Lok Sabha Elections: उत्तर पूर्व दिल्ली लोकसभा क्षेत्र वर्ष 2009 में अस्तित्व में आने के बाद पहले चुनाव में ही सुर्खियों में आ गया था और यह क्षेत्र लगातार सुर्खियां बटोर रहा है। इसका मुख्य कारण यहां से राजनीतिक दलों की ओर से कद्दावर नेताओं को चुनाव लड़ाया जाना है। इस कारण इस क्षेत्र पर दिल्ली की ही नहीं, बल्कि देेश की नजर रहती है। इस सीट से भाजपा ने लगातार तीसरी बार भोजपुरी गायक व प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी का मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने अभी अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है। उम्मीद जताई जा रही है कि कांग्रेस गत तीन बार की तरह इस बार भी किसी कद्दावर नेता को टिकट देगी।
वर्ष 2009 लोकसभा चुनाव से पहले लोकसभा क्षेत्रों का परिसीमन होने के दौरान अस्तित्व में आए उत्तर पूर्व दिल्ली लोकसभा क्षेत्र के तमाम इलाके पहले पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में शामिल थे। (Lok Sabha Elections) इस क्षेत्र में वर्ष 2009 में कांग्रेस ने नवंबर 84 के दंगों के आरोपों में फंसे पूर्व केंद्रीय मंत्री जगदीश टाइटलर को टिकट दिया था। इसके विरोध में एक पत्रकार ने कांग्रेस मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम पर जूता फेंक दिया था। इस घटना के बाद कांग्रेस दबाव में आ गई और उसने टाइटलर को हटा दिया। (Lok Sabha Elections) इसके बाद यहां से कांग्रेस ने अपने राज्यसभा सांसद जयप्रकाश अग्रवाल को उम्मीदवार बनाया। इस तरह यह क्षेत्र पहले चुनाव में ही सुर्खियों में आ गया था। इस चुनाव में भाजपा ने अपने कद्दावर नेता बीएल शर्मा प्रेम को टिकट दिया। इस रोचक भिड़ंत में कांग्रेस बाजी मारने में कामयाब हुई।
वर्ष 2014 में कांग्रेस ने एक बार फिर जयप्रकाश अग्रवाल को मैदान में उतारा, जबकि भाजपा ने भोजपुरी गायक मनोज तिवारी को टिकट दिया। वहीं, पहली बार चुनाव लड़ी आम आदमी पार्टी ने प्रो. आनंद कुमार को उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में भाजपा जीतने में कामयाब हुई और अग्रवाल पहले से तीसरे स्थान पर खिसक गए। उधर, वर्ष 2019 में कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर दांव लगाया, लेकिन यह दांव कामयाब नहीं हुआ। भाजपा के मनोज तिवारी ने उन्हें भी हरा दिया। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी के दिलीप पांंडेय तीसरे स्थान पर रहे। इस बार इस क्षेत्र से आम आदमी पार्टी चुनाव नहीं लड़ रही है। (Lok Sabha Elections) वह इंडिया गठबंधन का हिस्सा है और यह क्षेत्र समझौते में कांग्रेस के हिस्से में आ गया है। इस क्षेत्र में इस बार भाजपा व कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होगा।
Lok Sabha Elections: यमुना पार के मतदाताओं को शीला दीक्षित रास नहीं आई
दिल्ली के मतदाताओं ने कांग्रेस की दिग्गज नेता शीला दीक्षित को लगातार तीन बार वर्ष 1998, 2003 व 2008 में मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन शीला दीक्षित सांसद के तौर पर यमुना पार के मतदाताओं की पसंद नहीं रही। शीला दीक्षित ने वर्ष 1998 में यूपी के कन्नौज की जगह पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा। (Lok Sabha Elections) इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद शीला दीक्षित ने वर्ष 2019 में उत्तर पूर्व दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार भी हार गईं। खास बात यह है कि यमुना पार के मतदाताओं ने उनके बेटे संदीप दीक्षित को निराश नहीं किया। उन्होंने वर्ष 2004 व 2009 में संदीप दीक्षित को अपना सांसद चुना। हालांकि, वर्ष 2014 में वह पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से संदीप चुनाव हार गए थे।