Mamta Kulkarni: प्रयागराज में चले महाकुंभ में पूर्व अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर नियुक्त किया गया। उन्होंने पहले अपना पिंडदान किया। (Mamta Kulkarni) फिर विधि-विधान से पट्टाभिषेक प्रक्रिया पूरी हुई तब उन्हें पद पर नियुक्त किया गया। इस पर जमकर विवाद हुआ। मामला इतना बढ़ा कि ममता ने इस्तीफा तक दे दिया। हालांकि, उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया। पूर्व अभिनेत्री को महामंडलेश्वर बनाए जाने को लेकर हुए विरोध पर हाल ही में किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने प्रतिक्रिया दी है।
Mamta Kulkarni: बोलीं- बेवजह दिया गया तूल
ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर नियुक्त किया गया। उनका नाम भी बदला गया, अब वे यमाई ममता नंद गिरी हैं। हालांकि, उन्हें यह पद दिए जाने का काफी विरोध हुआ और सवाल उठाए गए। (Mamta Kulkarni) अब महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने अभिनेत्री की आलोचना करने वालों को आड़े हाथों लिया है। हाल ही में शुभांकर मिश्रा के पॉडकास्ट पर उन्होंने कहा कि इस मामले को बेवजह तूल दिया गया।

लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा, ‘जब उन्होंने खुद को 23 साल तक मेनस्ट्रीम सोसाइटी से दूर रखा था, तब वह ढाई से तीन साल तक मेरे संपर्क में थीं। (Mamta Kulkarni) वह मुझे अपनी परंपराओं के बारे में सब कुछ बता रही थीं। उन्हें जूना अखाड़े के स्वामी ने दीक्षा भी दी थी। जब वह कुंभ में आईं तो हमने बात की। अगले दिन शुक्रवार था। उन्होंने कहा, ‘इससे अच्छा क्या होगा के एक अर्धनारीश्वर मेरा पट्टाभिषेक करें और मुझे महामंडलेश्वर बनाएं। और मैं सनातन धर्म में अपने जीवन को पूर्ण रूप से समर्पित करना चाहती हूं। उनका विचार अच्छा था’।
‘इस्लाम कुबूल कर लेती तो विरोधी कुछ कर पाते?’
उन्होंने ममता पर चल रहे मामलों और अबू सलेम के साथ कथित तौर पर जुड़े उनके नाम पर भी बात की। उन्होंने कहा, ‘हम सब कुछ जानते थे, लेकिन उनके सभी मामले अब खत्म हो गए। (Mamta Kulkarni) तो हमें उनका तिरस्कार क्यों करना चाहिए, जो सनातन धर्म की शरण में आया है? यही ममता जी इस्लाम कुबूल करतीं या हज मदीना कर आतीं तो क्या ये सनातनी जो बोल रहे हैं, वो कुछ कर पाते। धर्म में आना चाहो और विवाद हो जाए तो वो गलत बात है ना’?
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लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने आगे कहा कि उन्होंने ममता का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। ममता ने दबाव में आकर अपना इस्तीफा दे दिया’। उन्हें लगा के मेरे गुरु को इतनी परेशानी हो रही है, इस विवाद का कारण तो मैं इस्तेफा दे दूं, लेकिन हमने वह स्वीकार नहीं किया’।