
Bihar voter list controversy: बिहार में विधानसभा का मानसून सत्र शुरू होते ही सियासत की तपिश चरम पर पहुंच गई है। चुनावी साल में जहां एक ओर सत्तापक्ष अपने विकास कार्यों का बखान कर रहा है वहीं विपक्ष अब वोटर लिस्ट के बहाने सरकार को घेरने के मूड में नजर आ रहा है। लेकिन मंगलवार को सदन में जो कुछ हुआ उसने सियासी पारा और भी चढ़ा दिया। जैसे ही स्पीकर ने कार्यवाही शुरू करने की कोशिश की विपक्षी दलों ने सदन की मर्यादाओं को तोड़ते हुए नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। (Bihar voter list controversy) काले कपड़ों में लिपटे विपक्षी विधायक हाथों में “SIR वापस लो!” जैसे पोस्टर लिए वेल में कूद पड़े। विरोध की तीव्रता इतनी थी कि कुछ विधायक विधानसभा के मुख्य प्रवेश द्वार पर ही धरने पर बैठ गए। वहीं सत्ता पक्ष इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए पूरे घटनाक्रम को “राजनीतिक स्टंट” करार देता नजर आया।
Bihar voter list controversy: SIR पर सियासत, किस बात का है विरोध?
इस बार विवाद की जड़ में है “SIR” यानी Special Identification Revision जो कि मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण से जुड़ी सरकारी प्रक्रिया है। विपक्ष का आरोप है कि इस कवायद के ज़रिए सरकार मतदाता सूची से अपने विरोधी वोटर्स के नाम हटाना चाहती है। RJD और कांग्रेस जैसे दलों ने इसे “लोकतंत्र के खिलाफ साजिश” बताया है और मांग की है कि सरकार इस प्रस्ताव को तत्काल वापस ले। (Bihar voter list controversy) नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव इस गरम मुद्दे पर खुद सदन में मौजूद नहीं थे मगर उनके समर्थक विधायकों ने मोर्चा संभाले रखा। विरोध प्रदर्शन करीब 45 मिनट तक चला जिसके कारण विधानसभा परिसर में अव्यवस्था फैल गई। सदन में जाने वाले मेंबर्स को प्रवेश में दिक्कत होने लगी तो स्पीकर को विधानसभा का दूसरा गेट खुलवाना पड़ा।
Also Read –Japan PM Ishiba: हिल गई सत्ता की कुर्सी! जापान में PM इशिबा की उड़ गई नींद, पहली बार टूटा बहुमत
स्पीकर को मार्शल का सहारा मुख्यमंत्री की मुस्कान
हंगामे के बीच एक नज़ारा सबसे ज्यादा चर्चा में रहा जब विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव को खुद मार्शल की मदद से अंदर लाया गया। इस दौरान कैमरों ने एक और दृश्य कैद किया जिसने राजनीति में एक नई बहस को जन्म दिया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष के इस नाराजगी भरे प्रदर्शन पर मुस्कराए और ताली बजाकर अपनी प्रतिक्रिया दी। (Bihar voter list controversy) नीतीश की ये ‘ताली’ क्या सिर्फ एक प्रतिक्रिया थी या सियासी कटाक्ष? राजनीतिक गलियारों में इसे अलग-अलग नजरियों से देखा जा रहा है। कुछ इसे सत्ता पक्ष की चालाकीपूर्ण प्रतिक्रिया मान रहे हैं तो कुछ इसे नीतीश का आत्मविश्वास। वैसे ये पहली बार नहीं है जब नीतीश ने ताली बजाकर सदन में अपनी उपस्थिति का अहसास कराया हो। (Bihar voter list controversy) इससे पहले भी जब शिक्षा विभाग को लेकर विपक्ष ने हंगामा किया था तब भी मुख्यमंत्री ने ताली बजाकर विरोध का जवाब दिया था। तब उन्होंने कहा था “अगर आपको शिकायत है तो हमें लिखकर दीजिए हम कार्रवाई करेंगे।”
Also Read –Neha Singh Rathore on Iqra Hasan Marriage: इकरा हसन संग निकाह प्रस्ताव पर भड़कीं नेहा सिंह राठौर, करणी सेना नेता की लगाई क्लास, बोलींः भगवान ही मालिक…
वोटर लिस्ट से 2025 की जंग शुरू?
बिहार में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। ऐसे में वोटर लिस्ट का रिवीजन जैसे तकनीकी मुद्दे भी अब राजनीतिक हथियार बन चुके हैं। विपक्ष को लगता है कि सरकार इस प्रक्रिया के ज़रिए अपने लिए अनुकूल मतदाता आधार तैयार करना चाहती है जबकि सरकार इसे “नियमित प्रक्रिया” बताकर हर आरोप को सिरे से खारिज कर रही है। मगर हकीकत यह है कि अब यह सिर्फ एक प्रशासनिक मामला नहीं रहा। (Bihar voter list controversy) यह बहस सीधे-सीधे चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकती है। खासकर जब RJD कांग्रेस और वामदल मिलकर यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि सत्ताधारी गठबंधन चुनाव से पहले लोकतंत्र के बुनियादी ढांचे में फेरबदल करना चाहता है।
- Advertisement -
सदन की कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित
सदन की कार्यवाही हंगामे के कारण 2 बजे तक स्थगित कर दी गई। लेकिन अब बात सिर्फ स्थगन तक नहीं रुकेगी। विधानसभा में जो दृश्य आज देखने को मिले वे इस बात के संकेत हैं कि 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव भ्रष्टाचार बनाम पुनर्निर्माण या जाति बनाम विकास की जगह अब “मतदाता बनाम सत्ता” की नई धुरी पर लड़ा जा सकता है। (Bihar voter list controversy) विपक्ष सड़क से सदन तक आवाज उठा रहा है और सत्ता पक्ष मुस्कराहट के साथ उसका जवाब दे रहा है। सवाल यही है क्या इस बार ताली गूंजेगी या वोटिंग मशीन की बीप?।