South Korea: दक्षिण कोरिया में महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यून सुक येओल को गिरफ्तार कर लिया है। दक्षिण कोरियाई अधिकारियों ने 3 दिसंबर को मार्शल लॉ के एलान से जुड़े मामलों में कार्रवाई की है। इससे पहले सुबह-सुबह 3,000 से अधिक पुलिस अधिकारी और भ्रष्टाचार विरोधी जांचकर्ता येओल के आवास के पास इकट्ठा हुए। (South Korea) इस दौरान येओल के समर्थक और सत्तारूढ़ पीपुल्स पावर पार्टी के सदस्य सुरक्षाबलों से भिड़ते देखे गए। दोनों के बीच जमकर भिड़ंत हुई। कई लोगों को हिरासत में भी लिया गया। हालांकि, इस हाईवोल्टेज ड्रामा के बीच दक्षिण कोरियाई अधिकारियों ने यून सुक येओल को गिरफ्तार कर लिया।

यून ने भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी के मुख्यालय में ले जाए जाने से पहले रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो संदेश में कहा कि इस देश में कानून का शासन पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है। इससे पहले यून के वकीलों ने जांचकर्ताओं को हिरासत वारंट पर अमल नहीं करने की अपील की थी और कहा था कि राष्ट्रपति स्वेच्छा से पूछताछ के लिए पेश होंगे, लेकिन भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी ने उनके अनुरोध को अस्वीकार कर दिया।

उच्च पदस्थ अधिकारियों से संबंधित भ्रष्टाचार जांच कार्यालय ने कहा कि यून पर कार्रवाई करने के लिए एजेंसी के सैकड़ों कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने उनके आवासीय परिसर में प्रवेश किया और लगभग तीन घंटे बाद उन्हें हिरासत में लिया गया, इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। (South Korea) राष्ट्रपति को गिरफ्तार करने का यह भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी का दूसरा प्रयास था। भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी और पुलिस संयुक्त रूप से यून के मामले की जांच करेंगे कि क्या तीन दिसंबर को यून द्वारा कुछ समय के लिए लागू किया गया मार्शल लॉ विद्रोह के समान था?
इससे पहले यून के वकीलों ने दलील दी कि यून को हिरासत में लेने की कोशिश अवैध है। (South Korea) उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित करने के लिए पूरा षडयंत्र रचा जा रहा है। दरअसल, यून की गिरफ्तारी के लिए जांचकर्ताओं को मिलर वारंट किसी मौजूदा दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के खिलाफ जारी किया गया पहला वारंट है।
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यून की ओर से 3 दिसंबर को मार्शल लॉ के एलान ने दक्षिण कोरियाई लोगों को सकते में डाल दिया था। (South Korea) इसके बाद एशिया के सबसे जीवंत लोकतंत्रों में से एक देश ने अचानक से अभूतपूर्व राजनीतिक उथल-पुथल का दौर देखा। इसके बाद 14 दिसंबर को सांसदों ने उन पर महाभियोग चलाने और उन्हें पद से हटाने के लिए मतदान किया। अब संवैधानिक न्यायालय उस महाभियोग को बरकरार रखने और उन्हें पद से स्थायी रूप से हटाने पर विचार-विमर्श कर रहा है।