Mossad: हमास के राजनीतिक शाखा के प्रमुख इस्माइल हानिया की बुधवार सुबह ईरान में हत्या कर दी गई। ईरान के अर्धसैनिक बल ईरान रेवोल्यूशनरी गार्ड्स कोर (आईआरजीसी) ने इसकी पुष्टि की है। हालांकि, अबतक किसी भी देश के खुफिया एजेंसी ने हानिया की हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली है। आशंका है कि इस हमले को इस्राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने अंजाम दिया है।
मोसाद, दुनिया के नक्शे पर एक छोटे से देश इस्राइल का खुफिया एजेंसी, जिसके नाम से ही आतंकवादियों के लीडर खौफ खाते हैं। वैसे तो अमेरिका, ब्रिटेन, भारत और रूस से लेकर चीन तक कई देशों में खुफिया एजेंसियां हैं, जिन्हें बहुत ताकतवर और शक्तिशाली माना जाता है। इनके गुप्तचरों की पहुंच पूरी दुनिया में होती है, लेकिन इनमे मोसाद का नाम बहुत इज्जत से लिया जाता है। यह एक ऐसी एजेंसी है जो अपने मुल्क के दुश्मनों के खिलाफ एक किलिंग मशीन की तरह काम करती है।
वैश्विक स्तर पर मोसाद को गुप्त ऑपरेशंस को अंजाम देने में दुनिया की टॉप खुफिया एजेंसी माना जाता है। मोसाद अपने दुश्मनों को उनके ही देश में घुसकर चुन-चुनकर मारने के लिए जानी जाती है। (Mossad) आमतौर पर ऐसे ऑपरेशन को अंजाम देना बेहद ही कठिन होता है, लेकिन मोसाद को ऐसे अभियानों में महारत हासिल है।
मोसाद अपना निशाना कभी नहीं चूकती है। क्योंकि अपना मिशन पूरा करने से पहले मोसाद के एजेंट अपने टारगेट को लेकर पूरी रिसर्च करते हैं। साथ ही मिशन को अंजाम देने के बाद की परिस्थितियों से निपटने का भी पूरा इंतजाम पहले से करके रखते हैं। मोसाद सरकार की जरूरतों के आधार पर खुफिया जानकारी जुटाने में शामिल रही है। यह काम विभिन्न माध्यमों से किया जाता है, जैसे ह्यूमन इंटेलीजेंस और सिग्नल इंटेलीजेंस आदि तरीकों से, जिसे दूसरा कोई समझ न सके।
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जानकारी के अनुसार, इस्राइल के तीन बड़े खुफिया संगठन अमन, शिन बेट और मोसाद हैं। इनमें से एक मोसाद के भी दो काउंटर टेररिज्म यूनिट हैं। पहली यूनिट है मेटसाडा जो दुश्मन पर हमला करती है। जबकि दूसरी किडोन है। इसका काम गुप्त ही रखा गया है। (Mossad) लेकिन मोटे तौर पर यह आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करती है। मेटसाडा की भी अपनी अलग यूनिट्स हैं।
Mossad: कब हुई मोसाद की स्थापना
मोसाद की स्थापना इस्राइल में 13 दिसंबर, 1949 में की गई थी। इस्राइल सरकार ने मोसाद का गठन आतंकवाद से लड़ने के लिए किया था। बाद में 1951 में मोसाद को इस्राइल के प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन कर दिया गया। इसकी रिपोर्टिंग भी प्रधानमंत्री को ही होती है।
रियूवेन शिलोआ को मोसाद का पहला डायरेक्टर बनाया गया था। (Mossad) शिलोआ 1952 में रिटायर हुए थे। इसके बाद सकी कमान इससर हरल के पास आ गई थी। हरल ने अपने 11 साल की कार्यावधि में इसे खूंखार और आतंकियों की किलिंग मशीन के रूप में तब्दील कर दिया।
आज के दौर में मोसाद के पास टॉप क्लास सीक्रेट एजेंट, हाईटेक इंटेलीजेंस टीम, शार्प शूटर और कातिल हसीनाओं समेत कई तरह के जासूस और गुप्त योद्धाओं की फौज है। मोसाद के एजेंट्स इतनी सफाई से काम को अंजाम देते हैं कि कोई सबूत भी नहीं बचता।
आज भी मोसाद ऐसे ही काम करती है। (Mossad) मोसाद ने अन्य देशों की खुफिया सेवाओं के साथ खुफिया संबंध भी विकसित और बनाए रखा है। मोसाद उन देशों के साथ गुप्त संबंध स्थापित करने में भी शामिल है जो खुले तौर पर साथ इस्राइल का साथ देने से बचते हैं।