Saudi Arabia: सऊदी अरब सरकार ने हाल ही में देश की सभी मस्जिदों और उनके परिसर में इफ्तार करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. यह फैसला रमजान के पवित्र महीने से पहले लिया गया है और इसने लोगों के बीच बहस छेड़ दी है. कुछ लोग इस फैसले का समर्थन करते हैं, तो कुछ इसका विरोध भी करते हैं.
Saudi Arabia: पाबंदी के पक्ष में तर्क
मस्जिदों में इफ्तार से गंदगी फैलती है, जिससे साफ-सफाई का मसला बनता है.
इफ्तार के दौरान भारी भीड़भाड़ होती है, जिससे मस्जिदों में व्यवस्था बनाए रखना मुश्किल हो जाता है.
इफ्तार के आयोजन में अक्सर अमीर और गरीब के बीच भेदभाव होता है.
पाबंदी के खिलाफ तर्क
मस्जिदें सामाजिक समरसता और भाईचारे का प्रतीक हैं, और इफ्तार इस भावना को मजबूत करता है.
मस्जिदों में इफ्तार गरीबों और जरूरतमंदों के लिए भोजन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है.
यह प्रतिबंध लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है.
यह स्पष्ट नहीं है कि सऊदी अरब सरकार ने यह फैसला क्यों लिया है. कुछ लोगों का मानना है कि सरकार मस्जिदों पर अपना नियंत्रण मजबूत करना चाहती है. कुछ लोगों का कहना है कि सरकार सामाजिक समरसता और भाईचारे को बढ़ावा देना चाहती है.
- Advertisement -
इस्लाम में मस्जिद का क्या है सांस्कृतिक महत्व
प्रोफेसर हारिस ने मस्जिद का सांस्कृतिक महत्व बताते हुए कहा, “सबसे पहली मस्जिद का निर्माण काबा में हजरत आदम अलैहिस्सलाम ने कराया था. फिर उनके पुत्रों ने उस संस्कृति को आगे बढ़ाया. ये मान्यता है कि इस्लाम प्रोफेट मोहम्मद से नहीं, बल्कि आदम अलैहिस्सलाम से शुरू होता है.”
इस्लाम की पूरी संस्कृति का केंद्र मस्जिद को माना गया है. मस्जिद में नमाज तो पढ़ी ही जाती है. साथ ही देखा जाए तो इंसान का पूरा जीवन भी मस्जिद से जुड़ा हुआ होता है और यहीं से ही आगे बढ़ती है.
इस्लाम में मस्जिद का क्या है राजनीतिक महत्व
प्रोफेसर हारिस ने कहा कि मस्जिद पर सियासत होना मुद्दा नहीं होना चाहिए. इस्लाम में खुदा को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. इंसान को उसका गुलाम माना जाता है. जब हम उसके सामने झुकते हैं तो कोई इंसान छोटा-बड़ा नहीं होता. मस्जिद में ऐसा भी हुआ है जब किसी जंग-ए-कैदी को गिरफ्तार किया गया तो उसे मस्जिद में लाकर रखा गया. जब वह यहां आते लोगों को नमाज पढ़ते देखता है तो कुछ दिनों में सुधर जाता है.
मस्जिद इबादत की जगह है. यहां किसी से मारपीट या अपराध करने की इजाजत नहीं. राजनीति के लिए मस्जिद का इस्तेमाल किया जाना गलत है. हां, इंसानी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए साफ नीयत से कुछ कामों को यहां से किया जा सकता है.
सऊदी की मस्जिदों में इफ्तार पर प्रतिबंध का फैसला सही या गलत?
प्रोफेसर हारिस ने सऊदी अरब की मस्जिदों में इफ्तार पर प्रतिबंध लगाने के मुद्दे पर भी बात की. उनका कहना है कि सऊदी अरब में हर बार रमजान से पहले ऐसा एक फरमान जारी होता है जिसमें बताया जाता है व्यवस्था कैसे बेहतर की जाए.
उन्होंने आगे कहा, “अक्सर जब मस्जिद के भीतर खाने की व्यवस्था की जाती है तो वहां आए नमाजियों को काफी परेशानी होती है क्योंकि फिर नमाज पढ़ने के लिए जगह कम हो जाती है. इस बार सरकार ने फरमान जारी कर दिया कि खाने पीने का इंतजाम मस्जिद के अंदर नहीं होगा. ये सब कुछ बाहर करिए. इफ्तार के लिए मना नहीं किया गया है. बस मस्जिद में करने के लिए मनाही है. मस्जिद का पहला मकसद इबादत करना है. इसलिए इंतजाम ऐसा होना चाहिए जिससे इबादत के लिए लोगों को परेशानी न हो.”