COP28: संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की अध्यक्षता में 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक COP28 यानी जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) का 28वां सम्मेलन दुबई में आयोजित होने जा रहा है। जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए दुनिया भर के देशों के नेता इस सम्मेलन में शामिल होंगे।
COP28 जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। COP28: भारत इस सम्मेलन में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किए जा रहे प्रयासों को साझा करके और अन्य देशों के साथ मिलकर वैश्विक स्तर पर प्रयासों को बढ़ावा देकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
COP28: जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियां
जलवायु परिवर्तन से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों में शामिल हैं:
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- तापमान में वृद्धि: 20वीं सदी के मध्य से अब तक वैश्विक औसत तापमान में लगभग 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। यदि तापमान में वृद्धि जारी रही तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।
- समुद्र का बढ़ता स्तर: तापमान में वृद्धि के कारण समुद्र का स्तर बढ़ रहा है। इससे तटीय क्षेत्रों में बाढ़, भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ रहा है।
- असामान्य मौसम की घटनाएं: जलवायु परिवर्तन के कारण असामान्य मौसम की घटनाएं जैसे तूफान, सूखा, बाढ़ आदि अधिक बार और गंभीर हो रही हैं। इससे जन-धन की हानि और संपत्ति का नुकसान हो रहा है।
- पर्यावरणीय समस्याएं: जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरणीय समस्याएं जैसे वनों की कटाई, जैव विविधता का नुकसान आदि बढ़ रही हैं।
COP28 में भारत का रुख
भारत जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत ने 2030 तक अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 2005 के स्तर से 33-35% कम करने का लक्ष्य रखा है।
COP28 में भारत अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए किए जा रहे प्रयासों को साझा करेगा। इसके अलावा, भारत अन्य देशों के साथ मिलकर जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयासों को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा।