Tarique Rahman-Yunus Phone Call: बांग्लादेश में मौजूदा वक्त में जमकर बवाल हो रहा है। इस बीच बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान 17 साल के निर्वासन के बाद गुरुवार को अपने देश लौट आए और उनका भव्य स्वागत किया गया। ढाका के हवाई अड्डे पर समर्थकों की भारी भीड़ ने उन्हें फूलों और नारों से स्वागत किया। (Tarique Rahman-Yunus Phone Call) उनकी वापसी बांग्लादेश की राजनीति में के लिए एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम मानी जा रही है। उनके आगमन ने देश में आगामी आम चुनावों को लेकर राजनीतिक गतिविधियों को और तेज कर दिया है।
Tarique Rahman-Yunus Phone Call: सरकार के सुरक्षा इंतजामों की सराहना
देश लौटने के बाद तारिक रहमान ने बिना ज्यादा वक्त गवाएं मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस से फोन पर बातचीत की और उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। (Tarique Rahman-Yunus Phone Call) इस बातचीत के दौरान उन्होंने सरकार द्वारा अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों की सराहना की। सूत्रों के मुताबिक, यह वार्ता सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और इसमें वर्तमान राजनीतिक हालात और व्यक्तिगत कुशलक्षेम पर भी चर्चा हुई। राजनीतिक विशेषज्ञ इसे संकेत मान रहे हैं कि तारिक रहमान सक्रिय राजनीति में लौटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
पिता को श्रद्धांजलि और राष्ट्रीय शहीद स्मारक का दौरा
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तारिक रहमान ने गुरुवार को घोषणा की कि वह शुक्रवार को अपने पिता और पूर्व सैन्य शासक जनरल जियाउर रहमान की कब्र पर जाएंगे। (Tarique Rahman-Yunus Phone Call) जुमा की नमाज के बाद दोपहर में यह कार्यक्रम आयोजित होगा। पार्टी के मीडिया विंग ने बताया कि रहमान ढाका स्थित समाधि स्थल पर अपने पिता की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करेंगे। इसके बाद बीएनपी नेता सावर स्थित राष्ट्रीय शहीद स्मारक के लिए रवाना होंगे, जहां 1971 के मुक्ति युद्ध में शहीद हुए लोगों को पुष्पांजलि अर्पित करेंगे।
राजनीतिक भविष्य और संभावित प्रधानमंत्री की भूमिका
तारिक रहमान के आगमन को लेकर राजनीतिक अटकलें तेज हैं। उन्हें बांग्लादेश के अगले संभावित प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा रहा है। अवामी लीग पर बढ़ते प्रतिबंध और एनसीपी व जमात की कम लोकप्रियता के बीच बीएनपी देश की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में अपने दबदबे को बरकरार रखे हुए है। (Tarique Rahman-Yunus Phone Call) राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनकी वापसी से पार्टी के रणनीतिक फैसले और चुनावी समीकरण बदल सकते हैं, जिससे बांग्लादेश की राजनीति में नई हलचल आएगी।
