Telangana Tunnel Accident: तेलंगाना के नगरकुर्नूल जिले में हुए टनल हादसे में फंसे आठ मजदूरों को बाहर निकाले के लिए सोमवार को भी युद्ध स्तर पर कार्य जारी है। तीन दिनों से फंसे लोगों को बचाने के लिए आर्मी की इंजिनियरिंग कोर, एयर फोर्स, NDRF, BRO, इंडियन रेलवे, SJVNL, RVNL BSNL और SDRF की टीमें जुटी हुई हैं। टनल में फंसे मजदूरों की जान बचाने अब देवदूत यानी रैट माइनर पहुंच गए है। इन रैट माइनर ने दो साल पहले उत्तराखंड में फंसे 41 लोगों को सिल्कयारा बेंड बरकोर्ट सुरंग से सुरक्षित बाहर निकाला था। आपको बता दें कि शनिवार को तेलंगाना के श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) सुरंग अचानक ढह गई थी।
Telangana Tunnel Accident: सुरंग में एंडोस्कोपिक और रोबोटिक कैमरे लगाए
48 घंटे से चल रहे बचाव अभियान के बाद भी सफलता नहीं मिल पाई है। लगातार बचाव अभियान जारी हैं। एक अधिकारी ने बताया है कि तेलंगाना सरकार ने उत्तराखंड सुरंग बचाव दल को रैट-होल माइनर्स के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद के लिए बुलाया गया है। बताया जा रहा है कि इनको सुरंग खोदने में महारत हासिल है। (Telangana Tunnel Accident) सोमवार को बचाव अभियान के लिए सुरंग में एंडोस्कोपिक और रोबोटिक कैमरे लगाए है। अभियान में सहायता के लिए एनडीआरएफ डॉग स्क्वायड को भी तैनात किए है।

कौन हैं रैट माइनर
भारी मशीनों के फेल होने के बाद सुरंगों में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए रैट माइनर्स की मदद ली जाती है। ये ऐसे विशेषज्ञ होते हैं जो बेहद संकरी जगहों में चूहे की तरह घुसकर तेज़ी से खुदाई करते हैं। (Telangana Tunnel Accident) रैट माइनिंग एक पारंपरिक खनन तकनीक है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से संकरे क्षेत्रों से कोयला निकालने में किया जाता है।
‘रैट-होल माइनिंग’ नाम जमीन में खोदे गए छोटे-छोटे गड्ढों से निकला है। इन गड्ढों का व्यास इतना छोटा होता है कि सिर्फ एक व्यक्ति ही अंदर जा सकता है। माइनर रस्सी या बांस की सीढ़ी से नीचे उतरकर गैंती, फावड़ा और टोकरियों की मदद से कोयला निकालते हैं।
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पेट के बल लेटकर खदानों में घुसते हैं मजदूर
मेघालय के जयंतिया पहाड़ियों में यह खनन तरीका बेहद प्रचलित है, जहां पहाड़ी इलाकों में भारी मशीनें ले जाना संभव नहीं होता। ऐसे में मजदूर पेट के बल लेटकर इन खदानों में घुसते हैं, जिससे यह काम बेहद खतरनाक हो जाता है। मजदूरों के चूहे जैसी स्थिति में काम करने के कारण इसे ‘रैट माइनिंग’ कहा जाता है। (Telangana Tunnel Accident) हालांकि यह प्रक्रिया जोखिम भरी होने के बावजूद कई इलाकों में आज भी जारी है।

तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले के डोमलपेंटा में एसएलबीसी सुरंग के निर्माण के दौरान बड़ा हादसा हुआ। शनिवार सुबह सुरंग की छत का करीब तीन मीटर हिस्सा ढहने से 8 मजदूर फंस गए। (Telangana Tunnel Accident) तेज बहाव का पानी, गाद और कीचड़ बचाव कार्य में बाधा बन रहे हैं। मौके पर मौजूद नागरकुरनूल के डीएम बी. संतोष ने रविवार को बताया कि बचाव दल सुरंग में उस स्थान तक पहुंच गया है जहां घटना के वक्त टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) काम कर रही थी। सुरंग में ऑक्सीजन और बिजली की आपूर्ति बहाल कर दी गई है। हालांकि, अब तक फंसे मजदूरों से संपर्क नहीं हो पाया है।
अब तक संपर्क नहीं
एनडीआरएफ के अधिकारी ने बताया कि सुरंग के अंदर काफी मलबा बिखरा पड़ा है और टीबीएम क्षतिग्रस्त हो गई है। लगभग 13.5 किलोमीटर के बिंदु से पहले दो किलोमीटर तक जलभराव हो गया है, जिससे भारी मशीनें अंतिम बिंदु तक नहीं पहुंच पा रही हैं। (Telangana Tunnel Accident) जल निकासी को तेज करने के लिए अतिरिक्त मोटरें लगाई गई हैं, ताकि उपकरण अंदर ले जाकर मलबा हटाने का काम शुरू किया जा सके। बचाव कार्य में कड़ी चुनौती के बावजूद टीम लगातार कोशिश में जुटी है।