ARVIND KEJRIWAL: राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अदालत ने 24 घंटे के भीतर दूसरा झटका दिया है. 9 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल की याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने ईडी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी गिरफ्तारी और रिमांड के आदेश को चुनौती दी थी.
फिर अगले दिन 10 अप्रैल को राउज एवेन्यू कोर्ट ने उनकी उस याचिका को भी खारिज कर दिया है जिसमें उनके वकीलों से हफ्ते में कम से कम 5 बार मुलाकात करने की मांग की गई थी.
सुनवाई के दौरान जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा कि सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी के दौरान किसी भी कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन नहीं किया गया है और न ही ये गिरफ्तारी अवैध है.
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ARVIND KEJRIWAL: ED के पास सबूत, CM को छूट नहीं दे सकते
दरअसल, केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने गवाहों के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनके बयानों पर विश्वास नहीं किया जा सकता. जवाब में कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों के बयान के आधार पर ED ने दलील दी है, उनके बयान मजिस्ट्रेट के सामने रिकॉर्ड कराए गए थे.
कोर्ट ने कहा कि ये कहना बिल्कुल सही नहीं है कि ईडी ने चुनाव से पहले जानबूझकर CM केजरीवाल को गिरफ्तार किया है, गिरफ्तारी का समय जांच एजेंसी तय करती है.
कोर्ट ने आगे कहा कि ये मामला केवल केंद्र और केजरीवाल के बीच का नहीं है. (ARVIND KEJRIWAL) उन्हें गिरफ्तार करने के लिए ईडी के पास पर्याप्त सबूत हैं. ऐसे में सिर्फ मुख्यमंत्री होने के कारण जांच और पूछताछ छूट नहीं दी जा सकती. अदालत किसी भी राजनीति से प्रभावित हुए बिना कानून के हिसाब से काम करती है. कोर्ट का काम कानून लागू करना है.
हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख
केजरीवाल की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है कि याचिका दिल्ली के सीएम के संबंध में है और अर्जेंट है. उन्होंने कहा इस मामले में गिरफ्तारी का आधार ऐसे दस्तावेज को बनाया गया है, जिन पर भरोसा नहीं किया जा सकता.
केजरीवाल की गिरफ्तारी का क्या है मामला
राजधानी दिल्ली में दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई शराब नीति लागू की थी. इस नीति के तहत राजधानी में 32 जोन बनाए गए थे और हर जोन में 27 दुकानें खुलनी थी.
ठीक इस दिल्ली के 32 जोन में कुल मिलाकर 849 दुकानें खुलनी थी. इस नई शराब नीति के आने के बाद राजधानी की सभी शराब की दुकानों को प्राइवेट कर दिया गया था.
इससे पहले यहां की लगभग 60 प्रतिशत दुकानें सरकारी होती थी और 40 प्रतिशत दुकान. सरकार 100 फीसदी दुकानों को प्राइवेट करके हुए तर्क दिया था कि इससे 3,500 करोड़ रुपये का फायदा होगा. (ARVIND KEJRIWAL) लेकिन यही पॉलिसी आज दिल्ली सरकार और सीएम केजरीवाल के लिए आफत बन गई है.
शराब घोटाले का खुलासा कब हुआ
सबसे पहली बार इस घोटाले का खुलासा 8 जुलाई 2022 को हुआ था जब राजधानी के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार की अपनी रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट में उन्होंने मनीष सिसोदिया सहित आप के कई बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए गए थे. जिसके बाद इस मामले में दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की.
सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को केस दर्ज किया. वहीं इसी मामले में पैसों की हेराफेरी का आरोप भी लगा, इसलिए ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए केस दर्ज कर लिया. मुख्य सचिव नरेश कुमार ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि मनीष सिसोदिया ने ये शराब नीति गलत तरीके से तैयार की थी. आरोप लगाया गया कि नई नीति के तहत लाइसेंस धारी शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया जा रहा है.
राजस्व में भारी कमी होने का भी लगा आरोप
इस पूरे मामले में दिल्ली सरकार नई नीति से राजस्व में भारी कमी होने का भी आरोप लगा. ऐसे समझे की नई नीति से पहले जहां 750 एमएल की एक शराब की बोतल 530 रुपये में मिलती थी. उस 530 रुपये के बोतल पर रिटेल कारोबारी 33.35 रुपये का मुनाफा कमाते थे और सरकार को 223.89 रुपए उत्पाद कर और 106 रुपये वैट के रूप में मिलता था.
इस पूरे गणित के हिसाब से पहले दिल्ली सरकार को एक बोतल पर कम से कम 329.89 रुपये का फायदा होता था. लेकिन वहीं नई नीति के बाज 750 एमएल की कीमत 560 रुपए कर दी गई. (ARVIND KEJRIWAL) जिससे रिटेल कारोबारियों का मुनाफा 33.35 से बढ़कर सीधे 363.27 रुपये पहुंच गया. यानी अब वही शराब की एक बोतल बेचने पर रिटेल कारोबारियों को सीधे 10 गुना ज्यादा मुनाफा मिलने लगा. जबकि सरकार को जो 329.89 रुपये का मुनाफा मिलता था वह घटकर 3.78 पैसे रह गया.
केजरीवाल के जमानत की याचिका पर फैसले की 5 बड़ी बातें-
- सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट का कहना था कि याचिका जमानत के लिए नहीं दायर की गई है बल्कि हिरासत को चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि उसकी गिरफ्तारी गलत है.
- कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता का कहना है कि उसकी गिरफ्तारी गलत है. जबकि इस मामले में जो भी सबूत पेश किए गए है उससे पता चलता है कि सीएम केजरीवाल ने न सिर्फ दूसरों के साथ मिलकर साजिश रची है बल्कि रिश्वत लेने और आपराधिक आय जुटाने में सक्रिय रूप से शामिल भी थे.
- कोर्ट ने कहा कि इस मामले में जितने भी गवाह हैं उनके बयान कोर्ट के समक्ष दर्ज किए गए थे. ऐसे में उनके बयानों पर सवाल उठाना न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल उठाने जैसा होगा.
- गिरफ्तारी की वैधता पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया है.
- चुनाव की घोषणा के बाद हुई गिरफ्तारी वाले मामले पर कोर्ट ने कहा कि इस तर्क को स्वीकार करने का मतलब होगा कि अगर चुनाव के समय गिरफ्तारी नहीं हुई होती तो इसे चुनौती नहीं दी जा सकती थी.