Nepal News: नेपाल में एक बड़े सियासी उलटफेर के बीच पूर्व राजा ज्ञानेंद्र की काठमांडू में जोरदार वापसी देखने को मिली है. रविवार को जब ज्ञानेंद्र पोखरा से काठमांडू एयरपोर्ट पहुंचे तो उनके स्वागत के लिए करीब 10 हजार से अधिक नेपाली नागरिक सड़कों पर जमा हो गए. (Nepal News) यह नजारा नेपाल में राजशाही खत्म होने के बाद पहली बार देखने को मिला है, जब इतने बड़े पैमाने पर लोग ज्ञानेंद्र के समर्थन में उतरे. गौरतलब है कि नेपाल में साल 2006 में राजशाही का अंत कर दिया गया था.
ज्ञानेंद्र की इस नई एंट्री को लेकर नेपाल में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं. एक ओर कहा जा रहा है कि पूर्व राजा ज्ञानेंद्र एक बार फिर नेपाल की जनता का विश्वास जीतने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर उनके पुराने राजनीतिक फैसलों और कार्यकाल को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई हैं.
Nepal News: रैली के दौरान दिखे योगी आदित्यनाथ के पोस्टर
इस बीच नेपाल में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चर्चा भी जोरों पर है. दरअसल, ज्ञानेंद्र की रैली के दौरान योगी आदित्यनाथ के पोस्टर दिखाई देने के बाद यह मामला और ज्यादा चर्चा में आ गया. (Nepal News) नेपाल में अब ज्ञानेंद्र की वापसी और योगी आदित्यनाथ के नाम को जोड़कर कई तरह के किस्से और कहानियां गढ़ी जा रही हैं, जिससे सियासी हलचल और तेज हो गई है.

रिपोर्ट में किया गया था ये दावा
काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल की सियासत में सक्रिय होने से पहले पूर्व राजा ज्ञानेंद्र ने लखनऊ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की थी. इस मुलाकात की एक तस्वीर भी मीडिया में सामने आई थी, लेकिन दोनों के बीच क्या बातचीत हुई, इस बारे में न तो ज्ञानेंद्र ने कुछ बताया और न ही योगी आदित्यनाथ ने कोई जानकारी साझा की.
- Advertisement -
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नेपाल, जहां 81 प्रतिशत आबादी हिंदू है, वहां योगी आदित्यनाथ को एक आदर्श हिंदू नेता के रूप में देखा जाता है. (Nepal News) ऐसे में ज्ञानेंद्र और योगी आदित्यनाथ की मुलाकात को नेपाली मीडिया खास नजरिए से देख रही है और इसे नेपाल की सियासत से जोड़कर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
दशकों पुराना है संबंध
दरअसल, नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र और योगी आदित्यनाथ के बीच दशकों पुराना संबंध रहा है. नेपाल का राजपरिवार गोरखनाथ पीठ से गहरी आस्था रखता है और वर्षों से राजपरिवार के सदस्य इस पीठ के दर्शन के लिए आते रहे हैं. योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ पीठ के पीठाधीश्वर हैं और अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक बड़े और प्रभावशाली नेता भी हैं.
ऐसे में नेपाल में ज्ञानेंद्र की बढ़ती सक्रियता और योगी आदित्यनाथ से उनकी मुलाकात को राजनीतिक दृष्टि से देखा जा रहा है. नेपाली मीडिया इस मुलाकात को नेपाल में राजशाही की वापसी और हिंदू राष्ट्र की मांग से जोड़कर देख रही है, जिससे नेपाल की राजनीति में हलचल तेज हो गई है.

2006 में हुआ था राजशाही का अंत
साल 2006 में नेपाल में राजशाही का अंत हुआ था और 2008 में वहां नया संविधान लागू किया गया. लेकिन तब से अब तक नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है और 13 बार प्रधानमंत्री बदले जा चुके हैं. वर्तमान में जो सरकार सत्ता में है, वह भी पूरी तरह से गठबंधन और समर्थन के सहारे चल रही है. नेपाल रिपोर्ट के मुताबिक, लोकतांत्रिक शासन के मुकाबले राजशाही के दौरान नेपाल में विकास कार्य अधिक हुए थे. रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 1990 में नेपाल की प्रति व्यक्ति जीडीपी 16,769 रुपए थी, जबकि उसी समय भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 32,145 रुपए दर्ज की गई थी.
हालांकि, 2019 में यह आंकड़ा पूरी तरह से बदल गया. 2019 में नेपाल की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 93,554 रुपए हो गई, लेकिन भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 1,83,440 रुपए तक पहुंच गई. इससे साफ जाहिर होता है कि नेपाल विकास के मामले में भारत से काफी पीछे रह गया. नेपाल में मौजूदा समय में भ्रष्टाचार और महंगाई चरम सीमा पर है. इसके अलावा भारत से रिश्ते बिगड़ने के कारण नेपाल के मधेश (बॉर्डर) क्षेत्र के लोगों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. भारत से आयात-निर्यात और व्यापार पर असर पड़ने से इस इलाके के लोगों का जीवन कठिन हो गया है. ऐसे में नेपाल की जनता के बीच यह चर्चा तेज हो गई है कि राजशाही के दौरान नेपाल अधिक स्थिर और समृद्ध था.