
Russia Ukraine War: नई दिल्ली से यूक्रेन की दूरी भले ही 5000 किलोमीटर हो, लेकिन पिछले तीन साल से चल रहे रूस-यूक्रेन संघर्ष में भारत का किरदार अब सबसे अहम हो गया है। एक तरफ अमेरिका और यूरोप रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा रहे हैं, वहीं भारत ने अपनी तटस्थ और संतुलित कूटनीति से एक ‘अदृश्य लेकिन महत्वपूर्ण साझेदार’ की भूमिका निभाई है। (Russia Ukraine War) भारत की रूस से कच्चा तेल खरीदने की क्षमता ने उसे इस युद्ध को प्रभावित करने की एक अनोखी आर्थिक ताकत दे दी है। इस पूरी कहानी में भारत की भूमिका केवल आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक और नैतिक भी है, जिसने उसे दोनों पक्षों के बीच एक विश्वसनीय मध्यस्थ बना दिया है।
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Russia Ukraine War: भारत की ‘ऑयल डिप्लोमेसी’: रूस का आर्थिक सहारा
जब 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ और पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए, तो रूस को अपने तेल निर्यात के लिए नए बाजारों की तलाश थी। (Russia Ukraine War) भारत ने इस अवसर को बखूबी भुनाया। रियायती दरों पर रूसी तेल का आयात बढ़ाकर भारत ने न केवल अपनी घरेलू तेल जरूरतों को पूरा किया, बल्कि रूस को भी आर्थिक रूप से स्थिरता बनाए रखने में मदद की। 2023 में भारत ने रूस से अपनी कुल कच्चे तेल की जरूरतों का 25% आयात किया, जिससे अरबों डॉलर का व्यापार हुआ। इस कदम ने भारत को रूस के लिए एक विश्वसनीय आर्थिक साझेदार बना दिया, जिससे वह पश्चिमी दबाव के बावजूद मध्यस्थ की भूमिका निभा सका।
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ट्रंप-पुतिन की मुलाकात का ‘भारतीय कनेक्शन’
रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने की दिशा में सबसे बड़ा कदम तब उठाया गया, जब अलास्का में रूसी राष्ट्रपति पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात हुई। इस बैठक के बाद ही व्हाइट हाउस में ट्रंप, जेलेंस्की और अन्य यूरोपीय नेताओं के बीच शांति वार्ता की पृष्ठभूमि तैयार हुई। (Russia Ukraine War) अलास्का से लौटते ही पुतिन ने सबसे पहले पीएम मोदी को फोन कर वार्ता की प्रगति की जानकारी दी। पीएम मोदी ने इस दौरान भारत की शांति के प्रति प्रतिबद्धता दोहराई। इसके बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भी पीएम मोदी से फोन पर बात की और भारत के शांति प्रयासों की सराहना की। यह दर्शाता है कि दोनों पक्ष भारत के नेतृत्व पर कितना भरोसा करते हैं।
रूस से तेल खरीदने के बावजूद, भारत ने कभी भी युद्ध की पैरवी नहीं की। 2022 में उज्बेकिस्तान में SCO शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने पुतिन से साफ कहा था, “यह युद्ध का समय नहीं है।” पीएम मोदी का यह बयान अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की रणनीतिक साख को मजबूत करने वाला साबित हुआ। (Russia Ukraine War) भारत की तटस्थता और रणनीतिक स्वायत्तता ने उसे रूस और यूक्रेन, दोनों के साथ विश्वास बनाए रखने में सक्षम बनाया।
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यूक्रेन में पीएम मोदी की पेशकश: ‘हम मध्यस्थता के लिए तैयार’
23 अगस्त 2024 को प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेन की यात्रा की। कीव में राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ मुलाकात में उन्होंने युद्ध खत्म करने और संवाद पर जोर दिया। (Russia Ukraine War) उन्होंने यूक्रेन की संप्रभुता का सम्मान दोहराया और मानवीय सहायता की घोषणा की। सबसे महत्वपूर्ण बात, मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता में भारत की मध्यस्थता की पेशकश की। जेलेंस्की ने इस कदम की सराहना की, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यूक्रेन इस युद्ध की समाप्ति में भारत के सकारात्मक रोल को देखता है। भारत की यह अदृश्य लेकिन निर्णायक भूमिका बताती है कि कूटनीति की दुनिया में ताकत सिर्फ सैन्य शक्ति से नहीं, बल्कि विश्वसनीयता और सही समय पर लिए गए फैसलों से भी आती है।