
Donald Trump: एक बार विचार करिये… एक ओर खाड़ी की रेत, चमकती हुई स्काईलाइन और अमीरों का स्वर्ग कहा जाने वाला कतर तो वहीं दूसरी ओर जंग का मडराता संकट। सोमवार, 15 सितंबर से दोहा में अरब-इस्लामिक समिट शुरू होने जा रहा है। इसमें पचास से अधिक मुस्लिम मुल्कों के बड़े नेता और प्रतिनिधि एकत्रित होने वाले हैं। (Donald Trump) लेकिन इन सबके बीच सवाल ये उठ रहा है कि आखिर किस बात ने इस बार सबको एक ही मंच पर ला दिया?
Donald Trump: एक हमला…. जिसके बाद बदल गयी पूरी तस्वीर
अब तक मुस्लिम विश्व गजा में हुए इजराइली हमलों पर बेहद आक्रोश में थी। लेकिन बीते 9 सितंबर को जो कुछ हुआ, उसने पूरी तस्वीर बदल कर रख दी। इजराइल ने सीधा कतर पर हमला बोल दिया और यही हमला अब इस समिट का असल ट्रिगर होगा। अरब लीग और इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) के सदस्य देशों के विदेश मंत्री बीते रविवार यानी 14 सितंबर को मिले और एक ड्राफ्ट रिजॉल्यूशन पर गहनता से चर्चा की। (Donald Trump) अरब लीग के सेक्रेटरी जनरल अहमद अबुल गैते ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कतर अकेला नहीं है, अरब और इस्लामी मुल्क उसके साथ खड़े हैं।
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नेतन्याहू का सख्त रुख
जब मुस्लिम देशों ने एक साथ आकर इजराइल को घेरना शुरू किया, तो प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कड़ा रुख अपनाया। उनका बयान था कि जहां भी दुश्मन छिपकर बैठा होगा, वहां घुसकर मरेंगे। नेतन्याहू ने दोहा सरकार से कहा कि या तो हमास नेताओं को बाहर निकालो या हमें सौंप दो। उधर, कतर का कहना है कि वो गजा में चल रही लगभग दो साल पुरानी लड़ाई पर विराम लगाने के प्रयास में जुटा है, लेकिन इज़राइल की हरकतें शांति की उम्मीद में बाधा डाल रही हैं।
UAE की नाराजगी, रिश्तों पर खड़े हुए सवाल
UAE, जिसने साल 2020 में अब्राहम अकॉर्ड के अंतर्गत इजराइल से दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाया था और जिसे खाड़ी का सबसे बड़ा अमेरिकी सहयोगी माना जाता है, अब वो खुद नाराज है। बीते शुक्रवार को UAE ने इजराइल के डिप्टी एम्बेसडर को तलब किया। नेतन्याहू के बयानों को शत्रुतापूर्ण (hostile) बताया। UAE ने कहा कि कतर की स्थिरता GCC देशों, जिसमें सऊदी अरब भी है, की सुरक्षा के लिए बहुत ही आवश्यक है।
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ट्रंप के लिए मुश्किल घड़ी
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भी हालत बेहद नाजुक है। उनके संबंध इज़राइल से बेहद अच्छे हैं लेकिन कतर को भी अनदेखा नहीं कर सकते। (Donald Trump) उन्होंने कहा कि इजराइल का हमला न उनके लिए फायदेमंद रहा, न इजराइल के लिए। कतर को उन्होंने ‘करीबी दोस्त’ बताया, जो शांति बनाए रखने का प्रयास कर रहा है।
ट्रंप ने हमास को खत्म करने के प्रयास को ‘काबिले तारीफ’ बताया, लेकिन कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी से फोन पर बात करते दौरान ये विश्वास भी दिलाया कि आपकी जमीन पर ऐसा हमला दोहराया नहीं जाएगा। (Donald Trump) उधर, नेतन्याहू ने 13 सितंबर को फिर कहा कि यदि कतर से हमास नेताओं को बाहर कर दिया जाए, तो गजा में बचे बंधकों को बाहर निकालना आसान होगा और युद्ध खत्म करने का मार्ग खुलेगा।
अब आगे क्या?
मुस्लिम देशों का यह आपातकालीन समिट सिर्फ औपचारिकता नहीं है। कतर पर हमला मुस्लिम मुल्कों की एकता का नया आधार बनकर उभरा है। UAE और इजराइल के संबंधों पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। (Donald Trump) इनमें अमेरिका बीच में फंसा हुआ है, जिसे दोनों ओर संतुलन बनाये रखना है। यानी आने वाले दिनों में दोहा की मीटिंग केवल बयानबाजी तक सीमित नहीं रहने वाली। यहां किये गए फैसले मिडल ईस्ट की राजनीति और आने वाले हालात तय करेंगे।