
Trump slip of tongue: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भले ही लगातार नोबेल शांति पुरस्कार जीतने का दावा कर रहे हों, लेकिन उनकी ‘फिसलती जुबान’ और भूगोल को लेकर उनकी कम जानकारी अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा और मज़ाक का विषय बन गई है। ट्रंप लगातार यह दावा कर रहे हैं कि उन्होंने सात युद्ध रुकवाने में सफलता हासिल की है। (Trump slip of tongue) लेकिन हाल ही में यूरोपीय नेताओं के बीच उनकी इसी गलतबयानी का ज़िक्र आया, जिसने उनकी फजीहत बढ़ा दी है।
कोपेनहेगन में जुटे यूरोपीय नेताओं की एक अनौपचारिक बातचीत में ट्रंप के बयानों को मज़ाकिया अंदाज़ में दोहराया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अल्बेनिया के प्रधानमंत्री ईदी रामा ने मज़ाक करते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों और अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलियेव से कहा, “आपको माफी मांगनी चाहिए… क्योंकि आपने हमें राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से कराई गई अल्बेनिया और अजरबैजान की डील पर शुभकामनाएं नहीं दी।” यह सुनते ही अलियेव तुरंत हंसने लगे, जबकि मैक्रों ने मजाकिया अंदाज़ में कहा, “मैं इस बात के लिए माफी मांगता हूँ। (Trump slip of tongue)” यह घटना दर्शाती है कि ट्रंप के दावों को अब उनके वैश्विक समकक्ष गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
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Trump slip of tongue: आर्मेनिया को अल्बेनिया कहकर बार-बार किया कन्फ्यूज़
दरअसल, ट्रंप ने आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच एक शांति समझौता कराने का दावा किया था। अगस्त में यह डील व्हाइट हाउस में साइन हुई थी। (Trump slip of tongue) लेकिन समस्या यह है कि ट्रंप कई मौकों पर आर्मेनिया की जगह अल्बेनिया कह चुके हैं, जिससे कूटनीतिक गलती हो रही है। बीते महीने एक टीवी चैनल पर उन्होंने कहा था, “मैंने ऐसे युद्ध खत्म कराए हैं, जिन्हें खत्म करना नामुमकिन था। अजरबैजान और अल्बेनिया में कई सालों से चल रहा था। मैं प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों को अपने दफ्तर लेकर आया।” इतना ही नहीं, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी ट्रंप ने कहा था, “हमने अबर-बैजान और अल्बानिया के मुद्दे का समाधान कराया।” इस बयान में उन्होंने एक देश का नाम ही गलत लिया और दूसरे देश का नाम ठीक से नहीं ले पाए, जिससे उनकी भूगोल की जानकारी पर सवाल खड़े हो गए।
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भारत-पाकिस्तान के संघर्ष विराम पर भी ‘झूठा’ दावा
ट्रंप की यह फिसलन सिर्फ यूरोपीय देशों तक सीमित नहीं है। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम को लेकर भी तथ्यों से परे दावे किए हैं। (Trump slip of tongue) ट्रंप ने 10 मई को जब सोशल मीडिया पर यह घोषणा की थी कि वॉशिंगटन की मध्यस्थता में हुई बातचीत के बाद भारत और पाकिस्तान ‘पूर्ण और तत्काल’ संघर्ष विराम के लिए सहमत हो गए हैं, तब से उन्होंने लगभग 50 बार यह दावा दोहराया है कि उन्होंने दोनों देशों के बीच तनाव ‘घटाने’ में मदद की है।
लेकिन भारत ने लगातार किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप से इनकार किया है। भारत का साफ कहना है कि पाकिस्तान के साथ शत्रुता समाप्त करने पर सहमति दोनों सेनाओं के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMOs) के बीच सीधी बातचीत के बाद बनी। (Trump slip of tongue) नई दिल्ली में, विदेश मंत्रालय ने भी शुक्रवार को इस बैठक का संज्ञान लेते हुए कहा कि आतंकवाद जैसे मुद्दों पर पाकिस्तान के साथ उसकी बातचीत में किसी तीसरे पक्ष की भागीदारी की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि उसका मानना है कि ये मुद्दे द्विपक्षीय ही रहने चाहिए। ट्रंप के लगातार बेतुके और गलत दावे अब उनके नोबेल पुरस्कार के प्रयासों को हास्यास्पद बना रहे हैं, और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में उनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।