Thailand PM leaked phone call: एक फोन कॉल… एक शब्द ‘अंकल’… और थाईलैंड की सत्ता हिलने लगी! बैंकॉक की सड़कों पर अब सिर्फ प्रदर्शन नहीं हो रहे, बल्कि सत्ता का पतन लिखा जा रहा है! थाईलैंड की राजधानी इन दिनों किसी युद्धभूमि से कम नहीं लग रही। हर ओर नारों की गूंज है, लहराते झंडे हैं, और गुस्साई भीड़ है—जो एक महिला को सत्ता से बाहर खींचने पर उतारू है। ये कोई सामान्य विरोध नहीं, बल्कि थाईलैंड के इतिहास में सबसे सांकेतिक और भूकंपकारी जनविद्रोह में तब्दील होता जा रहा है। प्रधानमंत्री पैटोंगटार्न शिनावात्रा, जो कभी लोकतंत्र की आशा बनकर उभरी थीं, अब जनता की आंखों में “देशद्रोह की प्रतीक” बन चुकी हैं। (Thailand PM leaked phone call) वजह? एक कॉल, जिसमें उन्होंने पड़ोसी देश कंबोडिया के पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन को “अंकल” कहकर पुकारा और थाई सेना की आक्रामक रणनीति को “सिर्फ दिखावा” बता दिया। लेकिन इस एक लीक कॉल ने केवल उनके शब्द नहीं खोले—बल्कि उनकी निष्ठा और राष्ट्रवाद पर शक का तूफ़ान खड़ा कर दिया है।

बैंकॉक की सड़कों पर गूंजा—“देश की गद्दार पीएम इस्तीफा दो!”
शिनावात्रा के खिलाफ अब जो जनसैलाब उमड़ा है, वो थाईलैंड में पिछले कई दशकों में कभी नहीं देखा गया। बैंकॉक के विक्टरी मॉन्यूमेंट वॉर मेमोरियल के पास हज़ारों लोग एक साथ इकट्ठा हुए। (Thailand PM leaked phone call) हर हाथ में राष्ट्रीय झंडा, हर गले में गुस्सा और हर नारे में आग—“हमारी पीएम देश की दुश्मन है”, “शिनावात्रा गद्दार है”, “थाई सेना का अपमान नहीं सहेगा देश”। ये विरोध अब सिर्फ एक बयान के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे शिनावात्रा राजवंश के खिलाफ विद्रोह में बदल चुका है। यह वो परिवार है, जो तीन प्रधानमंत्रियों को देश को दे चुका है। लेकिन अब “शाही सत्ता नहीं, जनमत की मांग” बुलंद हो रही है।
Thailand PM leaked phone call: ‘अंकल’ कहने की कीमत—गद्दारी का तमगा!
पैटोंगटार्न शिनावात्रा की वो लीक कॉल जिसमें वह कंबोडिया के पूर्व पीएम हुन सेन से सीमा विवाद पर “गुप्त समझदारी” की बात कर रही थीं, अब पूरे देश में वायरल है। कॉल में उन्होंने सेन को “अंकल” कहते हुए यह कहा कि “हमारे सेना के कमांडर सिर्फ कूल दिखने के लिए आक्रामक बोलते हैं, असल में यह सिर्फ पब्लिक शो था।” थाई नागरिकों के लिए, जो सेना को देश की आत्मा मानते हैं, यह टिप्पणी सीधा अपमान और विश्वासघात है। (Thailand PM leaked phone call) उन्होंने इसे देश की संप्रभुता के साथ खिलवाड़ बताया। उनके अनुसार, प्रधानमंत्री ने निजी रिश्तों को राष्ट्रीय सुरक्षा से ऊपर रख दिया।
राजनीति में दरार—गठबंधन में टूट, इस्तीफों की बाढ़
इस बवाल का असर थाईलैंड की सत्ता में भी साफ नजर आने लगा है। शिनावात्रा की फेउ थाई पार्टी के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ गठबंधन को पहला झटका उस वक्त लगा जब एक प्रमुख सहयोगी पार्टी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। (Thailand PM leaked phone call) शिनावात्रा ने तुरंत प्रेस कॉन्फ्रेंस करके माफी मांगी, कहा कि, “यह कॉल एक व्यक्तिगत बातचीत थी, मेरा इरादा किसी का अपमान करने का नहीं था। प्रदर्शनकारियों के शांतिपूर्ण विरोध का मैं सम्मान करती हूं।” लेकिन अब सवाल यह है कि क्या देश माफ करेगा?
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अदालत की दहलीज़ पर पहुंचा विरोध—संवैधानिक संकट तय?
थाईलैंड की संवैधानिक अदालत में अब शिनावात्रा को हटाने की याचिका दाखिल हो चुकी है। इसमें आरोप लगाया गया है कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय रक्षा से जुड़े संवेदनशील मामलों को विदेशी नेता के साथ साझा किया, और इस तरह अपने पद की मर्यादा और संवैधानिक शपथ का उल्लंघन किया है। (Thailand PM leaked phone call) कानूनी विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर अदालत इस याचिका को स्वीकार करती है, तो थाईलैंड की संसद को भंग करना पड़ सकता है, या फिर एक बार फिर नया प्रधानमंत्री चुना जाएगा।
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शिनावात्रा—जिसे देश ने उम्मीद समझा, वही बन गई विवाद की जड़
पैटोंगटार्न शिनावात्रा, जिनकी उम्र महज 38 साल है, थाईलैंड की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री बनी थीं। (Thailand PM leaked phone call) वह देश की दूसरी महिला प्रधानमंत्री भी हैं, और एक राजनैतिक वंश की प्रतीक, जिनके पिता थाकसिन शिनावात्रा और चाची यिंगलुक भी पीएम रह चुके हैं लेकिन सत्ता की इस विरासत ने अब लोगों को राजशाही की गंध देनी शुरू कर दी है। जनता कह रही है—“हमें राजपरिवार नहीं, जवाबदेह नेता चाहिए!”
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क्या इस्तीफा ही अंतिम विकल्प है?
बैंकॉक की सड़कों पर जो भीड़ उतरी है, वह अब सिर्फ भाषण से शांत नहीं होगी। (Thailand PM leaked phone call) यह भीड़ सत्ता बदलने आई है। शिनावात्रा की लोकप्रियता तेजी से गिर रही है। एक ओर अदालत का दबाव है, दूसरी ओर गठबंधन टूट रहा है, और तीसरी ओर जनता बेकाबू है। राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं—”अब पीएम के पास दो ही विकल्प हैं—या तो इस्तीफा दें, या फिर ज़बरदस्त सियासी संकट के लिए तैयार रहें।” कॉल तो कट गई, पर सवाल बजते रहेंगे… शिनावात्रा का कहना है कि कॉल में कुछ खास नहीं था। (Thailand PM leaked phone call) लेकिन सवाल ये है कि—अगर कुछ खास नहीं था, तो देश जल क्यों रहा है? क्या कोई भी प्रधानमंत्री अपने पड़ोसी देश के पूर्व प्रधानमंत्री से ऐसी बात कर सकता है? क्या कोई सत्ताधारी नेता अपनी सेना को “ड्रामा आर्टिस्ट” कह सकता है? क्या “अंकल” कह देने से किसी का राष्ट्रवाद नहीं डगमगाता? थाईलैंड अब इन सवालों के जवाब मांग रहा है… और जब जनता जवाब मांगती है, तो ताज ज्यादा देर तक सिर पर नहीं टिकते। अंत में सिर्फ इतना ही—बैंकॉक की हवा में आज सिर्फ धूप नहीं है… वहां जल रही है लोकतंत्र की परीक्षा, और जब तक जनता की मांग पूरी नहीं होती, थाईलैंड की सड़कों पर तख्त हिलता रहेगा!