
Pakistan Electricity Crisis: एक ऐसा देश जो अपनी सैन्य ताकत पर अरबों डॉलर खर्च करता है, वही देश आज अपने ही नागरिकों को दो वक्त की बिजली तक नहीं दे पा रहा है। यह बात सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन यह पाकिस्तान की कड़वी हकीकत है। कराची जैसे बड़े और आधुनिक शहर में भी बिजली कटौती अब आम बात हो गई है, लेकिन शनिवार को जो हुआ, उसने सरकार की पुरानी नाकामियों की पोल खोलकर रख दी। बिजली के लिए तड़पते लोगों का गुस्सा इस कदर फूटा कि उन्होंने शहर की सबसे व्यस्त सड़कों को ही जाम कर दिया। यह सिर्फ एक विरोध प्रदर्शन नहीं था, बल्कि यह बताता है कि पाकिस्तान की अवाम में अपनी सरकार के प्रति कितना गहरा गुस्सा है। (Pakistan Electricity Crisis) पाकिस्तान की सरकार की प्राथमिकताएं कितनी गलत हैं, यह इस घटना ने फिर से साबित कर दिया। एक तरफ सरकार अपने रक्षा बजट को बढ़ा रही है, तो दूसरी तरफ लाखों लोग गर्मी और अंधेरे में तड़पने को मजबूर हैं। कराची की इस घटना को सिर्फ एक बिजली कटौती के रूप में नहीं देखा जा सकता, बल्कि यह पाकिस्तान में बढ़ती अस्थिरता और सरकार के प्रति जनता के विश्वास की कमी को भी दर्शाती है।
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Pakistan Electricity Crisis: 24 घंटे बिना बिजली, सड़क पर उतरे लोग, मचा हाहाकार
कराची के पंजाब कॉलोनी में शनिवार को लोग उस वक्त सड़कों पर उतर आए, जब एक दस मंजिला इमारत के 80 फ्लैटों में 24 घंटे से ज़्यादा समय से बिजली नहीं थी। (Pakistan Electricity Crisis) डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, शुक्रवार की सुबह 11 बजे से ही इन फ्लैटों में बिजली गुल थी। गर्मी, अंधेरा और बच्चों की तड़प से हताश हो चुके निवासियों ने कई बार शहर की बिजली कंपनी, के-इलेक्ट्रिक, से शिकायत की। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। थक-हारकर, लोगों ने आखिरकार पंजाब चौरंगी के पास एक मुख्य मार्ग को जाम कर दिया। लोगों का गुस्सा ऐसा था कि वे सड़क के बीच में ही बैठ गए और यातायात को पूरी तरह से ठप कर दिया। उनकी मांग सिर्फ एक थी – उनके घरों में बिजली बहाल की जाए। इस घटना ने एक बार फिर से पाकिस्तानी सरकार के बिजली के खराब प्रबंधन और जनता की समस्याओं के प्रति उदासीनता को उजागर किया है।
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सरकार की पुरानी नाकामियों का पर्दाफाश
पाकिस्तान अपनी रक्षा पर भारी-भरकम खर्च करता है, लेकिन जब अपने नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं देने की बात आती है, तो सरकार के हाथ खड़े हो जाते हैं। (Pakistan Electricity Crisis) बिजली की यह समस्या सिर्फ कराची तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पूरे पाकिस्तान में यही हाल है। सरकार और बिजली कंपनियों के बीच समन्वय की कमी, भ्रष्टाचार और बिजली चोरी जैसे मुद्दों ने इस समस्या को और भी गंभीर बना दिया है। (Pakistan Electricity Crisis) कराची की इस घटना ने साफ कर दिया है कि सरकार अपनी प्राथमिकताएं गलत जगह पर तय कर रही है। जब जनता को बुनियादी जरूरतें ही नहीं मिल पा रही हैं, तो उनकी सरकार पर से विश्वास उठना स्वाभाविक है। यह विरोध प्रदर्शन सिर्फ बिजली की कमी का परिणाम नहीं था, बल्कि यह कई सालों से चल रहे कुप्रबंधन और अनदेखी का नतीजा था।
‘लाखों की गाड़ियों का जाम’
विरोध प्रदर्शन की वजह से कराची का जनजीवन पूरी तरह से ठप हो गया। (Pakistan Electricity Crisis) डिफेंस रोड और उसके आसपास के इलाकों में घंटों तक भयानक यातायात जाम रहा। प्रदर्शन की कतार इतनी लंबी थी कि कराची बंदरगाह के लिए माल ले जा रहे सैकड़ों ट्रक भी इसमें फंस गए। इन ट्रकों की कतार कय्यूमाबाद से लेकर केपीटी फ्लाईओवर तक देखी गई। (Pakistan Electricity Crisis) इस जाम ने कराची की परिवहन व्यवस्था को पूरी तरह से पंगु बना दिया। इससे न सिर्फ लोगों को भारी परेशानी हुई, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी बड़ा नुकसान हुआ। कराची जैसे शहर की सड़कें जब घंटों तक जाम रहती हैं, तो इसका सीधा असर व्यापार और कामकाज पर पड़ता है। यह घटना सिर्फ एक शहर की नहीं, बल्कि एक देश की दुखद कहानी बयां कर रही थी, जहां सरकार की विफलता के कारण आम जनता को इस तरह की परेशानी उठानी पड़ रही है।
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सबसे चौंकाने वाली बात तब सामने आई, जब बिजली कंपनी के-इलेक्ट्रिक ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। डॉन से बात करते हुए, के-इलेक्ट्रिक के एक प्रवक्ता ने दावा किया कि यह प्रदर्शन ‘अवैध कनेक्शन बहाल करने की कोशिश कर रहे शरारती तत्वों’ की कार्रवाई थी। (Pakistan Electricity Crisis) उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी टीमों पर उस समय हमला किया गया, जब वे कथित तौर पर एक केबल टीवी नेटवर्क की आड़ में बड़े पैमाने पर चल रही बिजली चोरी को रोकने की कोशिश कर रहे थे। यह आरोप न सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि यह बताता है कि कैसे पाकिस्तान में व्यवस्था अपनी गलतियों का ठीकरा जनता पर फोड़ रही है। जो लोग 24 घंटे से बिजली के लिए तड़प रहे थे, उन्हें ही बिजली चोरी का आरोपी बता दिया गया। यह बताता है कि सरकार और प्रशासन अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए किस हद तक जा सकते हैं।
क्या पाकिस्तान में विद्रोह की ‘चिंगारी’ भड़क रही है?
कराची की यह घटना सिर्फ एक छोटा सा विरोध प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान के भीतर पनप रही गहरी निराशा और गुस्से का प्रतीक है। जब एक सरकार अपने नागरिकों की बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं कर पाती है, तो जनता में गुस्सा और विद्रोह की भावना पनपना स्वाभाविक है। (Pakistan Electricity Crisis) यह घटना बताती है कि पाकिस्तान में सब कुछ ठीक नहीं है। सरकार, प्रशासन और जनता के बीच की खाई दिन-ब-दिन गहरी होती जा रही है। क्या यह विरोध प्रदर्शन पाकिस्तान में एक बड़े विद्रोह की ‘चिंगारी’ साबित होगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन इतना तय है कि इस तरह की घटनाओं से देश में राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता और बढ़ेगी।