Pakistan Kashmir Issue: पाकिस्तान ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश की है। इस बार उसने भारत के मित्र देश पोलैंड के साथ साझा बयान जारी कर इस मुद्दे को उठाया है। इस बयान में कश्मीर के साथ यूक्रेन का भी जिक्र किया गया है।
Pakistan Kashmir Issue: कश्मीर और यूक्रेन पर संयुक्त बयान
इस्लामाबाद में पोलैंड के डिप्टी प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री राडोस्लाव सिकोर्स्की 23-24 अक्टूबर को पाकिस्तान के दौरे पर थे। इस दौरान उनकी मुलाकात पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार से हुई। (Pakistan Kashmir Issue) बैठक के बाद दोनों नेताओं ने एक साझा बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि जम्मू-कश्मीर और यूक्रेन सहित सभी अंतरराष्ट्रीय विवादों का समाधान संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत होना चाहिए। यह बयान पाकिस्तान के उस पुराने रुख को दोहराता है, जिसमें वह कश्मीर को एक “अंतरराष्ट्रीय विवाद” बताकर तीसरे पक्ष की दखलंदाजी चाहता है।
भारत की नीति – कश्मीर सिर्फ द्विपक्षीय मुद्दा
भारत बार-बार साफ कर चुका है कि कश्मीर केवल भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा है। भारत का रुख यह है कि इस पर किसी तीसरे देश या अंतरराष्ट्रीय संगठन की भूमिका नहीं हो सकती। भारत का यह भी स्पष्ट कहना है कि अगर बातचीत होती है, तो वह सिर्फ पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) को वापस लेने के मुद्दे पर होगी, और वह भी तब जब पाकिस्तान आतंकवाद को पूरी तरह से खत्म करेगा। (Pakistan Kashmir Issue) भारत की इस सख्त नीति ने पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग कर दिया है। यही कारण है कि पाकिस्तान बार-बार किसी न किसी तरीके से कश्मीर को वैश्विक मुद्दा बनाकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचने की कोशिश करता रहता है।
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पोलैंड और भारत के संबंध
भारत और पोलैंड के रिश्ते काफी मजबूत माने जाते हैं। दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा और शिक्षा के क्षेत्र में गहरे संबंध हैं। हालांकि, यूक्रेन युद्ध के बाद पोलैंड और रूस के रिश्ते बेहद खराब हो चुके हैं। पोलैंड को यह आशंका है कि यूक्रेन के बाद रूस उसका भी निशाना बना सकता है। (Pakistan Kashmir Issue) ऐसे में पाकिस्तान ने कूटनीतिक रणनीति के तहत पोलैंड को अपने करीब लाने की कोशिश की है ताकि वह कश्मीर मुद्दे पर उसके साथ साझा बयान दे सके।
पर्यावरण और क्षेत्रीय स्थिरता पर सहयोग
इस बैठक में दोनों देशों के बीच जलवायु परिवर्तन से निपटने, पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों को बढ़ावा देने और दक्षिण एशिया व यूरोप में शांति व स्थिरता को मजबूत करने पर भी सहमति बनी। इसके अलावा, पाकिस्तान के थिंक टैंक “इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटेजिक स्टडीज इस्लामाबाद (ISSI)” और “पोलिश इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स” के बीच नीति संवाद को प्रोत्साहित करने के लिए एक एमओयू (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।
