
Trump India Trade Deal After China: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसा संकेत दिया है, जो भारत और दुनिया भर में सुर्खियां बटोर रहा है। यह संकेत चीन के साथ एक बड़े व्यापार समझौते पर दस्तखत करने के ठीक बाद दिया गया है। (Trump India Trade Deal After China) दरअसल, व्हाइट हाउस में एक कार्यक्रम के दौरान ट्रंप ने कहा कि हमने अभी-अभी चीन के साथ एक व्यापार समझौता किया है। इसी के साथ ट्रंप ने इशारा किया कि भारत के साथ भी हम बहुल जल्द एक बड़ी डील करने वाले हैं।
Trump India Trade Deal After China: ट्रंप का सनसनीखेज बयान
राष्ट्रपति ट्रंप इस डील के बारे में बहुत कुछ खुलासा नहीं किया है, लेकिन उन्होंने अपनी बात को और सनसनीखेज बनाते हुए कहा, “हर कई एक डील करना चाहता है और उसका हिस्सा बनना चाहता है। (Trump India Trade Deal After China) हमने कल चीन के साथ एक डील की है। और हम कुछ बेहतरीन सौदे कर रहे हैं। हम एक सौदा शायद भारत के साथ भी करने जा रहे हैं, जो बहुत बड़ा सौदा होगा।
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ट्रंप की इन बातों से साफ है कि अमेरिका, दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत के साथ आर्थिक संबंधों को गहरा करने में फिर से दिलचस्पी ले रहा है, खासकर जब वाशिंगटन अपनी वैश्विक व्यापार साझेदारी को फिर से बदल रहा है। हालांकि, उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि सभी देशों को ऐसे सौदे नहीं दिए जाएंगे। उन्होंने टैरिफ का जिक्र करते हुए कहा, “कुछ को हम बस एक पत्र भेजेंगे, कहेंगे बहुत-बहुत धन्यवाद। आपको 25, 35, 45 प्रतिशत चुकाना होगा।”
Trump India Trade Deal After China: क्या नजदीक है कोई बड़ा सौदा?
इस महीने की शुरुआत में, अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक ने भी अमेरिका-भारत व्यापार समझौते को लेकर अपनी उम्मीद जताई थी। यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम में बोलते हुए, लटनिक ने कहा था कि दोनों देशों को “सामान्य आधार” मिल गया है और यह सौदा जल्द ही अंतिम रूप ले सकता है।
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ट्रंप ने चीन के साथ क्या किया सौदा?
ट्रंप ने अपने चीन सौदे की ज्यादा जानकारी तो नहीं दी, लेकिन बाद में व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया कि इस समझौते का मुख्य जोर चीन से अमेरिका में दुर्लभ खनिजों (Rare Earth Shipments) की सप्लाई को तेज करने पर था। ये वो खनिज हैं जिनकी वजह से अक्सर ग्लोबल सप्लाई चेन में दिक्कतें आती हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारी ने कहा, “प्रशासन और चीन ने जेनेवा समझौते को लागू करने के लिए एक रूपरेखा पर अतिरिक्त सहमति जताई है।” इसका सीधा मतलब था कि चीन द्वारा अहम खनिजों और चुम्बकों पर लगाए गए प्रतिबंधों से होने वाली देरी को खत्म किया जाए। इन प्रतिबंधों ने अमेरिकी उद्योगों, खासकर ऑटोमोटिव, रक्षा और टेक्नोलॉजी सेक्टर को बुरी तरह प्रभावित किया था।