Taliban-Pakistan Tension: तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में जहां एक ओर शांति की बातें हो रही थीं, वहीं दूसरी ओर गोलियों की आवाज ने उम्मीदों की दीवार हिला दी। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से खिंची तलवारें अब फिर से म्यान से बाहर आती दिख रही हैं। वार्ता और हमले दोनों शब्द एक ही वाक्य में आ गए हैं, और यह स्थिति दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए बेहद चिंताजनक है।
Taliban-Pakistan Tension: तुर्की में शांति वार्ता, सीमा पर तनाव की आंच
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के प्रतिनिधि तुर्की में शांति वार्ता के तीसरे दौर के लिए मिले थे। लेकिन उसी वक्त, अफगान-पाक सीमा के स्पिन बोल्डक इलाके से एक बार फिर गोलीबारी की खबर आई। (Taliban-Pakistan Tension) पाकिस्तान की ओर से की गई इस कार्रवाई ने वार्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
दोनों देशों ने 19 अक्टूबर को दोहा में संघर्षविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन उसके कुछ ही हफ्तों बाद रिश्तों में फिर दरार आ गई है। इस्तांबुल में हुए दूसरे दौर की बातचीत पहले ही किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाई थी, और अब तीसरा दौर भी संदेह के घेरे में है।
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रूस का समर्थन, लेकिन असमंजस बरकरार
जैसे ही वार्ता शुरू हुई, अफगानिस्तान को रूस से समर्थन का संकेत मिला। रूस के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सर्गेई शोइगु ने कहा कि अफगानिस्तान में सकारात्मक विकास हो रहा है, लेकिन साथ ही उन्होंने देश की सुरक्षा स्थिति पर चिंता भी जताई। शोइगु ने अफगानिस्तान को फिर से क्षेत्रीय आर्थिक ढांचों में शामिल करने की बात कही, ताकि वहां स्थिरता लौट सके। (Taliban-Pakistan Tension) CSTO महासचिव इमानगाली तस्मागाम्बेटोव ने भी कहा कि अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान की सीमाओं की सुरक्षा बढ़ाना बेहद जरूरी है, क्योंकि अफगानिस्तान की स्थिरता सीधे पड़ोसी देशों के हितों से जुड़ी है।
भारत भी आया आगे
इस बीच, भारत ने अफगानिस्तान की मदद का हाथ बढ़ाया है। काबुल में भारतीय राजनयिक मिशन के प्रमुख ने अफगान कृषि मंत्री से मुलाकात की और कृषि अनुसंधान व क्षमता निर्माण में सहयोग का आश्वासन दिया। (Taliban-Pakistan Tension) भारत का यह कदम यह दर्शाता है कि वह अफगानिस्तान में स्थिरता और विकास के लिए रचनात्मक भूमिका निभाना चाहता है। तुर्की में जारी यह वार्ता फिलहाल उम्मीद और अविश्वास के बीच झूल रही है। गोलियों की गूंज अगर कूटनीति पर भारी पड़ी, तो शांति की यह कोशिश एक बार फिर अधूरी रह जाएगी और दक्षिण एशिया में तनाव की यह आग और भड़क सकती है।
