Autism day: ऑटिज्म स्पैक्ट्रम से प्रभावित तीन साल के जुड़वां भाइयों ने पांच विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए हैं। अमेरिका बुक ऑफ रिकॉर्ड का टॉप टैलेंट का खिताब भी जीत लिया है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके ये विश्व रिकॉर्ड और खिताब दोनों बच्चों के ज्ञान, बातचीत, बुद्धि, शारीरिक और मानसिक विकास की पहचान ही नहीं मिसाल बन चुके हैं। तीन साल के ये बच्चे शारीरिक रूप से चार साल, शैक्षणिक दृष्टि से छह साल और व्यावहारिक तौर पर पांच साल के लगते हैं।
ये अपनी आयु वर्ग के बच्चों से काफी आगे निकल चुके हैं। (Autism day) इनकी इस शानदार स्वास्थ्य सुधार और विकास के पीछे इनके वैज्ञानिक माता-पिता की कड़ी मेहनत है, जो दूसरों के लिए प्रेरणादायक है।
अब वैज्ञानिक दंपती इस बीमारी से पीड़ित दूसरे बच्चों की मदद करने का बीड़ा उठा चुके हैं। विश्व ऑटिज्म दिवस बुधवार को है, ऐसे में हम बात कर रहे हैं करनाल जिले के पाढ़ा गांव निवासी डॉ. सुनील बंसल और डॉ. शिवानी बंसल की। (Autism day) दोनों अब अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी शहर में रहते हैं और दोनों ही वैज्ञानिक हैं।
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डॉ. सुनील बंसल ने बताया कि बच्चों के जन्म के करीब 13 माह बाद शक हुआ कि उनके बेटों को ऑटिज्म है। करीब 15 महीने की कड़ी मेहनत के बाद आज उनके बच्चों में बेहतरीन क्षमता विकसित हो चुकी है।

Autism day: स्पीच थेरेपी के साथ भरपूर समय ने बढ़ाया कौशल
डॉ. सुनील बंसल ने बताया कि अमेरिका, भारत और अन्य देशों में हुए शोध के बाद उन्होंने अपने बच्चों को स्पीच, ऑक्यूपेशनल और एबीए थेरेपी देनी शुरू की। (Autism day) स्पीच थेरेपी बच्चों को बोलने में मदद करती है। ऑक्यूपेशनल थेरेपी बच्चों को समझाने में, शारीरिक विकास और अन्य गतिविधियों में लाभ देती है। एबीए थेरेपी बच्चों के व्यवहार को सुधारती है। इन तीन थेरेपी का मुख्य योगदान रहा।
बच्चों के साथ मां-पिता ने भी किया संघर्ष
बसंल दंपती बताते हैं कि बच्चों को समय देने के लिए उन्होंने अमेरिका में कार्यालय से अनुमति लेकर अपनी ड्यूटी की शिफ्ट में परिवर्तन किया, ताकि बच्चों के पास माता-पिता में से कम से कम एक जरूर रहे। रात 11 बजे से देर रात तीन बजे तक केवल प्लान किया जाता था कि अगले दिन क्या करना है।
सुबह सात बजे से रात को तैयार किए प्लान पर काम करना होता था। (Autism day) ऑफिस व घर-परिवार के काम के अलावा रोजाना बच्चों को 14 घंटे का समय देना सुनिश्चित किया। घर पर ही थेरेपी से लेकर हर गतिविधि के उपकरण रखे। ऐसा लगातार 15 माह तक किया तब जाकर ये परिणाम सामने आए हैं।
सुनील ने बताया कि उन्होंने बच्चों के लिए हर जरूरी काम छोड़ा और पूरा फोकस उन पर रखा। अब बसंल दंपती 15 से अधिक परिवारों के साथ काम कर रहे हैं और ऑटिज्म स्पैक्ट्रम से निजात दिलाने के लिए लगभग 20 बच्चों की सहायता कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि अगर किसी का बच्चा ऑटिज्म का शिकार है तो वे उनसे संपर्क कर मदद ले सकते हैं। उन्होंने अपनी ईमेल आईडी happy.returns1.25@gmail.com और व्हाट्सएप नंबर 9041420459 पर संपर्क करने का आग्रह किया है।