Fraud In Britain: मोटी रकम लेकर वीजा स्पॉन्सर करने वाली कई कंपनियां फर्जी पाई गई हैं, जिसकी वजह से ब्रिटेन में हजारों भारतीय नर्सों पर खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि ऋषि सुनक सरकार ने उन भारतीय नर्सों पर कार्रवाई शुरू कर दी है, जिन्हें इन कंपनियों के जरिए रखा गया था. सरकार के इस फैसले का असर 7 हजार से ज्यादा नर्सों पर पड़ेगा. (Fraud In Britain) इनमें सबसे ज्यादा भारत की 4 हजार नर्स हैं. इन नर्सों में से 94% मामले कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने के कारण सामने आए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इसके लिए सरकार को भी जिम्मेदार माना जा रहा है, क्योंकि ये समस्या फर्जी कंपनियों की वजह से पैदा हुई है, जिन्हें सुनक सरकार ने बिना जांच-पड़ताल किए विदेशों से नर्सों को नौकरी पर रखने की इजाजत दी थी. दरअसल, ब्रिटेन में विदेशियों को काम पर रखने के लिए स्पॉन्सर लाइसेंस की जरूरत होती है. (Fraud In Britain) सुनक सरकार पर बिना जांच के सैकड़ों कंपनियों को लाइसेंस देने का आरोप है. सरकार ने 268 कंपनियों को लाइसेंस दिया, जिन्होंने कभी इनकम टैक्स रिटर्न भी दाखिल नहीं किया. इनमें से लाइसेंस हासिल कर चुकी कई कंपनियां भी फर्जी थीं.
ब्रिटेन में प्रवासी लोगों की मदद करने वाले एनजीओ माइग्रेंट्स एट वर्क के संस्थापक अके अची ने बताया कि अवसर की तलाश में लाखों का कर्ज लेकर भारतीय देश छोड़कर यहां आते हैं. (Fraud In Britain) ये वे लोग होते हैं, जो नियम कायदों का पालन कर आते हैं, इन्हें फिजूल में दंडित किया जा रहा है. प्रवासियों ने यहां आने के लिए अपना जीवन दांव पर लगा दिया है.
Fraud In Britain: अब देश वापसी का सता रहा डर
जिन लोगों ने कर्ज लेकर ब्रिटेन में काम शुरू किया, अब सरकार की कार्रवाई से उन्हें देश वापसी का डर सता रहा है. महाराष्ट्र की रहने वाली जैनब (22) 2 बच्चों की मां हैं। वे और उनके भाई इस्माइल (25) ने वीजा स्पॉन्सर के लिए ब्रिटेन की कंपनी को 18 लाख रुपये दिए थे. जब वे वहां पहुंचे तो पता चला कि वह फर्म फर्जी है और पहले भी स्कैम कर चुकी है. अप्रैल में सरकारी अधिकारियों ने बताया कि जिस कंपनी ने वीजा स्पॉन्सर किया था, उससे लाइसेंस छीन लिया गया है. (Fraud In Britain) अधिकारियों ने उन्हें 60 दिनों में स्पॉन्सर या दूसरी कंपनी ढूंढने को कहा है, वरना उन्हें ब्रिटेन छोड़ना होगा. उन्होंने 300 से अधिक कंपनियों को स्पॉन्सर करने के लिए आवेदन किया है, लेकिन उन्हें ऐसी कोई फर्म नहीं मिली जो उन्हें काम पर रखने या स्पॉन्सर करने के लिए तैयार हो. एक 32 साल की महिला ने भी ब्रिटेन जाने के लिए शिक्षक की नौकरी छोड़ी थी और पति ने जमीन और कार डीलरशिप का बिजनेस बेच दिया था. उन्हें भी भारत वापसी का डर सता रहा है.