
Japan PM Ishiba: जापान की राजनीति में 1955 के बाद पहली बार बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) और उसकी सहयोगी पार्टी कोमेइतो को उच्च सदन में बहुमत नहीं मिल पाया। यह ऐसा झटका है, जो जापानी राजनीति की दशकों पुरानी स्थिरता को हिला सकता है।
248 सीटों वाले उच्च सदन में बहुमत पाने के लिए गठबंधन को 125 सीटें चाहिए थीं। (Japan PM Ishiba) पहले से मौजूद 75 सीटों के साथ उन्हें 50 और जीतनी थीं, लेकिन वे केवल 46 सीटें ही हासिल कर पाए।
Japan PM Ishiba: अब दोनों सदनों में अल्पमत में आई सरकार
दोनों सदनों में बहुमत खो देने के बाद जापान की सत्ता पर गंभीर संकट मंडरा रहा है। यह एलडीपी के इतिहास की सबसे बड़ी हार मानी जा रही है। (Japan PM Ishiba) इससे पहले अक्टूबर में हुए निचले सदन के चुनाव में भी एलडीपी गठबंधन हार चुका था।
Also Read –Dhaka air force Plane Crash: ढाका में बड़ा हादसा! कॉलेज पर गिरा एयरफोर्स का F-7 ट्रेनर विमान, 19 की मौत, 150 घायल, PM मोदी ने जताया शोक
नतीजों के बाद प्रधानमंत्री इशिबा ने हार स्वीकार करते हुए कहा, “मैं पार्टी का प्रमुख होने के नाते अपनी जिम्मेदारी निभाता रहूंगा और देश के लिए काम करता रहूंगा।” हालांकि, उनकी पार्टी के भीतर से उन्हें पद छोड़ने या नया गठबंधन तलाशने की मांग उठ सकती है।
- Advertisement -
क्यों हारी एलडीपी? जनता नाराज क्यों हुई?
जापानी जनता बढ़ती महंगाई, घटती आय और सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं से परेशान है। एलडीपी सरकार की नीतियां आम जनता तक राहत पहुंचाने में विफल रही हैं। (Japan PM Ishiba) खासकर, खाद्यान्न, दवाओं और ईंधन के दाम बेकाबू हो गए हैं। इसके अलावा अमेरिका के साथ व्यापार विवाद और डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 25% टैरिफ ने इशिबा सरकार की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। अमेरिकी चावल और ऑटो निर्यात को लेकर बनी खटास ने घरेलू राजनीतिक हालात को और खराब कर दिया है।
Also Read –Jolly LLB 3 Teaser: जॉली एलएलबी 3 के टीज़र पर आया अपडेट, जाने कब आएगा फिल्म का टीज़र
विपक्ष एकजुट, लेकिन सत्ता से दूरी
विपक्षी दल अब एलडीपी के विकल्प के रूप में खुद को पेश कर रहे हैं, लेकिन किसी ने भी अभी तक सत्तारूढ़ गठबंधन से हाथ मिलाने की इच्छा नहीं जताई है। CDPJ के नेता योशिहिको नोडा ने कहा कि विपक्ष को एकजुट रहकर लोकतंत्र को बचाना होगा। एलडीपी की ऐतिहासिक हार ने जापान की राजनीति को अनिश्चितता के भंवर में डाल दिया है। अब देखना यह होगा कि इशिबा इस झटके से उबर पाते हैं या जापान को एक नया प्रधानमंत्री मिलने वाला है।