से ट्रंप का आभार जताया, भारत ने चुप्पी बनाए रखी।
Trump on Kashmir: कश्मीर मुद्दे पर ट्रंप का हस्तक्षेप क्यों?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने हालिया बयान में भारत और पाकिस्तान को ‘महान राष्ट्र’ बताते हुए कश्मीर मुद्दे के समाधान की उम्मीद जताई। (Trump on Kashmir) उन्होंने कहा कि मैं इन दोनों महान राष्ट्रों के साथ मिलकर कश्मीर मुद्दे, जो एक हज़ार वर्षों से विवाद में है, उसका समाधान निकालने की आशा करता हूँ, ताकि क्षेत्र में शांति और समृद्धि कायम हो सके, और अमेरिका तथा विश्व के अन्य देशों के साथ व्यापार बढ़ सके।
हालांकि, भारत की नीति स्पष्ट है कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है और इस पर किसी तीसरे देश की मध्यस्थता को वह स्वीकार नहीं करता। ट्रंप की टिप्पणी को भारत ने न तो सार्वजनिक रूप से सराहा और न ही कोई प्रतिक्रिया दी, जिससे यह संकेत मिलता है कि नई दिल्ली अमेरिकी हस्तक्षेप को महत्व देने से परहेज़ कर रही है।
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अमेरिका के आगे आने की क्या है वजब
विश्लेषकों का मानना है कि भारत अमेरिकी राष्ट्रपति की ओर से की गई सार्वजनिक टिप्पणियों से दूरी बनाए रखना चाहता है, ताकि कश्मीर मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण से बचा जा सके। पूर्व राजनयिक राजीव भाटिया ने कहा कि अमेरिका ने मध्यस्थता नहीं, बल्कि संवाद की सुविधा दी है। (Trump on Kashmir) ट्रंप की भूमिका को ‘ओवररीच’ माना जा सकता है, लेकिन इससे भारत की स्थिति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह संघर्ष कश्मीर नहीं, बल्कि आतंकवाद से जुड़ा था। उन्होंने कहा कि ट्रंप की भूमिका से भारत को कोई सीधा नुकसान नहीं हुआ है, और सोशल मीडिया पर की जा रही टिप्पणियाँ राजनीतिक प्रकृति की हैं।
अमेरिका की पहल के पीछे चिंता यह भी मानी जा रही है कि यदि स्थिति और बिगड़ती, तो पाकिस्तान की सेना उग्र प्रतिक्रिया दे सकती थी। संभवतः इसी वजह से अमेरिका ने पाकिस्तानी सेना पर भारत से बातचीत के लिए दबाव बनाया।