
Congo church massacre: सोचिए, रात का वक्त है चारों तरफ खामोशी पसरी है, बच्चे गहरी नींद में हैं, और गांव के चर्च में सन्नाटे के बीच सिर्फ प्रार्थना की गूंज बाकी है। तभी अचानक गोलियों की गड़गड़ाहट से फट पड़ता है सन्नाटा! दरवाजे टूटते हैं, चीखें उठती हैं, आग की लपटें आसमान को छूने लगती हैं। यह कोई हॉरर फिल्म नहीं, बल्कि हकीकत है पूर्वी कांगो का कोमांडा गांव, जहां इस्लामिक स्टेट समर्थित आतंकियों ने बीती रात नरसंहार मचा दिया। (Congo church massacre) रात करीब 1 बजे, अलाइड डेमोक्रेटिक फोर्स (ADF) के आतंकियों ने कैथोलिक चर्च पर धावा बोल दिया। आतंकियों ने न सिर्फ प्रार्थना में डूबे लोगों को गोली मारी, बल्कि बाहर मौजूद लोगों को भी बख्शा नहीं। कई शवों को आग के हवाले कर दिया गया, और घर-दुकानों को जला डाला।
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Congo church massacre: गोलियों की तड़तड़ाहट और आग में झुलसते शव
स्थानीय नागरिक समाज समन्वयक डियूडोने दुरंतबो ने एपी को बताया कि 21 से अधिक लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। कुछ को चर्च के अंदर गोली मारी गई, कुछ को बाहर खदेड़कर मारा गया। (Congo church massacre) हालात इतने भयावह थे कि लाशों को पहचानना मुश्किल हो गया। कम से कम तीन शव तो पूरी तरह जल चुके थे।और ये आंकड़ा यहीं नहीं रुकता घायलों की गिनती अभी जारी है, मलबे में कई शव होने की आशंका जताई जा रही है। इसी बीच, कांगो सेना के एक प्रवक्ता ने पुष्टि की कि इस नरसंहार में अब तक 10 लोगों की मौत की पुष्टि की गई है, लेकिन चश्मदीदों के मुताबिक असली संख्या इससे कहीं ज्यादा है।
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अफ्रीका का छुपा हुआ दहशतगर्द चेहरा
ADF एक नाम जो अफ्रीका के लोगों के लिए मौत का पर्याय बन चुका है। यह संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) से जुड़ा हुआ है और बीते एक दशक से कांगो और युगांडा की सीमाओं पर दहशत मचा रहा है। 2018 में ADF ने ISIS से आधिकारिक नाता जोड़ा, और फिर 2019 में खुद को ‘इस्लामिक स्टेट सेंट्रल अफ्रीका प्रोविंस (IS-CAP)’ घोषित किया। ADF का तरीका बेहद बर्बर और अमानवीय होता है। यह संगठन आम नागरिकों को निशाना बनाता है, धर्मस्थलों पर हमले करता है, और बच्चों तक को नहीं छोड़ता।
क्यों बार-बार निशाना बन रहा है पूर्वी कांगो?
पूर्वी कांगो, एक ईसाई बहुल क्षेत्र है, जहां दर्जनों की संख्या में चर्च हैं। यही कारण है कि इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन यहां धर्म आधारित हिंसा फैलाने में लगे रहते हैं। (Congo church massacre) बीते कुछ वर्षों में चर्चों, स्कूलों और अस्पतालों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया है। यह इलाका लंबे समय से सुरक्षा की दृष्टि से कमजोर रहा है। सेना और सरकार की मौजूदगी सीमित है, और ADF जैसे संगठन इसी का फायदा उठाकर लगातार हमले कर रहे हैं।
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धर्म के नाम पर मौत का सौदा
ISIS का मकसद सिर्फ दहशत फैलाना नहीं है, वह अफ्रीका के इन असुरक्षित इलाकों में ‘खिलाफत’ स्थापित करना चाहता है। ADF उसके लिए एक ऐसा मोहरा है, जो उसके इशारे पर काम करता है। (Congo church massacre) धर्म विशेष को निशाना बनाना, धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करना और सामूहिक हत्याएं—यह उनकी रणनीति का हिस्सा है ताकि लोगों में खौफ भर जाए और सरकारें झुक जाएं।
सवाल जो अब उठ खड़े हुए हैं…
क्या कांगो की सरकार अपने नागरिकों को सुरक्षा दे पाने में पूरी तरह विफल हो चुकी है?
कब तक निर्दोष लोग इस तरह मौत के घाट उतारे जाते रहेंगे?
क्या अफ्रीका अब ISIS का अगला गढ़ बनने जा रहा है?
इन सवालों के जवाब अभी धुंधले हैं, लेकिन एक बात साफ है, पूर्वी कांगो आज सिर्फ एक देश का हिस्सा नहीं, बल्कि आतंक का अखाड़ा बन चुका है। (Congo church massacre) जहां हर रात यह डर बना रहता है कि अगला निशाना कौन होगा?
सिर्फ 21 लोगों की हत्या नहीं, इंसानियत की भी हत्या
जब दुनिया ओलंपिक, फुटबॉल वर्ल्ड कप और वैश्विक बैठकों में व्यस्त है, तब अफ्रीका के एक छोटे से गांव में लोग सिर्फ जीने की गुहार लगा रहे हैं। कोमांडा का यह हमला सिर्फ 21 लोगों की हत्या नहीं, इंसानियत की भी हत्या है। (Congo church massacre) और शायद सबसे खौफनाक बात यह है कि अगली रात कौन सी होगी, किसी को नहीं पता।