Iran Nuclear Program: इजरायल ने ईरान पर अब तक का सबसे बड़ा सैन्य हमला किया है और इस बार सीधा निशाना बने ईरान के वो परमाणु ठिकाने और सैन्य कैंप जिन पर दुनिया की बरसों से निगाहें टिकी थीं। इजरायल का दावा सीधा है, ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरे मध्य पूर्व के लिए एक टाइम बम है। (Iran Nuclear Program) इस हमले ने पूरी दुनिया में हड़कंप मचा दिया है क्योंकि अमेरिका समेत कई देश मानते थे कि ईरान का कार्यक्रम अभी हथियार बनाने की दिशा में नहीं है। तो फिर क्यों इजरायल ने आग में हाथ डाला।

Iran Nuclear Program: कब और कैसे शुरू हुआ ईरान का परमाणु सफर?
ईरान का परमाणु सफर 1957 में अमेरिका की मदद से ही शुरू हुआ था। तब शाह के शासन में इसका मकसद शांतिपूर्ण ऊर्जा उत्पादन था। लेकिन 1979 की इस्लामिक क्रांति ने सब कुछ बदल दिया। (Iran Nuclear Program) अमेरिका ने समर्थन बंद किया और यहीं से परमाणु कार्यक्रम को लेकर ईरान के इरादों पर शक के बादल मंडराने लगे।
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ईरान ने बेशक संयुक्त राष्ट्र की परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए हैं और वादा किया है कि वह परमाणु हथियार नहीं बनाएगा। (Iran Nuclear Program) लेकिन पिछले कुछ सालों में ईरान द्वारा यूरेनियम का उच्च स्तर पर एनरिचमेंट करना और अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों पर बार-बार पाबंदियां लगाना इन सबने चिंताओं को कई गुना बढ़ा दिया है। अब सवाल यह है कि ईरान, अगर परमाणु हथियार नहीं बना रहा तो इतनी तेजी से एनरिचमेंट क्यों कर रहा है?
क्या है यूरेनियम एनरिचमेंट?
यूरेनियम एनरिचमेंट दरअसल वह प्रक्रिया है जिसमें यूरेनियम-235 की मात्रा बढ़ाई जाती है। अगर आपको बिजली बनानी है तो सिर्फ 3-5% एनरिचमेंट काफी है। लेकिन अगर इरादा परमाणु हथियार बनाने का है तो इसके लिए 90% से अधिक एनरिचमेंट चाहिए। ईरान के पास उन्नत सेंट्रीफ्यूज मशीनें हैं। जिनकी मदद से यह एनरिचमेंट बेहद तेजी से किया जा सकता है।
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लेकिन, ईरान का दावा हमेशा से यही रहा है कि उसका कार्यक्रम केवल ऊर्जा उत्पादन के लिए है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों पर उसकी ओर से लगाई गई पाबंदियां और यूरेनियम का लगातार एनरिचमेंट करना शक की गुंजाइश को बढ़ा रहा है।
इजरायल क्यों है इतना बेचैन?
अगर ईरान सच में परमाणु हथियार बनाने की दिशा में आगे बढ़ता है तो इससे पश्चिम एशिया में पॉवर बैलेंस पूरी तरह बिगड़ जाएगा। यह सिर्फ क्षेत्रीय ही नहीं बल्कि वैश्विक शांति के लिए भी एक बड़ा खतरा है। इजरायल अपनी सुरक्षा को लेकर सबसे ज्यादा संवेदनशील है और ईरान को परमाणु शक्ति के रूप में देखना उसके लिए किसी बुर सपने से कम नहीं है।