संदेशखाली: पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के संदेशखाली इलाके में एक नाम है, जो इन दिनों खौफ और त्रासदी का प्रतीक बन गया है। यह नाम है – शाहजहां शेख।
शाहजहां शेख: 34 वर्षीय शाहजहां, जिसे स्थानीय लोग “माफिया” और “गैंगस्टर” के नाम से जानते हैं, पर 43 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें हत्या, हत्या का प्रयास, रंगदारी, बलात्कार, अपहरण, धमकी, और ज़मीन हड़पने जैसे गंभीर अपराध शामिल हैं।
गुनाहों का सिलसिला:
- 2018 में, शाहजहां ने कथित तौर पर एक स्थानीय व्यापारी की हत्या कर दी थी।
- 2020 में, उसने एक महिला का बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी।
- 2021 में, उसने एक युवक को अपहरण कर लिया और फिरौती के लिए उसे मारने की धमकी दी।
- 2022 में, उसने कई लोगों की ज़मीनें हड़प लीं।
कानून का शिकंजा:
शाहजहां के खिलाफ IPC की 17 धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है और उसे जेल भेज दिया गया है।
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न्याय की उम्मीद:
संदेशखाली के लोग शाहजहां से त्रस्त थे। उसकी गिरफ्तारी से उन्हें राहत मिली है। वे न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।
यह एक चेतावनी है:
यह घटना उन सभी लोगों के लिए एक चेतावनी है जो अपराध का रास्ता अपनाते हैं। कानून का शिकंजा उन तक जरूर पहुंचता है।
यह एक संदेश भी है:
यह घटना उन सभी लोगों के लिए एक संदेश भी है जो शांति और न्याय चाहते हैं। कानून हमेशा आपके साथ है।
43 केस, IPC की 17 धाराओं के तहत शिकंजा… संदेशखाली के विलेन शाहजहां शेख के गुनाहों का हिसाब होना शुरू
संदेशखाली का आरोपी शाहजहां शेख 55 दिन बाद गिरफ्तार कर लिय गया है. उस पर प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर हमले का आरोप है. शाहजहां 5 जनवरी से फरार चल रहा था. शाहजहां को 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है. संदेशखाली और आसपास के इलाकों में 3 मार्च तक धारा 144 लागू की गई है. शाहजहां पर संदेशखाली में कथित यौन उत्पीड़न और जमीन हड़पने के भी आरोप हैं.
पश्चिम में टीएमसी से निष्कासित किए गए शाहजहां शेख पर कानून का शिकंजा कस गया है. स्थानीय कोर्ट ने गुरुवार को शाहजहां को 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. हाईकोर्ट ने भी सख्ती बरतने का संकेत दिया है. शाहजहां और उसके सहयोगियों पर संदेशखाली में प्रवर्तन निदेशालय की टीम पर हमला करने का आरोप है. स्थानीय महिलाएं भी यौन उत्पीड़न के आरोप लगा रही हैं और महीनेभर से आंदोलन कर रही हैं. पुलिस ने शाहजहां पर जिन धाराओं में एफआईआर दर्ज की है, वे बेहद गंभीर हैं और उनमें आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है. जुर्माना से भी दंडित किया जाएगा.
संदेशखाली के आरोपी शाहजहां शेख पर संदेशखाली में जमीन पर कब्जा करने और यौन उत्पीड़न के भी आरोप लगे हैं. उसे गुरुवार सुबह गिरफ्तार किया गया था. संदेशखाली और आसपास के इलाकों में 3 मार्च तक धारा 144 लागू की गई है. शाहजहां शेख पर तीन बीजेपी समर्थकों की हत्या और बिजली विभाग के कर्मचारियों की मारपीट समेत कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. शाहजहां पर आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 341, 186, 353, 323, 427, 379, 504, 307, 333, 325, 326, 395, 397, 34 के तहत आरोप लगाए गए है
धारा 307:
हत्या की कोशिश करने पर सजा का प्रावधान है. यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की हत्या करने की कोशिश करता है तो उसे 10 वर्ष तक की कारावास दी जा सकती है. साथ ही आर्थिक दंड भी लगाया जाएगा. यदि इस तरह के कृत्य से किसी व्यक्ति को चोट पहुंचती है तो अपराधी को आजीवन कारावास तक दी जा सकती है. अगर अपराधी जिसे इस धारा के तहत आजीवन कारावास की सजा दी गई है, वो चोट पहुंचाता है तो उसे मृत्यु दंड दिया जा सकता है. यह अपराध गैर जमानतीय है और सत्र न्यायालय में विचारणीय है.
धारा 326:
उस कृत्य को अपराध माना गया है, जिसमें खतरनाक हथियारों या साधनों द्वारा स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाई जाती है. जैसे गोली चलाने या छुरा घोंपने, काटने या ऐसा कुछ भी करने के लिए किसी उपकरण या हथियार का उपयोग करने से मौत संभावित हो. इसके अलावा आग या किसी गर्म पदार्ध, जहर या किसी विस्फोटक से गंभीर चोट आने के कारण सांस लेने में दिक्कत या फिर जानवर के जरिए क्षति पहुंचाई जाती है तो सजा से दंडित किया जाएगा. इसमें दोषी को आजीवन कारावास या इसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है. साथ ही आर्थिक दंड से दंडित किया जाएगा. यह एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है. प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है. मध्य प्रदेश में सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है.
धारा 395:
जो कोई डकैती करेगा उसे आजीवन कारावास हो सकता है. ऐसा कठिन कारावास जिसकी अवधि दस साल तक होगी. साथ ही आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा. यह एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है. सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है.
धारा 147:
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 147, में दंगा करने वालों के लिए सजा का प्रावधान किया गया है. ऐसे मामलों में दंगा-बलवा करने के दोषी को दो साल तक की जेल या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जा सकता है. दंगा करने का अपराध तब माना जाता है, जब पांच या उससे ज्यायादा लोग किसी गैरकानूनी सभा में इकट्ठा होकर हिंसा करते हैं. यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है.
धारा 148:
जो भी कोई घातक हथियार या किसी ऐसी चीज, जिससे हमला किए जाने पर मौत तक हो सकती है, उसे लेकर उपद्रव करेगा तो तीन वर्ष तक का कारावास बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाएगा. यह एक जमानती और संज्ञेय अपराध है. प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है.
धारा 149:
सार्वजनिक शांति के खिलाफ सभी अपराधों के बारे में बताया गया है. इस धारा के तहत खासतौर पर विधि-विरुद्ध जमाव (गैर कानूनी सभा) करने पर एक्शन लिया जाता है. किसी भी गैनकानूनी जमावड़े में शामिल होने वाला हर शख्स अपराध की भागीदार माना जाएगा. साधारण भाषा में कहें तो अगर गैरकानूनी जमावड़े में शामिल किसी सदस्य द्वारा अपराध किया जाता है, तो ऐसे जमावड़े का हर अन्य सदस्य उस अपराध का दोषी होगा. अपराध के अनुसार सजा मिलती है. अपराध ही तय करता है कि मामला संज्ञेय है या असंज्ञेय. इसकी जमानत, संज्ञान और अदालती कार्रवाई अपराध अनुसार होगी.
धारा 333:
इस धारा के तहत अपराध बहुत ही गंभीर और बड़ा माना जाता है. किसी लोक सेवक को अपने कर्तव्यों से विमुख करने के लिए या उस व्यक्ति या किसी अन्य लोक सेवक को अपने कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के लिए, स्वेच्छा से गंभीर चोट पहुंचाता है, तो उसे दंडित किया जाएगा. दोषी को 10 वर्ष तक कारावास दिया जा सकता है. साथ ही आर्थिक दण्ड भी लगाया जाएगा. यह एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है. सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है.
धारा 325:
जो कोई भी किसी दूसरे व्यक्ति को स्वेच्छापूर्वक गंभीर चोट पहुंचाता है तो उसे सात वर्ष तक का कारावास दिया जा सकता है. साथ ही वो आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा. यह एक जमानती और संज्ञेय अपराध है. किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है. यह अपराध न्यायालय की अनुमति से पीड़ित व्यक्ति के द्वारा समझौता करने योग्य है.
धारा 397:
अगर लूट या डकैती के दौरान अपराधी किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाता है या किसी व्यक्ति की मौत का कारण बनने की कोशिश करता है तो उसे कम से कम सात साल तक की कठोर सजा हो सकती है. साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है. यह एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है. सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय है.
धारा 341:
किसी व्यक्ति को गलत तरीके से रोकने पर धारा 341 लगाई जाती है. दोषी को एक महीने तक की साधारण कारावास की सजा हो सकती है या 500 रुपये का आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाएगा. यह जमानती और संज्ञेय अपराध है. किसी भी मॅजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है.
धारा 186:
लोक सेवक (सरकारी कामकाज) के कामों में बाधा डालने के बारे में परिभाषित किया गया है. इसमें तीन महीने कारावास या 500 रुपए आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाएगा. यह एक जमानती और गैर-संज्ञेय अपराध है. जबकि आंध्रप्रदेश में यह अपराध संज्ञेय है. किसी भी मॅजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है.
धारा 353:
किसी लोकसेवक के रूप में कर्तव्य निभाने वाले व्यक्ति के साथ मारपीट, हमला या आपराधिक बल प्रयोग करने पर सजा देने का प्रावधान किया गया है. दोषी पाए जाने पर दो वर्ष तक कारावास या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है. यह गैर जमानती और संज्ञेय अपराध है. किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है.
धारा 323:
जो भी व्यक्ति जानबूझकर किसी को स्वेच्छा से चोट पहुंचाता है, उसे एक वर्ष तक का कारावास दिया जा सकता है या एक हजार रुपए तक का जुर्माना या दोनों के साथ दंडित किया जा सकता है. यह एक जमानती और गैर-संज्ञेय अपराध है. किसी भी जज द्वारा विचारणीय है.
धारा 427:
यदि कोई कार में डेंट और खरोंच लगाकर उसे नुकसान पहुंचाता है और मरम्मत की लागत पचास रुपये या उससे ज्यादा होने का अनुमान है तो दोषी को दो वर्ष तक की कारावास या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाएगा. यह एक जमानती और गैर-संज्ञेय अपराध है. किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है. यह अपराध पीड़ित व्यक्ति द्वारा समझौता करने योग्य है, अगर नुकसान या क्षति किसी निजी व्यक्ति की हो.
धारा 379:
चोरी के लिए दंड का प्रावधान है. जो भी व्यक्ति चोरी करने का अपराध करता है तो उसे 3 वर्ष तक कारावास दिया जा सकता है या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाएगा. यह एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है. किसी भी जज द्वारा विचारणीय है. पीड़ित व्यक्ति / संपत्ति के मालिक द्वारा समझौता करने योग्य है.
धारा 504:
किसी व्यक्ति को उकसाने के इरादे से जानबूझकर उसका अपमान करने और इरादतन या यह जानते हुए कि इस तरह की उकसाहट उस व्यक्ति को लोकशांति भंग करने या अन्य अपराध का कारण हो सकती है तो दोषी को दो वर्ष तक की कारावास दी जा सकती है या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाएगा. यह एक जमानती और गैर-संज्ञेय अपराध है.
धारा 34:
जब कई लोगसमान इरादे से कोई आपराधिक कृत्य करते हैं तो उनमें से प्रत्येक इस कृत्य के लिए उसी तरह जवाबदेह होगा, जैसे उसने अकेले इस काम को अंजाम दिया हो. इस धारा में किसी अपराध की सजा के बारे में नहीं बताया गया है. इस धारा में एक ऐसे अपराध के बारे में बताया गया है, जो किसी अन्य अपराध के साथ किया गया हो.
’10 साल कोर्ट के चक्कर काटोगे’
शाहजहां पर 43 केस दर्ज हैं. लेकिन ज्यादातर मामलों में या तो केस की चार्जशीट उपलब्ध नहीं है या फिर शाहजहां के खिलाफ जांच लंबित है. आजतक के पास ऐसे दस्तावेज हैं जो साबित करते हैं कि कैसे कई मामले दर्ज होने के बावजूद प्रशासन ने शाहजहां के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. गुरुवार को इस पहलू पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी गौर किया और जमानत याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया. शाहजहां पर करीब 43 मुकदमे दर्ज हैं. हाईकोर्ट ने वकील से कहा, हम आपके पेश होने का इंतजार कर रहे थे. इस पर वकील ने कहा कि शाहजहां को कल रात गिरफ्तार किया गया था. हम निचली अदालत में लंबित चार जमानत याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई चाहते हैं. इस पर HC के चीफ जस्टिस टीएस शिवगणनम ने फटकार लगाते हुए कहा कि हमें इस व्यक्ति पर कोई सहानुभूति नहीं है. अगले 10 साल तक कोर्ट आना-जाना पड़ेगा. पेशी होगी. सुनवाई चलेगी. फिर फैसला आएगा. हाईकोर्ट ने कहा, वकील साहब, अगले 10 साल तक आपके पास बहुत-सा काम होगा. आप काफी व्यस्त रहेंगे. सोमवार को अगली सुनवाई के लिए आइए.
शाहजहां पर तीन बीजेपी समर्थकों की हत्या का भी आरोप’
बताते चलें कि जून 2019 में देबदास मंडल, उनके पिता प्रदीप मंडल और एक सुकांत मंडल की हत्या हुई थी. ये तीनों कथित तौर पर बीजेपी समर्थक थे. इस मामले में शाहजहां और 24 अन्य के खिलाफ नजात पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी. एफआईआर में बताया गया था कि करीब 150 लोगों के एक समूह का नेतृत्व शाहजहां कर रहा था. इस समूह के लोगों के हाथों में घातक हथियार थे. ये लोग मंडल के घर में घुस गए और फर्नीचर में तोड़फोड़ की. देबदास मंडल के पिता प्रदीप मंडल की कथित तौर पर हत्या कर दी गई और उसके बाद घर में आग लगा दी गई. जब देबदास मंडल ने भागने की कोशिश की तो उसे पकड़ लिया गया और उसकी पिटाई की गई. करीब दो साल बाद उनका शव इलाके में एक नदी के किनारे मिला था. लोगों का एक अन्य समूह सुकांत मंडल नाम के व्यक्ति की दुकान में घुस गया और उसकी हत्या कर दी. आजतक को पता चला है कि इस मामले की चार्जशीट उपलब्ध नहीं है. शाहजहां के खिलाफ दर्ज की गई एक एफआईआर को हटा दिया गया है.
‘पुलिस ने ना पूछताछ की और ना एक्शन लिया’
इसके अलावा, यह पाया गया कि पुलिस अधिकारियों ने अपनी जांच में कोई आपत्तिजनक सामग्री जब्त नहीं की है. शेख से कभी पूछताछ भी नहीं की गई. आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज एक अन्य मामले में शाहजहां के खिलाफ जांच लंबित है. एफआईआर में नामित 23 लोगों में से सिर्फ 6 लोगों पर आरोप लगाए गए हैं. 25 अगस्त, 2022 को शाहजहां के खिलाफ एक और केस दर्ज किया गया था. 10 लोगों ने सरबेरिया में WBSEDCL (राज्य बिजली वितरण बोर्ड) स्टेशन प्रबंधक के कार्यालय में प्रवेश किया और कुछ कर्मचारियों की पिटाई की थी. इस घटना में कई कर्मचारी घायल हो गए थे. इस मामले में 15 अक्टूबर, 2022 को आरोप पत्र दायर किया गया था और एक अदालत ने वारंट भी जारी किया था. हालांकि, आगे कोई कार्रवाई नहीं की गई.
‘पुलिसकर्मियों की पिटाई का भी आरोप’
इसी मामले में एक और एफआईआर तब दर्ज की गई जब शाहजहां के नेतृत्व में 700 लोगों ने ज्यादा बिजली बिल के विरोध में सरबेरिया में बसंती राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया था. विरोध तब हिंसक हो गया जब भीड़ पुलिस से भिड़ गई और पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया. झड़प के दौरान कुछ पुलिसकर्मियों की पिटाई भी की गई. हालांकि, तृणमूल नेता के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.