Pak Army on India: पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा सिंधु जल संधि के कुछ प्रावधानों को निलंबित किए जाने से बौखलाई पाकिस्तानी सेना अब तीखी और उकसाऊ भाषा का इस्तेमाल करने लगी है। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने एक सार्वजनिक सभा में भारत को धमकाते हुए कहा कि ‘अगर आप हमारा पानी रोकेंगे, तो हम आपकी सांसें बंद कर देंगे।’

यह बयान उस समय आया है जब भारत ने 23 अप्रैल को सिंधु जल संधि के तहत सूचना साझा करने जैसे कुछ सहयोगात्मक हिस्सों को रोकने का फैसला किया था। यह कदम जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकी हमले के तुरंत बाद उठाया गया, जिसमें भारत ने सीमा पार आतंकी गतिविधियों को लेकर सख्त प्रतिक्रिया दी थी। (Pak Army on India) जनरल चौधरी की टिप्पणी की तुलना आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख और मुंबई हमलों (2008) के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की भाषा से की जा रही है। (Pak Army on India) सईद का एक पुराना वीडियो, जिसमें वह ठीक ऐसे ही शब्दों का प्रयोग करता दिखता है, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर वायरल हो रहा है।
Pak Army on India: भारत ने बता दिया अपना रुख
विशेषज्ञों के अनुसार, यह बयान न केवल पाकिस्तान की सैन्य नीति में बढ़ती आक्रामकता को दर्शाता है, बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और अधिक बिगाड़ सकता है। गौरतलब है कि सिंधु जल संधि 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी, जो सिंधु और उसकी सहायक नदियों के जल के उपयोग को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति प्रदान करती है। इसमें दोनों पक्षों को नियमित तौर पर जल उपयोग की जानकारी साझा करनी होती है।
भारत का यह रुख साफ है कि ‘खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते’ और वह बातचीत तथा आतंकवाद को एक साथ स्वीकार नहीं करेगा। (Pak Army on India) भारत ने लंबे समय से पाकिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है और अब सिंधु जल संधि के माध्यम से भी दबाव बढ़ाने की रणनीति अपनाई है।
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अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच साझा नदी तंत्र
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच कई साझा नदी बेसिन मौजूद हैं, जो पाकिस्तान की जल सुरक्षा और कृषि व्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
काबुल नदी: यह प्रमुख नदी अफगानिस्तान के हिंदू कुश पर्वतमाला से निकलती है और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में प्रवेश करती है। (Pak Army on India) यह नदी पेशावर, नौशेरा और अटक जैसे इलाकों में सिंचाई और पीने के पानी की आपूर्ति का मुख्य स्रोत है। आगे चलकर यह सिंधु नदी में मिल जाती है।
कुनर नदी: काबुल नदी की सहायक यह नदी भी अफगानिस्तान से निकलती है और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में बहती है। इसका पानी क्षेत्र के निचले इलाकों में कृषि कार्यों के लिए बेहद जरूरी है।
अन्य साझा नदियां: दोनों देशों के बीच कुल 9 नदी बेसिन साझा होते हैं। इनमें गोमल नदी (जो दक्षिण वजीरिस्तान से होकर गुजरती है), पिशिन-लोरा, कंधार-कंद, कदनई, अब्दुल वहाब धारा और कैसर नदी प्रमुख हैं। ये सभी नदियां बलूचिस्तान में सिंधु नदी प्रणाली का हिस्सा बनती हैं और क्षेत्र की जल आवश्यकताओं को पूरा करती हैं।
इन नदी तंत्रों के कारण अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच जल प्रबंधन और सहयोग की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है, खासकर ऐसे समय में जब दक्षिण एशिया जल संकट की आशंका से जूझ रहा है।