पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान सैन्य ठिकानों पर हमले के मास्टरमाइंड माने जा रहे हैं. उन्हें एक के बाद एक कई मामलों में सजा हो चुकी और अब देश को खतरे में डालने का आरोप साबित होने पर फांसी भी हो सकती है. पाकिस्तान का आर्मी एक्ट यही कहता है. इससे पहले उनके सारे अधिकार छीने जा चुके हैं
पाकिस्तान में आज आम चुनाव हैं. इस बीच प्रमुख दावेदार माने जा रहे इमरान खान न केवल जेल जा चुके, बल्कि उन्हें फांसी की सजा तक के कयास लग रहे हैं. एक वक्त पर पाकिस्तानी सेना ने ही इमरान को सर्वोच्च पद तक पहुंचाया था, अब वही उसके खिलाफ खड़ी हुई है. रावलपिंडी के अडियाला जेल में बंद पूर्व पीएम पर अगर सेना से बगावत के आरोप पक्के हो जाएं तो मौत की सजा तय है.
International news: क्या है पूरा मामला?
पिछले साल 9 मई को इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए इंसाफ (पीटीआई) के कार्यकर्ताओं ने जिन्ना हाउस (लाहौर कोर कमांडर हाउस), मियांवाली एयरबेस और फैसलाबाद में ISI बिल्डिंग समेत एक दर्जन सैन्य ठिकानों में जमकर तोड़फोड़ मचाया था. यहां तक कि रावलपिंडी के सैन्य हेडर्क्वाटर पर भी हमला हुआ. जांच के दौरान पाया गया कि हमला इमरान के कार्यकर्ताओं ने किया है. अब इस मामले में बाकियों समेत इमरान पर भी केस चल रहा है. उन्हें इस अटैक का मास्टरमाइंड कहा जा रहा है.
इमरान का क्या है पक्ष?
उनका कहना है कि हमले उन्होंने नहीं, बल्कि खुद सेना ने करवाए थे. ये सारा अटैक लंदन एग्रीमेंट का हिस्सा था. असल में इमरान का आरोप है कि पूर्व पीएम नवाज शरीफ दोबारा सेना की गुड बुक में आ चुके हैं. वे इसके जरिए दोबारा सत्ता में आना चाहते हैं. सारी चीजें सोच-समझकर प्लानिंग के साथ हुईं और उन्हें फंसा दिया गया ताकि उनकी पार्टी सत्ता से दूर हो जाए.
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International news: क्या है पाकिस्तान आर्मी एक्ट?
पाकिस्तान में सेना हमेशा से ही सबसे ज्यादा ताकतवर बॉडी रही. यही कारण है कि यहां सैन्य सरकारें बनती रहीं. इस आर्मी एक्ट में ऐसे प्रावधान रखे गए हैं कि उसके खिलाफ दिखाई दे रहे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा और फांसी भी मिल सकती है. साल 1952 में बने आर्मी एक्ट के तहत सैन्य कर्मियों से लेकर आम लोगों पर भी मुकदमा चलाया जा सकता है.
इसका सेक्शन 59 कहता है कि कोई भी अगर देश के खिलाफ कोई एक्शन ले, या फिर सेना या सुरक्षा बलों पर हमला या उसकी साजिश करे तो उसे उम्रकैद से लेकर फांसी भी हो सकती है.
किन्हें हो चुकी सजा?
इसी धारा के तहत भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को मौत की सजा दी गई थी. सेना का आरोप था कि वे भारत की तरफ से जासूसी कर रहे थे. इस धारा से पाकिस्तानी लोग भी बचे नहीं. जैसे ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट इदरीस खट्टक को जासूसी के आरोप में 14 सालों की कैद दी गई. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सेना एक्ट के जरिए मासूम लोगों को भी पकड़कर सजा मिलती रही. खुद इमरान के कार्यकाल में 20 आम नागरिकों को इस एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया.
International news: केस का क्या है स्टेटस?
फिलहाल इमरान खान पर करीब 150 मामले चल रहे हैं, जिनमें से सैन्य ठिकानों पर हमला भी एक है. मई में हुए हमलों का ये मामला पाकिस्तान मिलिट्री कोर्ट में चल रहा है. चश्मदीदों के बयान भी हो चुके, जिन्होंने गवाही दी कि इमरान ही इस अटैक के कर्ताधर्ता थे. फिलहाल पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत ने मिलिट्री कोर्ट को फैसला सुनाने पर रोक लगाई हुई है, लेकिन आज नहीं तो कल ये फैसला आएगा ही. पाकिस्तान का इतिहास भी ऐसा रहा है कि वहां सेना को चुनौती देने वाले बचे नहीं रहते.
चुनाव में कहां खड़ी है खान की पार्टी?
इमरान का पार्टी चिन्ह रद्द हो चुका, और उनके पार्टी हेडऑफिस पर भी सरकारी कब्जा हो चुका है. यहां तक कि इमरान खान से वोटिंग राइट भी छीना जा चुका. अब मुकाबले में जाहिर तौर पर वे और उनकी पार्टी सीन से गायब हैं. जो कुछ बाकी हैं, वे निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर इलेक्शन लड़ रहे हैं.
International news: किन-किन मामलों में सजा
- पूर्व पीएम इमरान को पहले ही तीन मामलों में सजा सुनाई जा चुकी. पहला केस तोशखाना है. इसमें सरकारी खजाने में सेंध लगाने के आरोप में खान और उनकी पत्नी बुशरा दोनों को 14 सालों की कैद और जुर्माना लगा है.
- दूसरा मामला साइफर केस है. खान ने अपने फायदे के लिए ऐसी सूचनाओं को सार्वजनिक किया, जिसे गोपनीय माना जाता है. यहां तक कि उन्होंने अमेरिका को भी अपने लपेटे में लेने की कोशिश की थी.
- तीसरा केस गैर-इस्लामिक ढंग से शादी का है. खान और उनकी पत्नी बुशरा ने तब विवाह किया, जब बुशरा की इद्दत की अवधि पूरी नहीं हुई थी. ये इस्लामिक तौर-तरीकों के खिलाफ है.