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Global Warming: ग्रीनलैंड में पिघल रहे बर्फ के पीछे क्यों लड़ रहे है चीन-अमेरिका, क्या हमें इस बारे में चिंता करने की है जरूरत?

News Desk
Last updated: 2024/03/27 at 11:12 पूर्वाह्न
News Desk
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4 Min Read
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Global Warming: 1980 के बाद से दुनियाभर में बर्फबारी में तेजी से गिरावट आई है. वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि जलवायु परिवर्तन इसके लिए जिम्मेदार है. पिछले कुछ दशकों में ग्लोबल वार्मिंग ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों को चिंता में डाल दिया है.

Contents
Global Warming: इन वजहों से भी ग्रीनलैंड पर है दुनिया की नजरअमेरिका और चीन पिघलते बर्फ के लिए क्यों लड़ रहे

मौसम और तापमान में बदलाव के कारण अंटार्कटिका में भी काफी तेजी से बर्फ पिघल रही है. हाल ही में एक स्टडी में दावा किया गया कि अब ग्रीनलैंड में भी चिंताजनक स्तर से बर्फ पिघल रही है.

नेचर जनरल की एक रिपोर्ट बताती है कि ग्रीनलैंड हर घंटे करीब 30 मिलियन टन बर्फ खो रहा है. (Global Warming) यानी यहां हर घंटे 30 मिलियन टन बर्फ पिघलकर पानी का रूप ले रही है.

यह पिघलती हुई बर्फ समुद्र के स्तर में वृद्धि का एक प्रमुख कारण बन रही है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यदि ग्रीनलैंड की बर्फ पूरी तरह पिघल जाती है, तो समुद्र का स्तर 7.4 मीटर तक बढ़ जाएगा.

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यह वृद्धि दुनिया भर के तटीय शहरों के लिए विनाशकारी होगी. लाखों लोग बेघर हो जाएंगे और कई शहर जलमग्न हो जाएंगे.

ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए हमें तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है. हमें जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता कम करने और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करने की आवश्यकता है.

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हमें अपनी जीवनशैली में भी बदलाव करने की आवश्यकता है. (Global Warming) हमें कम ऊर्जा का उपयोग करने और अधिक ऊर्जा-कुशल उपकरणों का उपयोग करने की आवश्यकता है.

हमें अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है. यदि हमने अभी कार्रवाई नहीं की, तो यह बहुत देर हो जाएगी.

Global Warming: इन वजहों से भी ग्रीनलैंड पर है दुनिया की नजर

अब भले ही ग्रीनलैंड का पिघलता ग्लेशियर पृथ्वी के लिए अच्छा नहीं है लेकिन इस समय में यह ग्रीनलैंड के पड़ोसी देशों के लिए बहुत अच्छा अवसर है. क्योंकि जब ग्रीनलैंड से बर्फ पिघल जाएगी तो यहां से व्यापार के नए रास्ते खुल जाएंगे. बर्फ के पिघलने से जहाजों के आवागमन का समय कम होगा. इसके साथ ही इन इलाकों में माइनिंग भी की जा सकती है.

ग्रीनलैंड में बड़ा समुद्र तट होने के कारण यहां की फिशिंग इंडस्ट्री भी काफी बड़ी है. यहां कई बड़े बंदरगाह हैं और यहां की जमीन के नीचे कोयला का जखीरा दबा हुआ है.

अमेरिका और चीन पिघलते बर्फ के लिए क्यों लड़ रहे

बताया जाता है कि ग्रीनलैंड में 17 तत्वों से मिलकर बना एक दुर्लभ खनिज पाया जाता है. (Global Warming) जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स और हथियार बनाने के लिए किया जाता है.

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इसके अलावा यूरेनियम का छठा सबसे ज्यादा भंडार भी ग्रीनलैंड पर ही है. क्वेनेफील्ड खदान का स्वामित्व जिस कंपनी ग्रीनलैंड मिनरल्स के पास है, उसका कहना है कि ये खदान दुर्लभ खनिज की वजह से दुनियाभर में सबसे अहम उत्पादक बन सकती है.

ऑस्ट्रेलियाई कंपनी ग्रीनलैंड मिनरल्स को चीन का समर्थन हासिल है. (Global Warming) वहीं दूसरी तरफ अमेरिका भी यहां निवेश करना चाहता है. अन्य देश भी खनिज के लिए ग्रीनलैंड की ओर देख रहे हैं.

ग्रीनलैंड कीमती खनिजों से भी लैस है जिसका लाभ दुनिया में अमेरिका के प्रभुत्व को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है.

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