Election 2024: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में हार के बाद, 9 बाहुबली नेताओं को बड़ी राहत मिली है। इन नेताओं को अदालतों से जमानत मिलने के बाद सियासी गलियारों में हलचल मच गई है। (Election 2024) इनमें से कुछ नेता तो लोकसभा चुनावों में भी अपनी किस्मत आजमा सकते हैं, जिससे कई बड़े नेताओं का खेल बिगड़ सकता है।
इस स्पेशल स्टोरी में यूपी में फिनिक्श की तरह उभरे इन बाहुबलियों की कहानी को विस्तार से समझते हैं…
- अफजाल अंसारी- पूर्वांचल की गाजीपुर सीट से समाजवादी पार्टी ने अफजाल अंसारी को उम्मीदवार बनाया है.
(Election 2024) अफजाल पहले बहुजन समाज पार्टी में थे. अफजाल गैंगस्टर एक्ट में दोषी भी पाए जा चुके हैं. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलने की वजह से वे चुनावी मैदान में हैं.
अफजाल के भाई मुख्तार अंसारी की गिनती यूपी के बड़े बाहुबलियों में होती है. कोर्ट से सजा पा चुके मुख्तार अभी जेल में बंद हैं.
बात अफजाल की करें तो उनके खिलाफ भी कई गंभीर आरोपों में मुकदमा कायम है. 2019 के चुनाव में अफजाल ने केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा को हराया था.
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गाजीपुर में अंसारी का पलड़ा भारी माना जा रहा है. इसकी 2 मुख्य वजह है- पहला, सपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां एकतरफा जीत हासिल की थी और दूसरा यहां अल्पसंख्यक और पिछड़े समुदाय का समीकरण सपा के पक्ष में है.
- बृजेश सिंह- गाजीपुर से बाहुबली बृजेश सिंह के भी लड़ने की चर्चा है. (Election 2024) बृजेश सिंह के सुभासपा के टिकट पर लड़ने की बात कही जा रही है. हालांकि, अभी तक यह तस्वीर साफ नहीं हुई है कि एनडीए के भीतर यह सीट किसके खाते में जाएगी?
बृजेश सिंह की पत्नी वर्तमान में वाराणसी सीट से विधानपरिषद हैं. (Election 2024) बृजेश को मुख्तार का कट्टर सियासी दुश्मन माना जाता है. बृजेश चुनाव लड़ते हैं तो गाजीपुर सीट का सियासी समीकरण नए सिरे से तय होगा.
- अभय सिंह- गोसाईगंज से सपा विधायक और बाहुबली नेता अभय सिंह ने राज्यसभा चुनाव में पाला बदल लिया है. 9 मुकदमा झेल रहे सिंह अब बीजेपी के लिए काम करेंगे. सिंह जिस विधानसभा से आते हैं, वो अंबेडकरनगर लोकसभा में पड़ता है.
बीजेपी 2019 और 2022 में अंबेडकरनगर में बुरी तरह हारी थी. (Election 2024) सपा ने इस बार लालजी वर्मा को यहां से उम्मीदवार बनाया है.
बात अभय सिंह की करें, तो सिंह को यूपी में कभी मुख्तार अंसारी का करीबी माना जाता था. 2012 में मुलायम सिंह यादव ने सिंह को जेल में ही टिकट दे दिया. सिंह चुनाव जितने में कामयाब रहे और पहली बार विधायक बनकर सदन पहुंचे.
2017 में बीजेपी की सरकार आने के बाद सिंह के बुरे दिन शुरू हो गए. हालांकि, हालिया राज्यसभा चुनाव ने सिंह की राजनीति को फिर से संजीवनी देने का काम किया है.
- राजा भैया- राज्यसभा चुनाव ने बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को भी संजीवनी देने का काम किया है. रघुराज सिंह को संजीवनी मिलने की 2 बड़ी वजह है.
पहला, राजा भैया की पार्टी के पास वर्तमान में 2 विधायक है और दूसरा चुनाव से पहले बीजेपी और सपा के प्रदेश अध्यक्ष राजा भैया से उनके निवास पर मिलने पहुंचे.
राजा भैया पर कुंडा थाने में हत्या के प्रयास और सीएलए एक्ट में मुकदमा दर्ज है. (Election 2024) राजा भैया पोटा कानून के तहत जेल की सजा भी काट चुके हैं.
राजा भैया के फिर से मजबूती से राजनीति परिदृश्य में आने से कौशांबी और प्रतापगढ़ लोकसभा का समीकरण बिगड़ सकता है. पिछले चुनाव में राजा भैया की वजह से ही सपा को नुकसान पहुंचा था.
चुनाव आयोग के मुताबिक 2019 में कौशांबी में बीजेपी के विनोद सोनकर को 3.83 लाख, सपा के इंद्रजीत सरोज को 3.44 लाख और जनसत्ता दल के शैलेंद्र को 1.56 लाख वोट मिले थे.
प्रतापगढ़ लोकसभा में भी जनसत्ता दल के अक्षय प्रताप को 46 हजार वोट मिले थे.
- धनंजय सिंह- जेडीयू के एनडीए में आने के बाद जौनपुर के बाहुबली नेता धनंजय सिंह भी सियासी तौर पर एक्टिव हो गए हैं. 2022 चुनाव के बाद धनंजय सियासत में साइडलाइन हो गए थे.
धनंजय सिंह की गिनती पूर्वांचल में बड़े बाहुबली नेता के रूप में होती है. चुनावी हलफनामे के मुताबिक सिंह के खिलाफ 10 एफआईआर रजिस्टर्ड है. यह मुकदमा दिल्ली से लेकर लखनऊ और जौनपुर तक दर्ज है.
2022 में सिंह द्वारा फाइल एफिडेविट की मानें तो उन पर हत्या के प्रयास, किडनैपिंग जैसे गंभीर आरोपों में केस दर्ज हैं.
- तिवारी परिवार- लोकसभा चुनाव से पहले प्रवर्तन निदेशालय की एक कार्रवाई से पूर्वांचल के तिवारी परिवार को फिर से सियासी संजीवनी मिल गई है. तिवारी परिवार यानी हरिशंकर तिवारी का परिवार.
हरिशंकर तिवारी परिवार से वर्तमान में उनके बेटे भीष्म शंकर तिवारी और विनय शंकर तिवारी राजनीति में सक्रिय हैं
तिवारी परिवार का पूर्वांचल के बांसगांव, गोरखपुर और संत कबीरनगर सीट पर दबदबा है. यह तीनों सीट वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में हैं. तिवारी परिवार से उनके बड़े भीष्म शंकर के संत कबीरनगर सीट से चुनाव लड़ने अटकलें हैं.
हरिशंकर तिवारी पहले बाहुबली नेता थे, जो सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे. (Election 2024) उन्होंने अपने रहते हुए बेटे भीष्म शंकर को सांसद और विनय को विधायक बनवाया. गोरखपुर में तिवारी परिवार का हाता भी काफी मशहूर है.
- राकेश प्रताप सिंह- हालिया राज्यसभा चुनाव में सपा के गौरीगंज से विधायक राकेश प्रताप सिंह ने बगावत कर दी. चुनाव के दौरान राकेश ने बीजेपी उम्मीदवार संजय सेठ के पक्ष में मतदान किया.
राकेश अमेठी जिले से आते हैं और उनकी गिनती इलाके के बाहुबली नेता के रूप में होती है.
चुनावी हलफनामे के मुताबिक राकेश पर 2022 के चुनाव तक 4 एफआईआर दर्ज हैं. यह मुकदमा सुल्तानपुर और अमेठी के अलग-अलग थानों में दर्ज हैं. आईपीसी की 153, 506, 353 और 143 की धाराओं में केस दर्ज हैं.
राकेश के बीजेपी में आने से अमेठी का सियासी समीकरण बदल जाएगा. (Election 2024) यह सीट अभी बीजेपी के पास है, लेकिन कांग्रेस से गांधी परिवार के किसी सदस्य के लड़ने की यहां बात कही जा रही है.
- गायत्री प्रजापति- जेल में बंद बाहुबली नेता और पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति को भी राज्यसभा चुनाव ने संजीवनी दे दिया है. गायत्री की पत्नी महाराजी प्रजापति अमेठी से सपा विधायक हैं, जिसने बीजेपी को समर्थन देने के लिए राज्यसभा चुनाव के दिन अब्सेंट हो गई.
गायत्री प्रजापति पर गैंगस्टर, रेप, उत्पीड़न जैसे कई गंभीर आरोप है. कई मामलों में उन्हें सजा भी मिल चुकी है.
गायत्री के राजनीति उद्भव को अमेठी के सियासी समीकरण से जोड़कर देखा जा रहा है. अमेठी में कुम्हार वोटरों का दबदबा है और इसी को साधने के लिए सपा ने 2022 में गायत्री की पत्नी को टिकट दिया था.
- राजकिशोर सिंह- बस्ती के बाहुबली नेता और पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह भी लोकसभा चुनाव से पहले सियासत में एक्टिव हो गए हैं. सिंह समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में रह चुके हैं.
2024 के चुनाव में सिंह की नजर बस्ती और सोनभद्र सीट पर है. (Election 2024) 2022 के विधानसभा चुनाव में राजकिशोर सिंह को बस्ती के हरैया सीट पर करीब 55 हजार वोट मिले थे.
बस्ती सीट पर अभी बीजेपी का कब्जा है और हरीश द्विवेदी यहां से सांसद हैं.
Election 2024: क्या होगा आगे?
इन 9 नेताओं को जमानत मिलने के बाद यूपी की सियासत में काफी उथल-पुथल मचने की संभावना है। (Election 2024) इन नेताओं की अगली चाल क्या होगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
यह भी देखना होगा कि इन नेताओं का लोकसभा चुनावों में क्या प्रभाव पड़ता है। क्या ये नेता किसी बड़े नेता का खेल बिगाड़ पाएंगे या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा।