Khaleda Zia: पड़ोसी देश बांग्लादेश से एक ऐसी खबर आई है जिसने पूरी दुनिया के कूटनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और कट्टरपंथी राजनीति का चेहरा मानी जाने वाली बेगम खालिदा जिया का आज सुबह 80 साल की उम्र में निधन हो गया। यह दुखद खबर ऐसे समय पर आई है जब बांग्लादेश अपने इतिहास के सबसे अस्थिर दौर से गुजर रहा है।
देश में हिंसा, आगजनी और तख्तापलट के बीच 12 फरवरी को चुनाव होने हैं, और ठीक उससे पहले ‘बीएनपी’ (BNP) की इस कद्दावर नेता का जाना किसी महा-भूकंप से कम नहीं है। (Khaleda Zia) खालिदा जिया केवल एक राजनेता नहीं थीं, बल्कि वे भारत के लिए हमेशा एक ‘सिरदर्द’ बनी रहीं। उनके निधन के साथ ही दक्षिण एशिया की राजनीति का वह अध्याय बंद हो गया है जिसे ‘बैटल ऑफ बेगम्स’ (बेगमों की जंग) कहा जाता था। (Khaleda Zia) आखिर कौन थी वह ‘पुतुल’ जो जलपाईगुड़ी में पैदा हुई लेकिन जिसके इशारे पर ढाका में भारत विरोधी लहरें उठती थीं? आइए जानते हैं खालिदा जिया के जीवन, उनकी भारत से नफरत और उनके उस खौफनाक राजनीतिक सफर की पूरी कहानी।
Khaleda Zia: एक साधारण लड़की का असाधारण सफर
बेगम खालिदा जिया का भारत से नाता बहुत पुराना और गहरा था। उनका जन्म 15 अगस्त 1945 को अविभाजित भारत के बंगाल प्रेसिडेंसी के जलपाईगुड़ी (अब पश्चिम बंगाल, भारत) में हुआ था। (Khaleda Zia) बचपन में उन्हें प्यार से ‘पुतुल’ बुलाया जाता था। 1947 में विभाजन के बाद उनका परिवार दिनाजपुर चला गया। खालिदा जिया की पढ़ाई का कोई ठोस रिकॉर्ड नहीं मिलता, वे खुद को ‘स्व-शिक्षित’ कहती थीं। उनकी जिंदगी में असली बदलाव तब आया जब 1965 में उनका निकाह पाकिस्तानी सेना के कैप्टन जियाउर रहमान से हुआ। 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय वे पाकिस्तान में ही थीं। बाद में उनके पति जियाउर रहमान बांग्लादेश के राष्ट्रपति बने, लेकिन 1981 में उनकी हत्या ने खालिदा को घर की चारदीवारी से निकालकर राजनीति के कांटों भरे मैदान में खड़ा कर दिया।
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‘बैटल ऑफ बेगम्स’: शेख हसीना के साथ वो खूनी रंजिश
बांग्लादेश की राजनीति पिछले तीन दशकों से सिर्फ दो महिलाओं के इर्द-गिर्द घूमती रही—शेख हसीना और खालिदा जिया। इन दोनों की दुश्मनी को ‘बैटल ऑफ बेगम्स’ कहा जाता है। (Khaleda Zia) यह रंजिश सिर्फ कुर्सी के लिए नहीं थी, बल्कि वैचारिक और व्यक्तिगत थी। खालिदा जिया तीन बार देश की प्रधानमंत्री बनीं, लेकिन उनका हर कार्यकाल शेख हसीना के साथ टकराव की भेंट चढ़ गया। 2004 में जब शेख हसीना पर ग्रेनेड हमला हुआ, तो उसका आरोप खालिदा सरकार पर लगा। वहीं जब 2009 में हसीना सत्ता में आईं, तो उन्होंने खालिदा को भ्रष्टाचार के 32 से ज्यादा मामलों में उलझा दिया। 2018 में खालिदा को जेल भेज दिया गया और वे लंबे समय तक नजरबंद रहीं।
जब प्रणब मुखर्जी से मिलने तक से कर दिया था इनकार
भारत के साथ खालिदा जिया के रिश्ते हमेशा अविश्वास और कड़वाहट से भरे रहे। उनकी राजनीति का आधार ही ‘भारत-विरोधी राष्ट्रवाद’ था। उनके कार्यकाल के दौरान बांग्लादेश में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने अपनी जड़ें जमा ली थीं। उन्होंने भारत के साथ हुई मैत्री संधि को ‘गुलामी की संधि’ करार दिया था। (Khaleda Zia) खालिदा के भारत विरोधी रुख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2013 में जब भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ढाका दौरे पर थे, तो खालिदा ने प्रोटोकॉल तोड़कर उनसे मिलने तक से मना कर दिया था। उनके शासनकाल में पूर्वोत्तर भारत के उग्रवादी संगठनों जैसे ‘उल्फा’ (ULFA) को बांग्लादेश में पनाह मिलती थी, जिससे भारत की आंतरिक सुरक्षा को बड़ा खतरा पैदा हो गया था।
पाकिस्तान प्रेम और कट्टरपंथ को बढ़ावा
खालिदा जिया का झुकाव हमेशा भारत के बजाय पाकिस्तान और चीन की तरफ रहा। उन्होंने अपनी सत्ता बचाने के लिए ‘जमात-ए-इस्लामी’ जैसे कट्टरपंथी संगठनों का सहारा लिया, जिससे बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों (विशेषकर हिंदुओं) पर हमले बढ़े। तीस्ता जल बंटवारे से लेकर सीमा विवाद तक, उन्होंने हर मोड़ पर भारत के खिलाफ मोर्चा खोला। (Khaleda Zia) आज उनके जाने के बाद बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया है। 12 फरवरी के चुनावों से ठीक पहले उनकी मौत क्या देश को और ज्यादा कट्टरवाद की ओर धकेलेगी?
