Venezuela-America Conflict: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दक्षिण अमेरिका में सैन्य उपस्थिति बढ़ाने की महत्वाकांक्षी योजना को इक्वाडोर के नागरिकों ने एक बड़ा झटका दिया है। वेनेजुएला के ठीक करीब, रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इक्वाडोर में सैन्य अड्डा स्थापित करने की अमेरिका की योजना पर पानी फिर गया है। इस योजना के लिए अमेरिका और इक्वाडोर के बीच एक समझौता भी हुआ था, लेकिन अब हुए ताजा जनमत संग्रह में इक्वाडोर के लगभग 90 प्रतिशत लोगों ने अपने देश में विदेशी सैन्य अड्डा स्थापित करने को मंजूरी देने वाले प्रस्ताव को भारी मतों से खारिज कर दिया है। (Venezuela-America Conflict) यह फ़ैसला सीधे तौर पर राष्ट्रपति ट्रंप के लिए बड़ा झटका है, जो लगातार दक्षिण अमेरिका में अमेरिकी सेना की मौजूदगी को मजबूत करने की कोशिश कर रहे थे, खासकर ऐसे समय में जब क्षेत्र में चीन और रूस का प्रभाव बढ़ रहा है। इक्वाडोर के लोगों ने अपनी संप्रभुता को प्राथमिकता देते हुए विदेशी सैन्य हस्तक्षेप के विचार को पूरी तरह से नकार दिया है।
Venezuela-America Conflict: इक्वाडोर के राष्ट्रपति की योजना क्यों हुई खारिज?
इस प्रस्ताव पर हुई हार इक्वाडोर के वर्तमान राष्ट्रपति डैनियल नोबोआ के लिए एक बड़ा झटका है। नोबोआ ने इक्वाडोर में विदेशी सैन्य अड्डे का खुलकर समर्थन किया था। (Venezuela-America Conflict) उन्होंने तर्क दिया था कि देश के भीतर साझा या विदेशी सैन्य अड्डों सहित विदेशी सहयोग, संगठित अपराध से लड़ने के लिए महत्वपूर्ण है।नोबोआ ने यह भी कहा था कि पूर्व वामपंथी राष्ट्रपति राफेल कोर्रिया के तहत तैयार किए गए वर्तमान संविधान को देश की नई वास्तविकता को दर्शाने के लिए संशोधित किया जाना चाहिए। उनका इरादा देश की सुरक्षा स्थिति को मजबूत करने के लिए अमेरिका के साथ गठजोड़ को बढ़ाना था, लेकिन जनता ने उनके इस विचार को नकार दिया।
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राजनीतिक विश्लेषक क्रिस्टियन कार्पियो ने कहा कि यह परिणाम राष्ट्रपति नोबोआ को कमजोर कर सकता है। कार्पियो ने टिप्पणी की, “डीजल मुद्दे, विरोध प्रदर्शनों और दुष्प्रचार के कारण उनका शासन कमजोर हो रहा है। (Venezuela-America Conflict)” जनता ने न केवल विदेशी अड्डे का विरोध किया, बल्कि नोबोआ द्वारा हाल ही में एक लोकप्रिय डीजल सब्सिडी को रद्द करने पर अपनी नाराजगी भी इस वोटिंग के जरिए व्यक्त की।
इक्वाडोर पर क्यों आई सैन्य अड्डे की नौबत?
एक समय लैटिन अमेरिका के सबसे सुरक्षित देशों में गिना जाने वाला इक्वाडोर हाल के वर्षों में एक अभूतपूर्व सुरक्षा संकट से गुज़र रहा है। (Venezuela-America Conflict) प्रशांत महासागर में अपनी महत्वपूर्ण स्थिति के कारण यह देश, नशीली दवाओं के परिवहन का एक प्रमुख केंद्र बन गया है। ड्रग कार्टेल की बढ़ती गतिविधियों ने देश में असुरक्षा पैदा की है और पहले से ही कमज़ोर अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुँचाया है।
राष्ट्रपति नोबोआ ने इसी साल मादक पदार्थों के तस्करों के खिलाफ तीव्र और व्यापक कार्रवाई के वादों पर चुनाव जीता था। उन्होंने पिछले साल अमेरिका के साथ संयुक्त सैन्य अभियानों के लिए दो समझौतों की पुष्टि की थी। दोनों देशों के बीच एक हवाई अवरोधन समझौता भी है, जिससे समुद्र में मादक पदार्थों और हथियारों की जब्ती संभव हो पाती है। (Venezuela-America Conflict) अमेरिका, नोबोआ के इन्हीं प्रयासों की प्रशंसा करता रहा है और इसीलिए वह इस देश में सैन्य अड्डा बनाकर संगठित अपराध से लड़ने के नाम पर अपनी स्थायी उपस्थिति सुनिश्चित करना चाहता था।
संप्रभुता की चिंता ने डुबोया अमेरिका का प्लान
इक्वाडोर के लोगों ने इस प्रस्ताव को खारिज क्यों किया? इसकी मुख्य वजह संप्रभुता संबंधी चिंताएँ थीं। मतदाताओं के एक बड़े वर्ग को आशंका थी कि विदेशी सैन्य अड्डा स्थापित होने से देश की संप्रभुता और राष्ट्रीय पहचान को खतरा होगा। इक्वाडोर में 2009 से संभावित विदेशी ठिकानों पर प्रतिबंध लगा हुआ है, और मतदाता इस प्रतिबंध को बरकरार रखना चाहते थे। (Venezuela-America Conflict) जनमत संग्रह का यह नतीजा साफ संकेत है कि लैटिन अमेरिकी देश अपने घरेलू सुरक्षा संकट से निपटने के लिए बाहरी सैन्य हस्तक्षेप के बजाय, अपने राष्ट्रीय और संप्रभु समाधानों पर भरोसा करना चाहते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की क्षेत्रीय रणनीति के लिए यह एक स्पष्ट और बड़ा झटका है।
