Marriage Certificate: बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अरशद वारसी इन दिनों चर्चाओं में हैं। चर्चा का विषय है उनकी शादी, जो उन्होंने 25 साल पहले 1999 में मारिया से की थी। 25 साल बाद उन्होंने अपनी शादी को कोर्ट में रजिस्टर करवाया है।
जब अरशद से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “यह हमने कानून के खातिर किया। (Marriage Certificate) पहले कभी ऐसा ख्याल ही नहीं आया। प्रॉपर्टी खरीदते समय या कभी भी दोनों में से किसी की डेथ हो जाए तो कानूनी प्रूफ के तौर पर ये होना जरुरी है।”
अरशद की बात से यह सवाल उठता है कि क्या शादी के बाद उसे रजिस्टर करवाना जरूरी है?
Marriage Certificate:दूसरे धर्म में कोर्ट मैरिज करने का क्या है नियम
स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत किसी भी धर्म का लड़का या लड़की किसी दूसरे धर्म के शख्स से कोर्ट में मैरिज कर सकता है. अंतर केवल इतना है कि आवेदन के बाद कम से कम 30 दिन बाद शादी हो सकती है. अगर किसी को शादी से आपत्ति है तो शिकायत दर्ज करा सकता है.
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अगर इतने दिनों में किसी ने कोई आपत्ति नहीं की तो फीस देकर शादी हो सकती है. (Marriage Certificate) कोर्ट मैरिज का घर तक नहीं पहुंचता है बल्कि रजिस्ट्रार ऑफिस में लगता है. दोनों पक्ष चाहें तो पुलिस सुरक्षा भी ले सकते हैं लेकिन सर्टिफिकेट मिलने के बाद.
क्या समलैंगिकों को कोर्ट मैरिज का अधिकार है?
समलैंगिकों को शादी करने का कानूनी अधिकार नहीं है. बीते साल ही सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकों की शादी को मान्यता देने से इनकार किया था.
हालांकि कोर्ट ने ये भी कहा कि किसी को भी लाइफ पार्टनर चुनने का पूरा अधिकार कोर है. यह उसका मौलिक अधिकार है. लेकिन स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव करना संसद का काम है. (Marriage Certificate) सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समलैंगिक जोड़ों के साथ भेदभाव न किया जाए.
हालांकि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग अभी भी जारी है. कई सामाजिक कार्यकर्ता और LGBTQ+ समुदाय के सदस्य इस फैसले के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और समानता और न्याय की मांग कर रहे हैं.
उत्तराखंड में UCC के बाद कोर्ट मैरिज के नियम बदले हैं क्या?
उत्तराखंड की विधानसभा ने यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पारित कर दिया है. यूसीसी मतलब समान नागरिक संहिता. उत्तराखंड में अब सभी धर्मों और समुदाओं के लिए कानून एक समान होगा. यूसीसी लागू होने से कोर्ट मैरिज के नियमों में कुछ खास बदलाव नहीं होगा. क्योंकि कोर्ट मैरिज के नियम पहले से सभी धर्मों के लोगों के लिए समान है.