
PM Modi Maldives Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज मालदीव की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर गये हैं। यह दौरा सिर्फ एक राजनयिक दौरा नहीं साथ ही भारत-मालदीव संबंधों में नए अध्याय की शुरुआत मानी जा रही है। खास बात यह है कि यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू का भारत के प्रति रुख पिछले एक साल में बेहद नकारात्मक रहा है।
इंडिया आउट का नारा देकर मालदीव की सत्ता पर काबिज होने वाले मुइज्जु ने कई बार भारत विरोधी रूख अपनाया। चाहे, उनकी सरकार ने भारतीय सैनिकों की वापसी की मांग की और भारत-विरोधी बयान देने वाले मंत्रियों को आगे किया। (PM Modi Maldives Visit) जिसके बाद भारत और मालदीव के संबंधों में तनातनी बढ़ गई थी। और जब प्रधानमंत्री मोदी ने लक्षद्वीप को पर्यटन हब के रूप में प्रमोट किया।
Also Read –China Pakistan: PAK ने की चीन की ‘नींद हराम’, इस्लामाबाद की बदलती वफादारी से ड्रैगन हुआ बेताब
तब भी मालदीव के कुछ नेताओं को मिर्ची लग गई थी जिसके बाद उन्होंने बेहद आपत्तिजनक टिप्पणियाँ कीं। जिसका भारत में भारी विरोध हुआ और ‘बॉयकॉट मालदीव’ अभियान शुरू हुआ। (PM Modi Maldives Visit) इसका असर हुआ मालदीव की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था पर गहरा चोट पड़ा।
PM Modi Maldives Visit: भारत ने फिर भी दिया भरोसा और सहयोग
इन तनावों के बावजूद भारत ने मालदीव की अर्थव्यवस्था को संकट से निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय स्टेट बैंक ने मालदीव के ट्रेजरी बिल्स में 50 मिलियन डॉलर का निवेश किया। (PM Modi Maldives Visit) इसे बाद में आगे भी बढ़ाया गया। इसके साथ ही, भारत ने मुद्रा विनिमय सुविधा और वित्तीय सहायता भी प्रदान की। वित्त वर्ष 2025 में भारत ने मालदीव को ₹600 करोड़ की सहायता दी जो पिछले वर्ष की तुलना में ₹130 करोड़ अधिक थी।
- Advertisement -
भारत के बिना मालदीव अधूरा
मालदीव को भी अब एहसास होने लगा है कि भारत को अलग रखकर उसकी स्थिरता संभव नहीं है। राष्ट्रपति मुइज्जू के स्वर भी अब बदले हुए हैं। (PM Modi Maldives Visit) भारत-विरोधी मंत्रियों के इस्तीफे और उनके खुद भारत दौरे के बाद से संबंधों में सुधार के संकेत मिलने लगे हैं। मालदीव ने अब चीन पर अत्यधिक निर्भरता से हटकर भारत के साथ संतुलन बनाने की कोशिश शुरू की है।
चीन के प्रभाव को भी करना है कम
मुइज्जू की पहली विदेश यात्रा चीन की थी और वहाँ उन्होंने कई रणनीतिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए। जिनमें सैन्य और आर्थिक सहयोग शामिल थे। (PM Modi Maldives Visit) चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत मालदीव पहले ही भारी कर्ज में है। ऐसे में भारत द्वारा दिया गया वित्तीय समर्थन न केवल कूटनीतिक संदेश था। साथ ही चीन के प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति भी थी।
Also Read –Rahul Gandhi Attacks PM Modi: ट्रंप ने करवाया सीजफायर, PM चुप क्यों? राहुल गांधी का मोदी पर डायरेक्ट अटैक, बोले- खुद को देश भक्त कहने वाले भाग गए
भारत ने हमेशा ‘पड़ोसी पहले’ नीति के तहत मदद की है। श्रीलंका को 4 अरब डॉलर, नेपाल को इन्फ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट, और अब मालदीव को वित्तीय स्थिरता के लिए निर्णायक सहायता। मालदीव का विदेशी मुद्रा भंडार अगस्त 2024 में 443.9 मिलियन डॉलर रह गया था। लेकिन RBI की स्वैप सहायता के बाद मई 2025 में बढ़कर 816 मिलियन डॉलर तक पहुँच गया।
60 वर्षों की साझेदारी को मिलेगी नई ऊर्जा
भारत और मालदीव 1965 से मजबूत राजनयिक साझेदारी निभा रहे हैं। चाहे 1988 का ऑपरेशन कैक्टस हो, 2004 की सुनामी या COVID-19 का संकट। भारत ने हर बार मालदीव की सहायता की है। हाल ही में भारत ने 13 विकास परियोजनाओं के लिए ₹100 करोड़ की आर्थिक मदद दी है।
प्रधानमंत्री मोदी मालदीव के 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। यह केवल एक सांकेतिक सम्मान नहीं, बल्कि दोनों देशों के रिश्तों में नई स्थिरता और परिपक्वता का संकेत है। यह यात्रा कूटनीति, रणनीति और पड़ोसी संबंधों का एक सफल उदाहरण बन सकती है। जहाँ आलोचना और तनाव के बावजूद भरोसा और सहयोग की नींव पर रिश्ता फिर खड़ा किया गया है।