Bangladesh Violence Dhaka Lockdown: भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश की सियासत एक बार फिर उबाल पर है। देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ मामला अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है और कोर्ट आज हसीना के भविष्य पर बड़ा फैसला सुनाने वाली है। हालांकि, इससे पहले ही ढाका समेत कई शहरों में हिंसा, आगजनी और क्रूड बम हमलों ने देश को हिला दिया है।
Bangladesh Violence Dhaka Lockdown: फैसले से पहले बांग्लादेश में बवाल
राजधानी ढाका पिछले दो दिनों से जलते हुए शहर में तब्दील हो चुकी है। सड़कों पर काले धुएं के बादल हैं, जगह-जगह पुलिस तैनात है, और माहौल इतना तनावपूर्ण है कि लोग घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं। (Bangladesh Violence Dhaka Lockdown) गुरुवार को शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने ‘ढाका लॉकडाउन’ का आह्वान किया, जिसके बाद राजधानी को किले में बदल दिया गया।
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पुलिस और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) के जवान बड़ी संख्या में सड़कों पर हैं। हर एंट्री गेट पर नाकेबंदी है, वाहनों की सख्ती से जांच हो रही है और अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) के बाहर सुरक्षा व्यवस्था अभेद्य बना दी गई है। (Bangladesh Violence Dhaka Lockdown) वहीं अदालत है, जहां आज शेख हसीना के खिलाफ दर्ज हत्या और साजिश जैसे गंभीर आरोपों पर सुनवाई होनी है।
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भारत में शरण और अब ऐतिहासिक फैसला
गौरतलब है कि शेख हसीना पिछले साल अगस्त में भारत में शरण लेने आई थीं। उनके खिलाफ दर्जनों आरोप हैं, जिनमें सत्ता में रहते हुए राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ हिंसा भड़काने, भ्रष्टाचार और कई हत्याओं की साजिश जैसे गंभीर मामले शामिल हैं। अब यह फैसला सिर्फ एक व्यक्ति के भविष्य का नहीं, बल्कि पूरे बांग्लादेश की राजनीति की दिशा तय करने वाला साबित हो सकता है।
सियासी तनाव ने पूरे देश को जकड़ा
ढाका के अलावा गाजीपुर और ब्राह्मणबारिया जैसे शहरों में भी हिंसा फैल चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने इन हमलों के लिए अवामी लीग समर्थकों को जिम्मेदार बताया है। ब्राह्मणबारिया में तो हालात और भी भयावह हो गए। वहां ग्रामीण बैंक की एक शाखा में आग लगा दी गई, जिससे सारे दस्तावेज और फर्नीचर जलकर राख हो गए। यह वही ग्रामीण बैंक है जिसे नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने 1983 में गरीबों को सूक्ष्म ऋण देने के लिए शुरू किया था। आज वही यूनुस देश के अंतरिम प्रमुख हैं, और उनकी सरकार पर भी विपक्ष और अवामी लीग समर्थक लगातार हमले कर रहे हैं।
फिर लौट आई 2024 की यादें
इन ताजा घटनाओं ने 2024 के उन छात्र विरोध प्रदर्शनों की यादें ताजा कर दी हैं, जिनमें 500 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। देश फिर उसी अराजक मोड़ पर खड़ा , जहां लोकतंत्र, सत्ता और साजिशें एक-दूसरे से टकरा रही हैं। आज का दिन बांग्लादेश के इतिहास में निर्णायक साबित हो सकता है। अगर अदालत ने शेख हसीना के खिलाफ फैसला सुनाया, तो देश की सियासत एक नई दिशा में जा सकती है, लेकिन अगर फैसला उनके पक्ष में गया, तो सड़कों पर उबलता गुस्सा शायद और भी भड़क उठे।
