Donald Trump News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी कतर यात्रा के दौरान एप्पल इंक के सीईओ टिम कुक से स्पष्ट बातचीत की। इस दौरान उन्होंने तकनीकी दिग्गज एप्पल से कहा कि अगर भारत में बढ़ते उत्पादन का लाभ केवल भारतीय बाजार तक सीमित नहीं है, तो इसे रोका जाए। दोहा में एक व्यावसायिक कार्यक्रम के दौरान ट्रंप ने कहा, “कल मेरी टिम कुक से थोड़ी समस्या हो गई। वह पूरे भारत में निर्माण कर रहे हैं। मैं नहीं चाहता कि आप भारत में निर्माण करें।” ट्रंप ने दावा किया कि इस बातचीत के परिणामस्वरूप एप्पल अब अमेरिका में अपना उत्पादन बढ़ाएगा।
ट्रंप की यह टिप्पणी उस समय आई है जब एप्पल चीन से अपने आपूर्ति तंत्र को हटाकर विविधीकरण करने में लगा हुआ है। यह कदम अमेरिका-चीन के बीच भूराजनीतिक तनाव और चीनी वस्तुओं पर बढ़ते अमेरिकी शुल्कों के चलते उठाया गया है। (Donald Trump News) इसी महीने की शुरुआत में टिम कुक ने घोषणा की थी कि भारत अब अमेरिका के लिए आईफोन के निर्माण में एक अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा था, “अमेरिका में बिकने वाले अधिकांश आईफोन अब भारत में बने होंगे।” यह रणनीति ट्रंप द्वारा लगाए गए शुल्कों से बचने की एप्पल की कोशिशों का हिस्सा है, जिसमें चीनी वस्तुओं पर 54 फीसदी और भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स पर 26 फीसदी शुल्क शामिल है दृ जो चीन और वियतनाम पर लगाए गए शुल्कों की तुलना में काफी कम है।

वर्तमान में एप्पल अपने अधिकांश आईफोन चीन में बनाता है, जबकि अमेरिका में उसका कोई स्मार्टफोन उत्पादन केंद्र नहीं है। हालांकि, भारत में एप्पल का उत्पादन तेजी से बढ़ा है, जिसमें फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप और टाटा ग्रुप प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। फॉक्सकॉन दक्षिण भारत में बड़ा प्लांट संचालित कर रहा है, जबकि टाटा ने विस्ट्रॉन कॉर्प का भारतीय कारोबार खरीदकर और पेगाट्रॉन कॉर्प की सुविधाओं का संचालन करके खुद को एक प्रमुख सप्लायर के रूप में स्थापित किया है। (Donald Trump News) मार्च 2025 को समाप्त 12 महीनों में एप्पल ने भारत में 22 अरब डॉलर के आईफोन बनाए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 60 फीसदी अधिक है। सिर्फ मार्च माह में ही एप्पल ने भारत से लगभग 2 अरब डॉलर के पच्ीवदमे अमेरिका भेजे, जिसमें फॉक्सकॉन ने 1.31 अरब डॉलर और टाटा ने 612 मिलियन डॉलर के डिवाइस एक्सपोर्ट किए।
Donald Trump News: ट्रंप की टिप्पणी ने बढ़ाई अनिश्चितता
ट्रंप की इस टिप्पणी से एप्पल की उस योजना पर सवाल उठने लगे हैं जिसके तहत वह 2026 के अंत तक अमेरिका में बिकने वाले अधिकतर आईफोन भारत से प्राप्त करना चाहता है। (Donald Trump News) यह बदलाव ट्रंप के शुल्कों और चीन में कोविड लॉकडाउन के कारण आई रुकावटों की प्रतिक्रिया में लिया गया था, जिससे एप्पल के सबसे बड़े प्लांट में उत्पादन प्रभावित हुआ था। (Donald Trump News) हालांकि भारत में उत्पादन लागत चीन की तुलना में 5-8 फीसदी और कुछ मामलों में 10फीसदी अधिक है, फिर भी एप्पल ने भारत सरकार की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) और भारतीय वस्तुओं पर अपेक्षाकृत कम अमेरिकी शुल्क का लाभ उठाकर अपनी उपस्थिति मजबूत की है।
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इस पूरी जटिलता के बीच, ट्रंप ने दोहा के कार्यक्रम में यह भी दावा किया कि भारत ने अमेरिकी वस्तुओं पर शुल्क समाप्त करने की पेशकश की है, जो एक संभावित व्यापार समझौते का हिस्सा हो सकता है। (Donald Trump News) उन्होंने कहा, “उन्होंने हमें एक डील ऑफर की है जिसमें वे सचमुच हमसे कोई शुल्क नहीं लेने को तैयार हैं।” ट्रंप ने यह भी कहा कि भारत, जो अब तक दुनिया में सबसे अधिक शुल्क लगाने वाले देशों में गिना जाता था, अब “नो टैरिफ” की पेशकश कर रहा है। हालांकि भारत सरकार की ओर से इस दावे की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है और यह स्पष्ट नहीं है कि यह प्रस्ताव किन क्षेत्रों या शर्तों पर आधारित है।
एप्पल के शेयरों में तेजी
12 मई 2025 को अमेरिका और चीन के बीच हुए व्यापार समझौते के बाद, जिसमें 90 दिनों के लिए अधिकांश शुल्क निलंबित किए गए हैं, एप्पल के शेयरों में 6 फीसदी की बढ़त देखी गई। इससे कंपनी को कुछ अस्थायी राहत मिली है। हालांकि, चीनी वस्तुओं पर अब भी 30 फीसदी अमेरिकी शुल्क लागू है, जिससे एप्पल को लागत दक्षता, राजनीतिक दबाव और बाजार पहुंच के बीच संतुलन बनाए रखना पड़ रहा है। (Donald Trump News) ट्रंप का अमेरिका में उत्पादन को प्राथमिकता देने का दबाव उनके व्यापक “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे से मेल खाता है, जिसमें एप्पल द्वारा अमेरिका में एआई सर्वर असेंबली जैसे परिचालन विस्तार के लिए 500 अरब डॉलर के निवेश का वादा शामिल है।
जैसे-जैसे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं ट्रंप की शुल्क नीति के तहत जूझ रही हैं, भारत एप्पल के लिए एक अहम विनिर्माण केंद्र बना हुआ है। (Donald Trump News) भारत का वैश्विक आईफोन उत्पादन में हिस्सा जल्द ही 30 फीसदी तक पहुंचने की संभावना है। फिर भी, ट्रंप द्वारा टिम कुक को दिए गए निर्देश भारत की वैश्विक तकनीकी निर्माण शक्ति बनने की महत्वाकांक्षा को प्रभावित कर सकते हैं, जबकि एप्पल और सैमसंग जैसी कंपनियां चीनी और वियतनामी वस्तुओं पर लगने वाले शुल्क से बचने के लिए तेजी से भारतीय फैक्ट्रियों पर निर्भर होती जा रही हैं।